राष्ट्रीय

देवरानी-जेठानी के बीच की छिड़ी जंग, कल्पना सोरेन के हमले पर सीता सोरेन का पलटवार, जानें पूरा मामला…

रांची शिबू सोरेन परिवार में फूट पड़ गई है अब तो ऐसा लगता है घर का झगड़ा भी जनता के बीच लाया जा रहा है ऐसा ही हो रहा है अब सोरेन परिवार में जबसे सीता सोरेन भाजपा का दामन थामी है तब से सोरेन परिवार में तकरार बढ़ती जा रही है अब तो सोशल मीडिया पर ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर प्रारम्भ हो गया है इस क्रम में पहला वार हेमंत सोरेन के पत्नी और सीता सोरेन की देवरानी कल्पना सोरेन ने किया तो दूसरी ओर से भी पलटवार हुआ जो अब सुर्खियों में है देवरानी-जेठानी के बीच की जंग अब तेज हो चली है

शिबू सोरेन के बेटे दुर्गा सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री और पति हेमंत सोरेन की तस्वीर को अपलोड करते हुए कल्पना सोरेन ने पोस्ट लिखा है उन्होंने लिखा, हेमंत जी के लिए स्वर्गीय दुर्गा दा, केवल बड़े भाई नहीं, बल्कि पितातुल्य अभिभावक के रूप में रहे 2006 में ब्याह के उपरांत इस बलिदानी परिवार का हिस्सा बनने के बाद मैंने हेमंत जी का अपने बड़े भाई के प्रति आदर तथा सरेंडर और स्वर्गीय दुर्गा दा का हेमंत जी के प्रति प्यार देखा हेमंत जी राजनीति में नहीं आना चाहते थे, परंतु दुर्गा दादा की असामयिक मौत और आदरणीय बाबा के स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें राजनीति के क्षेत्र में आना पड़ा हेमंत जी ने राजनीति को नहीं बल्कि राजनीति ने हेमंत जी को चुन लिया जिन्होंने आर्किटेक्ट बनने की ठानी थी उनके ऊपर-अब झामुमो, आदरणीय बाबा और स्व दुर्गा दा की विरासत तथा संघर्ष को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी थी

कल्पना सोरेन ने आगे लिखा,

झारखंड मुक्ति मोर्चा का जन्म समाजवाद और वामपंथी विचारधारा के समन्वय से हुआ था झामुमो आज झारखंड में आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों समेत सभी गरीबों, वंचितों और शोषितों की विश्वसनीय आवाज बन कर आगे बढ़ रहा है आदरणीय बाबा एवं स्वर्गीय दुर्गा दा के संघर्षों और जो लड़ाई उन्होंने पूंजीपतियों-सामंतवादियों के विरुद्ध लड़ी थी, उन्हीं ताकतों से लड़ते हुए आज हेमंत जी कारावास चले गये वे झुके नहीं उन्होंने एक झारखंडी की तरह लड़ने का रास्ता चुना वैसे भी हमारे आदिवासी समाज ने कभी पीठ दिखाकर, समझौता कर, आगे बढ़ना सीखा ही नहीं है झारखंडियों के DNA में ही नहीं है झुक जाना

मेरे मुंह में अंगुली नहीं डालें वरना-सीता सोरेन-अब इस वार पर तो उत्तर आना ही था जामा की पूर्व विधायक, बीजेपी नेत्री और कल्पना सोरेन की जेठानी सीता सोरेन ने ने भी सोशल मीडिया पर अपने गुस्से का इजहार किया और लिखा,

मेरे पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के मृत्यु के बाद से मेरे और मेरे बच्चों के जीवन में जो बदलाव आया, वह किसी भयावह सपने से कम नहीं था मुझे और मेरी बेटियों को न सिर्फ़ उपेक्षित किया गया, बल्कि हमें सामाजिक और सियासी रूप से भी अलग-थलग कर दिया गया ईश्वर जानता है कि मैंने इस दौर में अपने बेटियों को कैसे पाला है मुझे और मेरी बेटियों को उस शून्य में छोड़ दिया गया, जहां से बाहर निकल पाना हमारे लिए असंभव लग रहा था मैंने न सिर्फ़ एक पति खोया, बल्कि एक अभिभावक, एक साथी और अपने सबसे बड़े समर्थक को भी खो दिया

सीता सोरेन ने आगे लिखा, मेरे इस्तीफे के पीछे कोई सियासी कारण नहीं है यह मेरी और मेरी बेटियों की पीड़ा, उपेक्षा और हमारे साथ हुए अन्याय के विरुद्ध एक आवाज है जिस झारखंड मुक्ति मोर्चा को मेरे पति ने अपने खून-पसीने से सींचा, वह पार्टी आज अपने मूल्यों और कर्तव्यों से भटक गई है मेरे लिए, यह केवल एक पार्टी नहीं, बल्कि मेरे परिवार का एक हिस्सा था मेरा फैसला भले ही दुखदायी हो, लेकिन यह जरूरी था मैंने समझ लिया है कि अपनी आत्मा की आवाज सुनना और अपने आदर्शों के प्रति सच्चे रहना सबसे अधिक जरूरी है मैं समस्त झारखंडवासियों से निवेदन करती हूं कि मेरे इस्तीफे को एक पर्सनल संघर्ष के रूप में देखें, न कि किसी सियासी चाल के रूप में

सीता सोरेन ने आगे लिखा, झारखंड और झारखंडियों के लिये अपने जीवन का बलिदान देने वाले स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के नाम की आज दुहाई देकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोगों से प्रार्थना है कि मेरे मुंह में अंगुली नहीं डालें अन्यथा यदि मैं और मेरे बच्चों ने मुंह खोलकर भयावह सच्चाई खुलासा किया तो कितनों का सियासी और सत्ता सुख का सपना चूर-चूर हो जायेगा झारखंड की जनता वैसे लोगों के नाम पर थूकेगी जिन्होंने हमेशा से दुर्गा सोरेन और उनके लोगों को मिटाकर खत्म करने की षड्यंत्र की है

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