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‘नेताओं को भी प्राइवेसी का अधिकार’, सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 3 बड़ी बातें

Supreme Court Latest News: उच्चतम न्यायालय ने इस सप्ताह चुनावी प्रक्रिया से जुड़ा एक अहम निर्णय सुनाया न्यायालय ने अरुणाचल प्रदेश के तेजू से निर्दलीय विधायक कारिखो क्रि के चुनाव को बरकरार रखा है इस तरह, उच्चतम न्यायालय ने गौहाटी उच्च न्यायालय के जुलाई 2023 वाले निर्णय को रद्द कर दिया HC का निर्णय इस आधार पर था कि कारिखो ने नामांकन पत्रों में तीन गाड़ियां होने की बात नहीं बताई थी सुप्रीम कोर्ट ने HC के निर्णय को रद्द करते हुए तीन अहम टिप्‍पणियां कीं न्यायालय ने कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को भी ‘निजता का अधिकार’ है SC ने बोला कि वह इससे सहमत नहीं कि उम्मीदवार को अपनी जीवन वोटर के सामने रख देनी चाहिए न्यायालय ने बोला कि कोई उम्मीदवार हर संपत्ति का खुलासा करे, यह महत्वपूर्ण नहीं है मतदाता को उम्मीदवार के बारे में सब कुछ जानने का ‘परम अधिकार’ नहीं है न्यायालय ने यह भी बोला कि विधायक ने जो घोषित नहीं किया, वह 8.4 करोड़ रुपये की घोषित संपत्ति के मुकाबले ‘नगण्य’ था SC के मुताबिक, हर नॉन-डिस्क्लोजर बड़ी चूक नहीं है लोकसभा चुनाव 2024 के बीच, उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय जरूरी है SC के इस निर्णय की तीन प्रमुख बातें आगे जानिए

‘नेताओं को भी प्राइवेसी का अधिकार’

सुप्रीम न्यायालय के हालिया निर्णय से नेताओं ने थोड़ी राहत की सांस जरूर ली होगी सोशल मीडिया के दौर में नेताओं के साथ उनका परिवार भी घुन की तरह पिस जाता है कोई बखेड़ा होने पर परिवार के सदस्यों की निजी जानकारियां पब्लिक डोमेन में आ जाती हैं कोई मसाला मिल जाए तो मीडिया से लेकर नेता तक, चटखारे लेकर चर्चा करते हैं यहां तक कि तलाक से लेकर सेक्सुअल पसंद-नापसंद जैसे बहुत निजी विषय जनता तक पहुंच जाते हैं

सुप्रीम न्यायालय ने इसी को लेकर टिप्पणी करते हुए बोला कि निजता का अधिकार नेताओं के लिए भी है SC ने बोला कि ‘निजता का अधिकार’ उन मामलों में बरकरार रहेगा जो मतदाता के लिए चिंता का विषय नहीं हैं या सार्वजनिक पद के लिए उम्मीदवारी के लिए अप्रासंगिक हैं

 

‘उम्मीदवार को जानने का वोटर का अधिकार सीमित’

हर उम्मीदवार चुनाव से पहले अपनी संपत्ति और मुकदमों का ब्योरा पब्लिक के सामने रखेगा यह नियम लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सुधार की नीयत से लागू किया गया था उच्चतम न्यायालय को नहीं लगता कि ‘एक उम्मीदवार को मतदाताओं की स्क्रूटनी के लिए अपना जीवन दांव पर लगाने की जरूरत’ है न्यायालय ने बोला कि ‘किसी उम्मीदवार के स्वामित्व वाली हर संपत्ति का खुलासा न करना कोई गुनाह नहीं माना जाएगा, किसी बड़े चरित्र का गुनाह तो एकदम भी नहीं

कारिखो क्रि के मुद्दे में SC ने बोला है उम्मीदवार के बारे में जानने का वोटर का अधिकार ‘संपूर्ण’ नहीं है मतलब यह कि वोटर को नेता के बारे में सब कुछ जानने का अधिकार नहीं है न्यायालय ने बोला कि नेताओं की जांच अहम है लेकिन जानकारी सिर्फ़ सार्वजनिक पद और निजी व्यवहार तक सीमित होनी चाहिए

 

वोटर और उम्मीदवार के बीच संतुलन की कोशिश

सुप्रीम न्यायालय के ऑर्डर का सेंट्रल प्‍वॉइंट प्रोपोर्शनैलिटी टेस्ट यानी आनुपातिकता परीक्षण था न्यायालय ने बोला कि नॉन-डिस्क्लोजर को ‘दोष’ मानने के लिए, भले ही हल्की गुनाह हो, बड़ी संपत्ति की आवश्यकता होगी, या जिससे उम्मीदवार की लाइफस्टाइल का पता चलता हो क्रि के मुद्दे में तीन गुड़िया- एक स्कूटी, एक मोटरसाइकिल और एक नॉर्मल वैन की जानकारी नहीं दी गई थी

चाहे जितने नियम बन जाएं, जनता जैसा चाहती है, नेता बिल्कुल वैसा ही व्यवहार करेंगे, संभव नहीं लगता ऐसे में, उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय से एक बैलेंस बनाने की प्रयास की है वोटर को उम्मीदवार को परखने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी भी मिल जाए और नेता की निजता का उल्लंघन भी न हो

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