महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने भारतीय सेना द्वारा समान नागरिक संहिता पर आयोजित एक सेमिनार की आलोचना की, कहा…
जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने इंडियन आर्मी द्वारा समान नागरिक संहिता पर आयोजित एक सेमिनार की निंदा की है. ‘नेविगेटिंग लीगल फ्रंटियर्स: अंडरस्टैंडिंग भारतीय पीनल कोड 2023 एंड द क्वेस्ट फॉर यूनिफॉर्म सिविल कोड’ शीर्षक से, यह 26 मार्च को कश्मीर यूनिवर्सिटी में आयोजित किया जाएगा. जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति कोतिश्वर सिंह हैं. जिन विषयों पर चर्चा की जाएगी उनमें विभिन्न पर्सनल कानूनों की प्रणाली से एक समान कानूनी संहिता की ओर बढ़ने की चुनौतियाँ और फायदा एक समान नागरिक संहिता धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के साथ कैसे संरेखित होती है.
मेजर जनरल पीबीएस लांबा, जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मुख्यालय 31 सब एरिया और जम्मू और कश्मीर के कानून सचिव अचल सेठी के भी भाग लेने की आशा है. एक औनलाइन पोस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने पूछा कि क्या इंडियन आर्मी के लिए समान नागरिक संहिता के विभाजनकारी मामले में शामिल होना मुनासिब है और वह भी कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में? एक कारण है कि इंडियन आर्मी अराजनीतिक और अधार्मिक बनी हुई है. यह गलत राय वाला यूसीसी सेमिनार इन दोनों बुनियादी सिद्धांतों के लिए खतरा है. इसके आगे बढ़ने पर सेना पर राजनीति की गंदी दुनिया में शामिल होने के साथ-साथ धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने के इल्जाम लगने का खतरा है.
पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बोला कि इंडियन आर्मी दुनिया की चौथी सबसे मजबूत और सबसे अनुशासित सेनाओं में से एक है. लेकिन वैसे बीजेपी ने धर्म को हथियार बना लिया है और इसे राष्ट्र के सभी पवित्र संस्थानों में घुसपैठ करा रही है इसलिए सेना एक और हताहत होती दिख रही है. घाटी में बीजेपी के मीडिया प्रभारी, वकील साजिद यूसुफ ने बोला कि वह इस विषय पर टिप्पणी करने के लिए ठीक आदमी नहीं हैं और प्रश्न रक्षा प्रवक्ता से पूछा जाना चाहिए.