राजनाथ सिंह ने 1975 के आपातकाल की अनकही कहानी का खुलासा करते हुए कहा….
Emergency: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ वार्ता में 1975 के आपातकाल की अनकही कहानी का खुलासा करते हुए कहा, आपातकाल के दौरान मुझे अपनी मां के आखिरी संस्कार में शामिल होने के लिए पैरोल नहीं दी गई थी। उन्होंने धावा करते हुए कहा, कांग्रेस पार्टी हमें तानाशाह कहती है, कभी अपने गिरेबान पर झांककर नहीं देखा।
23 से 24 वर्ष की उम्र में आपातकालीन के दौरान कारावास गए थे राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, मैं जिस समय कारावास गया था, उस समय मेरी उम्र 23 से 24 वर्ष रही होगी। 18 महीने मैं कारावास में रहा। उन्हें 18 महीने के लिए कारावास में इसलिए डाला गया, क्योंकि उन्होंने आपातकालीन का विरोध किया था। मैं उस समय शिक्षक के रूप में जेपी आंदोलन में शामिल हुआ था। हमलोग आपातकालीन को लेकर आंदोलन करते थे, लोगों को जागरुक करते थे। लोगों को हमलोग बताते थे कि किस तरह से आपातकालीन हमारे लिए खतरनाक है। तानाशाह की परिचायक है, इसको हमलोग बताते थे।
नयी-नयी विवाह हुई थी और राजनाथ सिंह को जाना पड़ा था जेल
राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पार्टी पर धावा करते हुए कहा, जिन लोगों ने तानाशाही दिखाते हुए राष्ट्र में आपातकालीन थोपी, वे लोग हमलोगों को पर तानाशाही का इल्जाम लगाते हैं। राजनाथ सिंह से पूछा गया कि जब उन्हें अरैस्ट किया गया, तो पूरे परिवार में हलचल मच गई होगी, तो उन्होंने कहा, कोई हलचल नहीं मची। मेरी नयी-नयी विवाह हुई थी। मैं बाहर से काम कर लौटा ही था कि मुझे कहा गया कि पुलिस आई हुई है। मैंने उन्हें आदर सहित घर पर बुलाया और चाय पिलायी। आराम से स्नान करके उनके साथ वाहन में बैठकर चला गया। रात करीब 11 बजे हमलोगों को कारावास भेज दिया गया। करीब ढाई महीने हम तीन लोगों को एकदम अकेला रखा गया था। कारावास के अंदर मैं जब आपातकालीन के विरुद्ध नारा लगाता था, तो दूसरे कंपाउंड में उपस्थित लोग भी मेरे पीछे नारा लगाते थे। आपातकालीन के दौरान बहुत सारे नेताओं को अरैस्ट किया गया था।
इमरजेंसी के दौरान कारावास में राजनाथ सिंह को मिलती थी ऐसी यातनाएं
राजनाथ सिंह ने आपातकालीन के दौरान कारावास के अंदर की कहानी सुनाई और कहा कि जब उन्हें अकेले रखा गया था, तो उन्हें कौन-कौन सुविधाएं दी जाती थीं। उन्होंने बताया, पढ़ने के लिए किताबें नहीं दी जाती थी। पीतल के तसले में दाल दी जाती थी और हाथ पर रोटी। कुछ दिन के बाद मुझे नैनी कारावास ट्रांसफर कर दिया गया।
मां ने बोला था, चाहे जो हो जाए माफी मांगकर वापस मत आना : राजनाथ
राजनाथ सिंह ने आपातकालीन के दौर की कहानी सुनाते हुए कहा, जब मुझे भारी सुरक्षा के बीच नैनी कारावास ले जाया जा रहा था, तब मुझसे मेरी मां ने बोला था कि चाहे जो भी हो जाए, माफी मांगकर वापस मत आना। मां की बात को सुनकर वहां उपस्थित पुलिसवाले भी रोने लगे थे। आपातकालीन के दौरान राजनाथ सिंह जब कारावास में बंद थे, तो उसी समय उनकी माता जी का मृत्यु हो गया था। रक्षा मंत्री ने बताया, मेरी मां ने मेरे चचेरे भाई से पूछा कि मैं कारावास से बाहर कब बाहर आऊंगा? तो मेरे भाई ने जैसे ही उन्हें कहा कि मेरी कारावास की सजा को एक साथ के लिए और बढ़ा दिया गया है। यह सुनते ही उनकी माता जी की तबियत बिगड़ गई और मृत्यु हो गया। ब्रेन हैम्ब्रेज के कारण उनका मृत्यु हुआ