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Israel को अमेरिका से मिले धोखे के बाद यूक्रेन ने अब भारत की ओर बढ़ाया कदम

भारत और रूस की दोस्ती कितनी मजबूत है इस बात को तो पूरी दुनिया जानती है. यही वजह है कि पीएम नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दोस्ती देखते बनती है. हिंदुस्तान किस तरह से रूस के साथ अपनी दोस्ती निभा रहा है ये तो मॉस्को भी मानता है. दोनों राष्ट्रों के बीच आपस में इतनी बनती है और ऐसा सामंजस्य है कि दुनिया में न्यूक्लियर अटैक रोकने में भी हिंदुस्तान की सहायता ली जाती है. हिंदुस्तान के पीएम मोदी को लेकर हाल ही में अमेरिकी मीडिया में खुलाया किया गया था कि किस तरह से यूक्रेन पर न्यूक्लियर अटैक होने वाला था और उसे हिंदुस्तान की पहल के जरिए टाला गया. हिंदुस्तान की बात रूस मानता भी है. इस बात को यूक्रेन भी भली–भाँति समझ रहा है. यूक्रेन के विदेश मंत्री हिंदुस्तान दौरे पर आए हुए हैं. उनकी यहां पर कई दौर की बैठकों के साथ कई बड़े लोगों से मुलाकात भी हो रही है. वहीं अपने विदेश मंत्री के दौरे के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दमीर जेलेंस्की ने हिंदुस्तान को लेकर एक ट्वीट किया है. उन्होंने बोला है कि हम आशा करते हैं कि हिंदुस्तान आने वाले स्विस पीस कॉन्फ्रेंस को ज्वाइन करेगा. रूस -यूक्रेन के बीत टेबल टॉक में अपनी अहम किरदार निभाएगा. यूक्रेनी राष्ट्रपति को हिंदुस्तान के पीएम से काफी उम्मीदे हैं. हाल ही में उनकी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से टेलीफोन पर वार्ता भी हुई थी.

यूक्रेन का शांति शिखर सम्मेलन

यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा रूस के साथ चल रहे संघर्ष के बीच कीव के शांति प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए नयी दिल्ली में अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से मुलाकात की है. 28 मार्च को दक्षिण एशियाई राष्ट्र की दो दिवसीय यात्रा प्रारम्भ करने वाले कुलेबा हिंदुस्तान और यूक्रेन के बीच संबंधों को मजबूत करना भी चाहते हैं. कुलेबा को अंतर्राष्ट्रीय शांति शिखर सम्मेलन के लिए हिंदुस्तान का समर्थन मिलने की आशा है, जिसे तटस्थ स्विट्जरलैंड संभवतः वसंत ऋतु में आयोजित करेगा. सम्मेलन की तारीखों की अभी घोषणा नहीं की गई है. यूक्रेन ने रूस के साथ राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के 10-सूत्रीय शांति प्रस्ताव के लिए समर्थन जुटाने के लिए शिखर सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई है. जनवरी में स्विस राष्ट्रपति वियोला एमहर्ड ने बोला कि उनका राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय शांति शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा. यूक्रेनी राष्ट्रपति के निवेदन पर स्विट्जरलैंड शांति फार्मूले पर शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए सहमत हो गया है. ज़ेलेंस्की ने 2022 में इंडोनेशिया में जी20 शिखर सम्मेलन में 10 सूत्री शांति योजना का अनावरण किया था. प्रस्ताव में यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को बहाल करना, रूसी सैनिकों की वापसी और शत्रुता को रोकना, सभी कैदियों और बंदियों की रिहाई, पर्यावरण संरक्षण, यूक्रेनी भोजन की शिपमेंट सुनिश्चित करना, अनाज, ऊर्जा सुरक्षा, यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी, रूसी युद्ध अपराधों पर केस चलाने के लिए एक विशेष न्यायाधिकरण की स्थापना, परमाणु सुरक्षा बहाल करना और युद्ध खत्म करना शामिल है.

शांति सम्मेलन में हिंदुस्तान की भागीदारी क्यों चाहता यूक्रेन 

यूक्रेन शांति सम्मेलन में हिंदुस्तान की भागीदारी चाहता है. 20 मार्च को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने टेलीफोन कॉल के दौरान, ज़ेलेंस्की ने सम्मेलन में हिंदुस्तान की उपस्थिति पर बल दिया था. एक्स को संबोधित करते हुए, यूक्रेनी राष्ट्रपति ने लिखा कि हिंदुस्तान को उद्घाटन शांति शिखर सम्मेलन में भाग लेते देखना हमारे लिए जरूरी था, जो वर्तमान में स्विट्जरलैंड में तैयार किया जा रहा है. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पोस्ट में बोला कि उन्होंने ज़ेलेंस्की को शांति के लिए सभी प्रयासों और चल रहे संघर्ष को शीघ्र खत्म करने के लिए हिंदुस्तान के लगातार समर्थन से अवगत कराया था. उन्होंने एक्स पर लिखा कि हिंदुस्तान हमारे जन-केंद्रित दृष्टिकोण द्वारा निर्देशित मानवीय सहायता प्रदान करना जारी रखेगा. नयी दिल्ली ने  यूक्रेन के साथ मास्को के युद्ध में तटस्थ रुख बनाए रखा है. हिंदुस्तान ने कई बार दोहराया है कि वार्ता और कूटनीति ही संघर्ष को सुलझाने का रास्ता है.

क्या हिंदुस्तान होगा शामिल? 

उम्मीद है कि कुलेबा भारतीय ऑफिसरों के साथ वार्ता के दौरान शांति शिखर सम्मेलन का मामला उठाएंगे. मुद्दे से परिचित लोगों के अनुसार, हिंदुस्तान ने अभी तक स्प्रिंग शिखर सम्मेलन में अपनी भागीदारी के स्तर पर फैसला नहीं लिया है. हिंदुस्तान में अगले महीने से प्रारम्भ होकर 1 जून तक होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उन्होंने बोला कि यदि इस अवधि के दौरान शिखर सम्मेलन होता है तो उच्चतम स्तर पर नयी दिल्ली की उपस्थिति घातक होगी. यह अभी भी साफ नहीं है कि कौन से राष्ट्र भाग लेंगे या रूस शिखर सम्मेलन का हिस्सा होगा या नहीं. रॉयटर्स के अनुसार, यूक्रेन को रूस की भागीदारी के बिना विश्व नेताओं का अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन आयोजित करने की आशा है. ज़ेलेंस्की ने जनवरी में स्विट्जरलैंड में एक संवाददाता सम्मेलन में बोला था कि हम दुनिया के उन सभी राष्ट्रों के लिए खुले हैं जो हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हैं. इसलिए आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि हम किसे आमंत्रित करते हैं. रूस ने यूक्रेन के नेतृत्व वाली पहल को गैर-स्टार्टर के रूप में खारिज कर दिया है. मीडिया (एससीएमपी) की रिपोर्ट के अनुसार, लेकिन चीन और स्विट्जरलैंड यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के उद्देश्य से मास्को को वार्ता में आमंत्रित करने के लिए दबाव डाल रहे हैं. पिछले सप्ताह स्विस राजधानी बर्न में चीन के राजदूत ने बोला था कि बीजिंग शांति सम्मेलन में भाग लेने पर विचार करेगा. इस महीने की आरंभ में ग्रीक प्रधान मंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस ने पुष्टि की कि वह अंतरराष्ट्रीय शांति शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने पिछले अगस्त में सऊदी अरब में यूक्रेन पर एक सभा में बोला था कि हालांकि कई शांति सूत्र जारी किए गए हैं, लेकिन कोई भी दोनों पक्षों के लिए स्वीकार्य नहीं है और पूछा कि क्या सभी हितधारकों के लिए स्वीकार्य निवारण पाया जा सकता है.

एजेंडे में और क्या है?

विदेश मंत्रालय के अनुसार, यूक्रेनी विदेश मंत्री अपने भारतीय समकक्ष के साथ पारस्परिक भलाई के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर द्विपक्षीय साझेदारी और योगदान पर भी चर्चा करेंगे. भारत-यूक्रेन अंतर-सरकारी आयोग का एक सत्र भी आयोजित होने वाला है. कुलेबा ने पहले बोला था कि कीव यूक्रेन के पुनर्निर्माण में हिंदुस्तान की किरदार का स्वागत करेगा. उन्होंने अपनी यात्रा से पहले दिप्रिंट से बोला कि अब आर्थिक परियोजनाओं और निश्चित रूप से राष्ट्र के पुनर्निर्माण में यूक्रेन के साथ जुड़ने के लिए हिंदुस्तान का स्वागत है. कुलेबा ने भारतीय कंपनियों से यूक्रेन के युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण में शामिल होने का आह्वान किया है. उनकी हिंदुस्तान यात्रा, सात सालों में किसी यूक्रेनी विदेश मंत्री की पहली यात्रा, ऐसे समय में हो रही है जब रूस अग्रिम मोर्चे पर प्रगति के लिए कमर कस रहा है. रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रम्प और कांग्रेस पार्टी में उनके समर्थकों के प्रतिरोध के कारण कीव को संयुक्त राज्य अमेरिका से बहुत महत्वपूर्ण सेना समर्थन का भी प्रतीक्षा है.

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