लोकसभा चुनाव में भाजपा 370 का लेकर चल रही टार्गेट
लोकसभा चुनाव में बीजेपी 370 का टार्गेट लेकर चल रही है। बीते चुनाव में उसे 303 सीटें मिली थीं। 2019 में बीजेपी ने उत्तर हिंदुस्तान के अधिकांश राज्यों में 90 से 100 प्रतिशत हड़ताल दर के साथ जीत हासिल की थी। ऐसे में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र में सीटें बढ़ने की गुंजाइश बहुत कम है। फिर प्रश्न एक ही है- 67 सीटें कहां से आएंगी?
तमिलनाडु- एक ऐसा राज्य है जहां से बीजेपी को इस चुनाव में बड़ी आशा है। राज्य में 39 लोकसभा सीटें हैं। अभी बीजेपी के पास एक भी सीट नहीं है। 2019 के चुनाव में उसका अपना वोट फीसदी मात्र 3.66 प्रतिशत था। उसे कुल 15,51,924 वोट मिले थे। भाजपा की सहयोगी AIADMK को एक सीट मिली थी। बाकी की 38 सीटें डीएमके के नेतृत्व वाली यूपीए को मिलीं। 2014 के चुनाव में जब बीजेपी ने पूरे उत्तर हिंदुस्तान में जबर्दस्त जीत हासिल की तब इस राज्य में उसे सिर्फ़ एक सीट मिली। उस चुनाव में दिवंगत जे। जयललिता के नेतृत्व में उनकी पार्टी AIADMK ने 39 में से 37 सीटें जीती थीं। साल 2014 में राज्य से पूरे यूपीए का सफाया हो गया था। उस समय बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे पोन राधाकृष्णन ने कन्याकुमारी से जीत हासिल की थी। साल 2014 में बीजेपी का वोट फीसदी 5.5 था, जो 2019 में गिरकर 3.66 प्रतिशत रह गया।
उम्मीद- इस समय प्रदेश भाजपा की कमान के। अन्नामलाई के हाथों में है। वह एक फाइटर नेता बताए जाते हैं। उनकी जनसभाओं में बड़ी भीड़ उमड़ रही है।
अवसर- जे। जयललिता के मृत्यु के बाद राज्य में AIADMK कमजोर हुई है। पार्टी कई धड़ों में बंट गई है। ऐसे में विपक्ष के लिए यहां एक खाली स्थान है। बीजेपी इस स्थान को भरने की प्रयास में लगी है।
चुनौती- दविड़ राजनीति में बीजेपी का अपना कोई सामाजिक आधार नहीं है। भाषायी बैरियर के कारण प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का करिश्माई नेतृत्व आम जन को बहुत कारगर नहीं कर पाता। हालांकि अनेक प्री-पोल सर्वे में उसके वोट शेयर में वृद्धि की बात कही जा रही है। कुछ सर्वे में इसके 20 प्रतिशत तक पहुंचने की आसार है। लेकिन, डीएमके-कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए का वोट फीसदी 60 प्रतिशत के आसपास है। वोट फीसदी में इतने अधिक फासले की वजह से बीजेपी के लिए सीटें निकालना कठिन है।
AIADMK खत्म!
जयललिता के मृत्यु के बाद AIADMK करीब-करीब समाप्त हो गई है। ओ। पन्नीरसेल्वम और के। पलानीस्वामी ने पार्टी को दोफाड़ कर दिया है। बीजेपी ने 2019 में पलानीस्वामी के साथ गठबंधन किया था। प्री-पोल सर्वे में इन दोनों धड़ों की लोकप्रियता में भारी गिरावट की बात कही जा रही है। दोनों धड़ों का वोट फीसदी 16 प्रतिशत के आसपास है। हालांकि बाद में न्यायालय ने ओ। पन्नीरसेल्वम के धड़े को मूल पार्टी मान लिया था।
भाजपा की रणनीति
बीते वर्ष AIADMK ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ लिया। उसका बोलना है कि बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष अन्नामलाई अक्रामक राजनीति कर रहे हैं। दूसरी तरह बीजेपी कई छोटे दलों के साथ गठबंधन में है। इसके साथ वह AIADMK के कई नेताओं को अपनी तरफ खींचने में सफल हुई है।
निष्कर्ष- वोट शेयर, प्रदेशाध्यक्ष की आक्रमकता, कमजोर विपक्ष, करिश्माई केंद्रीय नेतृत्व… जैसी अनेक अनुकूल हालात के बावजूद यूपीए गठबंधन वोट शेयर में करीब 40 प्रतिशत अंक आगे है। ऐसे में बीजेपी का वोट फीसदी बढ़ने के बावजूद उसकी सीटें बढ़ने की आसार बहुत कम है।