Indian Railway: इंडियन रेलवे में लेफ्ट साइड में क्यों होते हैं सिग्नल...

Indian Railway Rules: भारतीय रेलवे प्रत्येक दिन हजारों-लाखों लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती है। यात्रियों के आरामदायक यात्रा के लिए रेलवे 11 हजार ट्रेनें प्रत्येक दिन संचालित करता है। भारतीय रेलवे एशिया का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। ऐसे में उस पर एक-एक पैसेंजर की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। लिहाजा यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने में रेलवे काफी सावधानियां बरतता है। इसी का एक हिस्सा है सिग्नल। इसे ही देखकर लोको पायलट यह निर्णय करते हैं कि उनको रुकना है या फिर आगे जाना है। लेकिन क्या आपने गौर किया है कि रेलवे में सिग्नल हमेशा लेफ्ट साइड ही क्यों होते हैं? आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं।
सिग्नल सिस्टम से ऑपरेट होती हैं ट्रेनें
रोजाना यात्रा करने वाले लोगों को भी शायद ही यह बात मालूम हो कि सिग्नल सिस्टम से ही भारतीय रेलवे ट्रेनों को ऑपरेट करता है। इसी का हिस्सा होता है ब्लॉक सिग्नल सिस्टम। इस बॉक्स के जरिए कुछ किलोमीटर के रेडियस में ऑपरेट होते हैं। ट्रेन का लोकोमोटिव पार हो जाने के बाद ये बिल्कुल रेड हो जाते हैं। जब पहली ट्रेन आनें वाले चार सिग्नल्स से नहीं गुजर जाती, यह पीछे आने वाली ट्रेन को ग्रीन सिग्नल नहीं देता।
लेकिन क्या आपने गौर किया है कि रेलवे में सिग्नल हमेशा लेफ्ट साइड ही लगाया जाता है। ये सिग्नल्स कुछ दूरी पर लगे होते हैं, ताकि एक से दूसरे सिग्नल के बीच ट्रेन थोड़ी गति पकड़ ले।
लेफ्ट साइड ही क्यों होते हैं सिग्नल?
लेफ्ट साइड सिग्नल इसलिए लगाया जाता है क्योंकि यदि उसको दाईं ओर लगाया जाएगा तो दूसरी ओर से आने वाली रेलगाड़ियों को परेशानी हो सकती है। लेफ्ट साइड सिग्नल लगाने की वजह यह भी है कि राइट साइड लगाने पर दूसरी तरफ के ट्रैक की दूरी भी बढ़ानी पड़ेगी। इसके लिए रेलवे को अधिक जमीन चाहिए होगी। हालांकि रेलवे हमेशा पटरियों के बराबर की कुछ जमीन अपने पास रखता है ताकि यदि उसे भविष्य में नया ट्रैक बिछाने की आवश्यकता पड़े तो वह उसे उपयोग कर सके।
तीसरी वजह यह है कि यदि सिग्नल को राइट साइड लगाया जाएगा तो सिग्नल की सभी तारों को ट्रैक के नीचे से निकालना पड़ेगा। इससे रेलवे का पैसा अधिक खर्च होगा। इसके अतिरिक्त रिपेयरिंग में भी दिक्कतें आएंगी। इसी वजह से सिग्नल को हमेशा लेफ्ट साइड ही लगाया जाता है।