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Interview: बीरेंद्र सिंह ने रमेश ठाकुर के साथ की विस्तृत बातचीत, पेश हैं मुख्य अंश…

चौधरी बीरेंद्र सिंह हरियाणा के कदावर और जाट के बड़े नेताओं में शुमार हैं. कांग्रेस पार्टी में विभिन्न पदों और केंद्र में मंत्री भी रहें. बीजेपी में चले गए थे, लेकिन फिर से कां्रगेस में वापसी की है. कांग्रेस पार्टी ने उनके आगमन का स्वागत खुलेदिल से गर्मजोशी से साथ किया है. क्योंकि उनके आने से हरियाणा की राजनीति में जबरदस्त परिवर्तन आएगा. लोकसभा में जाट वोटर उनसे जुड़ेंगे जिनमें उनका बड़ा असर है. बीरेंद्र सिंह कहते हैं कि बीजेपी में लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं? बीजेपी में अंदर रहकर क्या-क्या देखा जैसे अनेक मुद्दों पर उन्होंने डा रमेश ठाकुर के साथ विस्तृत वार्ता की. पेश हैं वार्ता के मुख्य हिस्से.

प्रश्नः घर वापसी का ख्याल कब मन में आया?

उत्तरः पुराने लोग और पुराना घर आदमी को हर पल याद आता है. ख्याल तो बहुत पहले आना प्रारम्भ हो गया था. पर, ठीक समय का प्रतीक्षा था. मेरे इस फैसला को ’घर वापसी’ न कहें, बल्कि ’विचार की वापसी’ कहें, तो अधिक बेहतर होगा. कांग्रेस पार्टी में दोबारा आना, मेरे लिए बहुत भावनात्मक क्षण है. वापसी पर पुराने साथी मेरा जिस खुलेदिल से स्वागत-सम्मान कर रहे हैं, इससे मुझे एहसास होता है कि जाने-अंजाने में मैंने कितनी बड़ी भूल की? शायद भूल से ही गलत घर की कुंड़ी खड़खड़ा दी थी. लेकिन, अब पार्टी को मजबूत करना है और मिलकर आगे बढ़ाऐंगे. नफरती राजनीति के विरुद्ध छिड़ी मुहीम में हम सब राहुल गांधी के सिपाही बनेंगे.

प्रश्नः कांग्रसे की स्थिति आज भी वैसी ही है, जैसी आप छोड़कर गए थे. आपको आशा है हालात सुधर पाएंगे?

उत्तरः हिंदुस्तान का कोई ऐसा राजनीतिक दल नहीं है जिसके दिन कभी उन्नीस-बीस न हुए हों? बीजेपी किन-किन हथकंड़ों को इस्तेमाल करके आगे बढ़ रही है, ये राष्ट्र जान चुका है जिसकी मामूली सी बानगी इलेक्टॉन बांड काण्ड और चंडीगढ़ वोट चोरी से खुलासा हो गया है. इसलिए, भविष्य में भाजपा के हालात कितने बदतर होंगे जिसकी कल्पना तक कोई नहीं कर सकता. क्योंकि मैं अंदर रहकर सबकुछ देखा है. अंदरूनी हालातों से वाकिफ हूं. खाटी के पारंपरिक भाजपाई मोदी-शाह से कितने दुखी है, मैं बता नहीं सकता? दोनों के विरुद्ध विरोध की चिंगारी कभी भी भड़क सकती है. रही बात, कांग्रेस पार्टी के हालात सुधरने के, तो हम एकता का प्रदर्शन करके आगे बढ़ेंगे. सबसे पहले हमें लोकतंत्र और संविधान को बचाना है. मौजूदा शासक चुनावी प्रक्रिया को समाप्त करने पर आमादा है.

प्रश्नः आपके आने से पार्टी को आशा है, हरियाणा की राजनीति में परिवर्तन आएगा?

उत्तरः हरियाणा खेती किसानी और खेल विधाओं पर निर्भर है. लेकिन इन दोनों क्षेत्रों में पीएम की उदासीनता प्रदेशवासियों को आहात करती है. पहलवान बेटियों को इन्साफ नहीं मिला? महीनों दिल्ली में बैठी रहीं? उनसे मिलने तक पीएम नहीं गए. किसान भाई अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे. उनके साथ आंतंकियों जैसा सलूक हुआ. ये सब देखकर मेरा मन बीजेपी से खिन्न हुआ. मैं ऐसी राजनीति को बारंबार ठोकर मारूंगा, जहां मेरे लोगों का अपमान होता हो? जाट एकता अब एकजुट है, आनें वाले चुनाव में एकता परिचय बीजेपी को करवा देंगे. मनोहर लाल खट्टर के साथ जो दिल्ली के नेताओं ने खेला किया है. वो भी गंदी राजनीति से वाकिफ हो चुके हैं. पूरे हरियाणा-पंजाब में बीजेपी के विरुद्ध लहर फैली हुई है. इनके लोगों को गांव वाले चुनाव प्रचार के लिए नहीं घुसने दे रहे. क्षेत्रीय बीजेपी नेता घरों में घुसे हुए हैं. इनकी बेशमाई देखिए, ऐसे हालातों में भी ये जीत का दावा करते हैं.

प्रश्नः बीजेपी में रहकर आपने क्या देखा?

उत्तरः देखा कि पार्टी में लोकतंत्र नाम की चीज नहीं है. वहां केवल दो लोगों की ही चलती है. बाकी सब ‘जी सर-जी सर’ करते हैं. पार्षद का टिकट दिलवाने की भी किसी की हौसला नहीं? भय के चलते कोई नेता, मंत्री खुलकर अपनी बात नहीं रखता. यदि कोई हौसला दिखाता भी, उसका पत्ता साफ कर दिया जाता है.ब्यूरोक्रेट से लेकर अधिकारी-कर्मचारी सभी डरे हुए है. कानूनी संस्थाओं के अधिकारों को कुचल दिया गया है. सभी मंत्रालयों की चाबियां मोदी ने अपने पास रखी हुई हैं. उनके बिना इजाजत के कोई मंत्री निर्णय नहीं ले सकते.

प्रश्नः कहते हैं कि बीजेपी में आने वाले दूसरें दलों के नेताओं को खूब तवज्जों दी जाती है?

उत्तरः मुझे भी दी थी? लेकिन शुरू-शुरू में? बीजेपी तोड़फोड़ में अधिक विश्वास रखती है. इस बार लोकसभा चुनाव में वो बाहरी नेताओं को अधिक टिकट दे रहे हैं. उनके अपने नेता मुंह ताक रहे हैं. मोदी बाहरी नेताओं को केवल एक मौका देते है, उसके बाद किनारे कर लेते हैं. कांग्रेस पार्टी से टूटकर जितने भी नेता गए हैं या पहुंच रहे हैं, देखना एक दिन सभी वापस आएंगे. महाराष्टृ में जो खेल इन्होंने खेला है. दो दलों में दो फाड़ किए हैं, उसका खामियाजा इन्हें चुनावों में भुगतना पड़ेगा. बीजेपी महाराष्टृ से समाप्त हो जाएगी. बीजेपी के लालच में आकर पार्टी से बगावत करने वाले नेता पश्चापात करेंगे.

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