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सत्ता में बैठे लोगों को देश के किसानों की नहीं है कोई परवाह : शरद पवार

पुणे राकांपा (एसपी) प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने शनिवार को केंद्र गवर्नमेंट पर निशाना साधते हुए बोला कि सत्ता में बैठे लोगों को राष्ट्र के किसानों (Farmers) की कोई परवाह नहीं है. उन्होंने दावा किया कि केंद्र 2024 तक किसानों की आय दोगुनी करने के अपने वादे को पूरा करने में विफल रहा है. पवार महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के संजय राउत, बालासाहेब थोराट और सुप्रिया सुले जैसे नेताओं की उपस्थिति में महाराष्ट्र के पुणे जिले के इंदापुर में किसान रैली को संबोधित कर रहे थे.

एमवीए में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पार्टी (शरदचंद्र पवार) और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) शामिल हैं. ये सभी दल विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा है. पवार ने कहा, “देश में अब स्थिति अलग है. आनें वाले (लोकसभा) चुनाव बहुत जरूरी हैं. पीएम ने आश्वासन दिया था कि 2024 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटों के लिए चुनाव 19 अप्रैल से 20 मई के बीच पांच चरणों में होंगे. पवार (83) ने बोला कि राष्ट्र के किसानों ने प्याज को लेकर राहत की मांग की है. बारामती लोकसभा क्षेत्र के इंदापुर की रैली में पवार ने कहा, “लेकिन सत्ता में बैठे लोगों को किसानों की परवाह नहीं है.

पवार की बेटी और तीन बार की सांसद सुप्रिया सुले बारामती से चुनाव लड़ेंगी. पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री पवार ने 2022 में कथित धन शोधन मुद्दे में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा राज्यसभा सदस्य संजय राउत की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए बोला कि गवर्नमेंट के विरुद्ध बोलने के कारण उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया गया था.

पवार ने कहा, “अरविंद केजरीवाल कड़ी मेहनत कर रहे थे, उन्हें भी कारावास भेज दिया गया. दिल्ली के चुनाव में बीजेपी ने सिर्फ़ दो फीसदी सीटें जीतीं और बाकी सीटों पर केजरीवाल की पार्टी जीती थी.

ईडी ने बृहस्पतिवार को केजरीवाल को आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मुद्दे में अरैस्ट किया. शुक्रवार को केजरीवाल को छह दिन के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया गया. रैली में शिवसेना (यूबीटी) नेता राउत ने भी बीजेपी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र और राज्य गवर्नमेंट पर निशाना साधा.

राउत ने कहा, “हमें आपके अच्छे दिन नहीं चाहिए. हमें 2014 से पहले के दिन चाहिए. अजित पवार के साथ छोड़ने का हम पर कोई असर नहीं पड़ेगा. एकनाथ शिंदे के जाने के बाद हमारी पार्टी मजबूत हुई है. जो लोग हमें छोड़कर चले गए, उनके जाने के बाद महाराष्ट्र में कोई फर्क नहीं पड़ा है.

शरद पवार द्वारा स्थापित राकांपा पिछले वर्ष तब विभाजित हो गई जब अजित पवार और उनके प्रति वफादार कई विधायक महाराष्ट्र गवर्नमेंट में शामिल हो गए. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विधायकों की बगावत के बाद शिवसेना में विभाजन हो गया. शिंदे 2022 में बीजेपी के योगदान से सीएम बने.

राउत ने कहा, “हमें धमकी मत दीजिए. हम किसी भी चीज से डरने वाले नहीं हैं. अगले चार महीनों में हम राष्ट्र में सत्ता बदलाव देखेंगे. एक बार हमारी गवर्नमेंट बन गई तो आपकी पार्टी में कोई नहीं बचेगा.” (एजेंसी)

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