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UPSC 2023 परीक्षा का परिणाम आया सामने

UPSC 2023 Result: सबसे कठिन परीक्षाओं में UPSC यानी Union Public Service Commission को दुनिया का तीसरा सबसे कठिन Exam माना जाता है इस लिस्ट में पहले नंबर पर चीन का Gaokao Exam और दूसरे नंबर पर हिंदुस्तान का ही IIT JEE Advanced परीक्षा को माना जाता है कहने का मतलब ये है कि जो भारतीय परीक्षार्थी UPSC की परीक्षा पास कर रहे हैं, वो राष्ट्र के सबसे प्रखर और बुद्धिमान लोग हैं मंगलवार को UPSC 2023 परीक्षा का रिज़ल्ट सामने आया

साल 2023 की UPSC परीक्षा में 10 लाख 16 हजार 850 परीक्षार्थियों ने आवेदन दिया था
– इसमें 5 लाख 92 हजार 141 परीक्षार्थियों ने Prelims यानी Preliminary परीक्षा दी थी इसे UPSC की प्रारंभिक परीक्षा भी बोला जाता है
– Prelims में 14 हजार 624 विद्यार्थी ही पास हो पाए, जिन्होंने सितंबर 2023 में Mains यानी मुख्य परीक्षा दी
– मुख्य परीक्षा को सिर्फ़ 2 हजार 855 विद्यार्थी ही पास कर पाए
– मुख्य परीक्षा के बाद होने वाले Interview यानी इंटरव्यू राउंड को सिर्फ़ 1 हजार 16 विद्यार्थी ही पास कर पाए

केवल 1016 उम्मीदवार इसे पास कर पाए

आप स्वयं देख सकते हैं कि हिंदुस्तान के 10 लाख से अधिक परीक्षार्थियों ने UPSC की परीक्षा देने का मन बनाया था लेकिन अंत में सिर्फ़ 1016 उम्मीदवार इसे पास कर पाए यानी 1 लाख उम्मीदवारों में से सिर्फ़ 100 परीक्षार्थी ही इस परीक्षा को पास कर पाए हैं इससे आप समझ सकते हैं कि UPSC कितनी मुश्किल परीक्षा लेती है यही वजह है कि इसे दुनिया की तीसरी सबसे कठिन परीक्षा बोला जाता है

दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा

UPSC परीक्षा, जॉब पाने के मुद्दे में दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है UPSC में पास होने वाले विद्यार्थी राष्ट्र सेवा के लिए भिन्न-भिन्न जरूरी राजकीय पदों पर काबिज होते हैं

धर्म के आधार पर अलग नजरिए से देखते हैं

लेकिन हमारे राष्ट्र में कुछ लोग इस सबसे कठिन परीक्षा को पास करने वालों को धर्म के आधार पर अलग नजरिए से देखते हैं सोशल मीडिया पर ये बोला जा रहा है कि इस बार UPSC की परीक्षा को 50 से अधिक मुस्लिम उम्मीदवारों ने पास किया है और ये षड्यंत्र के अनुसार हो रहा है इस तरह की बातें हास्यास्पद होती हैं लेकिन आज हम इस तरह की बातें करने वालों को एक ऐसा सच दिखाएंगे, जो उनकी आंखे खोल देगा

परीक्षाओं को धार्मिक रंग क्यों दिया जा रहा है?

सवाल ये है राष्ट्र के राजकीय पदों के लिए होने वाली परीक्षाओं को धार्मिक रंग क्यों दिया जा रहा है? क्या ये इन परीक्षाओं को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है, या फिर मुसलमान उम्मीदवारों के नाम पर चुनावी मौसम में हिंदू और मुसलमान तुष्टीकरण की प्रयास की जा रही है हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि UPSC की परीक्षाओं में श्रेणियां, जाति के आधार पर बांटी जाती हैं इनमें धर्म का कोई आधार नहीं है UPSC अपने रिज़ल्ट का जो डेटा शेयर करता है, उसमें जानकारियां कुछ इस तरह से होती हैं

– UPSC परीक्षा में 1016 परीक्षार्थी पास हुए हैं जिनमें 664 पुरुष और 352 स्त्री परीक्षार्थी हैं
– इसमें सामान्य वर्ग के 347, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 115, अन्य पिछड़ा वर्ग के 303, अनुसूचित जाति के 165 और अनुसूचित जनजाति के 86 परीक्षार्थी हैं

इसमें कहीं भी धर्म कोई श्रेणी नहीं है UPSC ने 2023 की परीक्षा पास करने वाले परीक्षार्थियों का वर्गीकरण सिर्फ़ जातिगत और आर्थिक रूप के कमजोर वर्ग को आधार बनाते हुए किया गया है ये कहीं नहीं कहा है कि इस बार कितने मुस्लिम इस परीक्षा में पास हुए हालांकि समाचार ये चल रही है कि इस बार पास होने वाले 1016 परीक्षार्थियों में 50 से अधिक मुस्लिम हैं ये जानकारी UPSC की तरफ से नहीं दी गई है

मुसलमान उम्मीदवारों के नाम देखकर, उन्हें चिन्हित किया

दरअसल UPSC जब रिज़ल्ट घोषित करता है तो एक लिस्ट जारी करता है इस लिस्ट में परीक्षार्थी की रैंक और उसका नाम होता है हमारे पास वो लिस्ट है, जिसमें परीक्षार्थियों के नाम और उनकी रैंक लिखी हुई है जैसा कि हमने आपको कहा UPSC सिर्फ़ रैंक और नाम जारी करती है लेकिन चुनावी मौसम में कुछ लोगों ने अपना खुराफाती दिमाग लगाकर, मुस्लिम उम्मीदवारों के नाम देखकर, उन्हें चिन्हित किया इसी वजह से सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने, मुसलमान परीक्षार्थियों की संख्या 50 गिनी, तो कुछ ने 51 नाम बताए, कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने 52 नाम गिन लिए दरअसल नाम देखकर धर्म का पता लगाने वाली इस ट्रिक से कुछ लोगों ने अपना नफरती एजेंडा चलाया

नफरती एजेंडा

नफरती एजेंडा चलाने वालों और उससे प्रभावित होकर सोशल मीडिया पर लिखने वालों को हम कुछ और जानकारियां भी देना चाहते हैं साल 2005 में मनमोहन सिंह गवर्नमेंट ने दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री राजेंद्र सच्चर की अध्यक्षता में एक कमेठी का गठन किया था सच्चर कमेटी का काम था हिंदुस्तान में मुसलमान समाज की सामाजिक, आर्थिक, और शैक्षणिक हालाता का जायज़ा लेना सच्चर कमेटी की इस रिपोर्ट में पता चला कि भले ही हिंदुस्तान में मुसलमानों की संख्या 14.2 फीसदी हो, लेकिन UPSC में इनका अगुवाई सिर्फ़ 3 फीसदी है देखा जाए तो मुसलमान हितों की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी पार्टी के 50 साल के शासनकाल UPSC में मुसलमान समाज का अगुवाई बहुत कम था लेकिन जिस नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट पर कांग्रेस पार्टी और INDI गठबंधन मुसलमान विरोधी होने का इल्जाम लगाते हैं उनके शासनकाल में UPSC में मुसलमानों का अगुवाई काफी बेहतर रहा है

साल 2013 में 30 मुसलमान विद्यार्थियों ने UPSC की परीक्षा को पास किया

भाजपा गवर्नमेंट आने बाद साल 2014 में 34, साल 2015 में 38, और साल 2016 में 36 मुसलमान विद्यार्थियों ने UPSC की परीक्षा पास की थी

साल 2017 में एक नया रिकॉर्ड बना आज़ाद हिंदुस्तान में पहली बार 52 मुसलमान विद्यार्थियों ने UPSC की परीक्षा को पास की थी

साल 2018 में एक बार फिर से 51 मुसलमान विद्यार्थियों ने UPSC की परीक्षा पास की

– हालांकि साल 2019 में 28 मुसलमान परीक्षार्थियों ने UPSC परीक्षा पास की, क्योंकि इस साल पास होने वाले कुल विद्यार्थियों की संख्या भी 782 रह गयी थी

साल 2020 में 44 मुसलमान विद्यार्थियों ने UPSC की परीक्षा को पास की थी

– अब साल 2023 की UPSC परीक्षा में एक बार फिर 50 से अधिक मुसलमान विद्यार्थी पास हुए यानि पास होने वाली कुल विद्यार्थियों में से करीब 5 फीसदी मुसलमान वर्ग के विद्यार्थी थे

UPSC पास करने वाले मुसलमान परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ी

इससे दो बातें साफ हो रही हैं पहली ये है कि नफरती एजेंडा चलाने वाले लोग गलत हैं वो इसलिए क्योंकि पिछले कई सालों से मुसलमान परीक्षार्थी अपने ज्ञान के दम पर UPSC परीक्षा पास कर रहे हैं और इसमें कहीं भी जिहाद वाला एंगल नहीं है दूसरी बात ये भी है कि पिछले 10 सालों में मोदी गवर्नमेंट के कार्यकाल में UPSC पास करने वाले मुसलमान परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ी है लेकिन एक प्रश्न ये भी है कि सच में इसके लिए मोदी गवर्नमेंट को credit दिया जा सकता है?

– दरअसल साल 2017 में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने ‘नई उड़ान’ स्कीम के अनुसार अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को UPSC EXAM के लिए मिलने वाली स्कालरशिप को सालाना 50 हजार रूपये से बढ़ाकर एक लाख रूपये कर दिया था

– ये आर्थिक सहायता उन अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के लिए थी, जिन्होंने UPSC Prelims की परीक्षा पास कर ली थी और वो MAINS की तैयारी कर रहे थे इस स्कीम के अनुसार हर साल 3,700 से अधिक मुसलमान उम्मीदवारों को आर्थिक सहायता दी जा रही थी हमने आपको कहा था कि 2017 में 52 मुसलमान परीक्षार्थियों ने UPSC पास किया था

– इसी तरह से साल 2018 में अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने मुसलमान परीक्षार्थियों के लिए Hajj Houses में मुफ़्त UPSC कोचिंग की प्रबंध करवाई थी साल 2018 में भी 51 मुसलमान परीक्षार्थियों ने UPSC पास किया था

साल 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अल्पसंख्यक विद्यार्थियों की UPSC की मुफ़्त कोचिंग का बजट सालाना 8 करोड़ रूपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रूपये कर दिया था

UPSC की परीक्षा पास करना सबके बस की बात नहीं

हालांकि साल 2023 में नयी उड़ान स्कीम को अभी बंद कर दिया है लेकिन इस स्कीम से मुसलमान युवाओं में UPSC परीक्षाओं की तैयारी में काफी प्रोत्साहन मिला था मुसलमान युवाओं में राष्ट्र सेवा के लिए राजकीय पदों पर बैठने की ललक बढ़ी है UPSC की परीक्षा पास करना सबके बस की बात नहीं है यही वजह है कि लाखों लोग इसके लिए आवेदन तो करते हैं, लेकिन अंत में इस परीक्षा को कुछ लोग ही पास कर पाते हैं इससे एक बात और पता चलती है कि ज्ञान और बुद्धिमत्ता, धर्म या जाति नहीं देखती है UPSC सेलेक्शन पैनल भी धर्म या जाति देखकर, राष्ट्र के युवाओं को नहीं चुनता है

टॉप 5 में से 3 परीक्षार्थियों में एक बात कॉमन

इस बार UPSC के टॉप 5 में से 3 परीक्षार्थियों में एक बात कॉमन थी वो ये की तीनों आईपीएस ट्रेनी थे इस बार UPSC टॉप किया है लखनऊ के आदित्य श्रीवास्तव ने आदित्य ने IIT KANPUR से इंजीनियरिंग की हुई है, और वो अभी हैदराबाद में आईपीएस ट्रेनी है UPSC के टॉप 25 में इस बार 15 पुरुष और 10 स्त्री परीक्षार्थी थे खास बात ये भी थी कि इस बार टॉप 10 में एक मुसलमान स्त्री परीक्षार्थी भी शामिल थीं

 

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