Covid-19 के नए वेरिएंट JN.1 पर क्या बोले एक्सपर्ट्स
कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों की तादाद एक बार फिर से बढ़ने लगी है। राष्ट्र के भिन्न-भिन्न राज्यों में कोविड-19 के नए मुकदमा दर्ज किए जा रहे हैं। ऐसे समय में घबराने के बजाए यह समझने की आवश्यकता है कि कोविड-19 का नया वैरिएंट कितना घातक है और इससे कैसे बचा जा सकता है? Covid-19 के नए वैरिएंट JN.1 के कई मुद्दे पूरे विश्व में दर्ज किए गए हैं लेकिन इसके फैलने की रेट पर अभी कोई साफ जानकारी सामने नहीं आई है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का बोलना है कि जब तक लोगों के अंदर JN.1 वैरिएंट के विरुद्ध बीमारी प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हो जाती, तब इसके मुद्दे बढ़ते रहेंगे।
क्या हैं कोविड-19 के लक्षण?
कोरोना के नए JN.1 वैरिएंट से संक्रमित रोगियों में कई तरह की दिक्कतें देखने को मिल रही हैं। जैसे शरीर में थकान के साथ दर्द, गले में खराश और सांस लेने में दिक्कत। एक्सपर्ट्स के अनुसार इसके लक्षण इन्फ्लूएंजा की तरह हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स का बोलना है कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच बुजुर्गों का अधिक ख्याल रखना होगा।
केरल में मिला पहला मामला
JN.1 वैरिएंट का पहला मुद्दा 16 दिसंबर को केरल में दर्ज किया गया। जहां एक स्त्री में Covid-19 का ये नया वैरिएंट मिला। हालांकि विश्व में इसका पहला मुकदमा लक्जमबर्ग में रिकॉर्ड किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 38 राष्ट्रों में JN.1 वैरिएंट के मुद्दे देखे जा चुके हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोविड-19 एक चक्रीय रोग बन गई है जिसके मुद्दे कई बार बढ़ेंगे और कई बार कम होकर आएंगे।
कैसे पैदा होता है नया वैरिएंट?
हेल्थ एक्सपर्ट्स का बोलना है कि कोविड-19 वायरस एंटीबॉडी से बचने के लिए के स्वयं का रूप बदल (उत्परिवर्तन) लेता है। जब वायरस का रूप बदल जाता है तो नया वैरिएंट पैदा होता है। यही कारण है कि इसके आंकड़ों में उछाल देखने को मिलता है। हालांकि, JN.1 वैरिएंट कितना घातक हो सकता है? अब तक इसका कोई परफेक्ट अनुमान नहीं लगाया गया है लेकिन इसके बावजूद सर्तक रहने की आवश्यकता है।
त्योहारी सीजन बचकर रहना जरूरी
त्योहारी सीजन में गैर-जरूरी आवाजाही पर कंट्रोल करना होगा। जानकारों ने हिंदुस्तान में नए वैरिएंट को लेकर अलर्ट रहने की आवश्यकता बताई है, साथ में मास्क और हैंडवाश की जरूरत पर बल दिया है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का बोलना है कि महत्वपूर्ण जगहों पर स्क्रीनिंग की संख्या में बढ़ोत्तरी किया जाना चाहिए और लक्षण महसूस होने पर टेस्ट कराना नहीं भूलना है।