उत्तर प्रदेश

दवा लिखने का अधिकार मांग रहे डेढ़ लाख फार्मासिस्ट,यहाँ जानिए क्या हो सकती है वजह

9 जनवरी को यूपी के सभी शहरों में फार्मासिस्ट अधिकार दिवस मनाया जा रहा है इस मौके पर फार्मासिस्टों ने प्राथमिक इलाज का प्रिस्क्रिप्शन राइट यानी की दवा लिखने समेत 12 सूत्रीय मांगों का एक ज्ञापन भी सीएम को भेजने की बात कही है फार्मासिस्टों का बोलना है कि यदि उन्हें दवा लिखने का अधिकार मिलता है, तो इससे लोगों को सीधा लाभ होगा और उन्हें गलत दवा नहीं खानी पड़ेगी

दरअसल, 9 जनवरी को यूथ फार्मासिस्ट फेडरेशन ने अपने द्वितीय स्थापना दिवस के अवसर पर पूरे प्रदेश में फार्मासिस्ट अधिकार दिवस मनाया राजधानी स्थित वन विभाग मुख्यालय के सांख्यिकी सेवा संघ कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान भारी संख्या में जुटे फार्मासिस्टों ने प्राथमिक इलाज के दौरान दवा लिखने की मांग की है

लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से बचाया जा सकता है
फार्मासिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा है कि प्रदेश के सभी जनपदों में आज फार्मासिस्ट अधिकार दिवस के रूप में मनाया जा रहा है उन्होंने कहा कि आज भी बहुत से रोगियों को विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अप्रशिक्षित लोग दवा दे रहे हैं, जिससे रोगियों को गंभीर हानि हो रहा है उन्होंने बोला कि एंटीबायोटिक दवाओं का असर समाप्त हो रहा है, लेकिन यदि फार्मासिस्टों को प्राथमिक इलाज का अधिकार मिल जाए तो बहुत से लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से बचाया जा सकता है

इससे सबसे बड़ा लाभ रोगियों को होगा
फार्मासिस्टों की लंबे समय से दवाओं के प्रिस्क्रिप्शन लिखने की मांग है, लेकिन यह अधिकार अभी तक नहीं मिला है प्रदेश में लगभग एक लाख 50 हजार फार्मासिस्ट दर्ज़ हैं यदि फार्मासिस्टों को यह अधिकार मिलता है तो इससे सबसे बड़ा लाभ रोगियों को होगा उन्होंने बोला है कि हमारे प्रदेश में आंगनबाड़ी और आशा बहू को नेशनल प्रोग्राम के अनुसार दवाएँ बांटने का अधिकार है, लेकिन फार्मासिस्टों को यह अधिकार नहीं मिला है फार्मासिस्ट फार्माकोलॉजी का शोध करते हैं और उनकी पढ़ाई में यह शामिल होता है, चिकित्सक भी फार्माकोलॉजी पढ़कर ही दवाएँ लिखते हैं ऐसे में, फार्मासिस्टों को दवाओं के प्रिस्क्रिप्शन लिखने का अधिकार मिलना चाहिए कुछ प्रदेशों में यह प्रबंध पहले से ही उपस्थित है और इसका अच्छा असर देखा गया है

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