उत्तर प्रदेश

फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने के आरोप में हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के चार सदस्यों को किया गिरफ्तार

लखनऊ: सोमवार (12 फरवरी) को हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़े एक मुद्दे की जांच कर रही यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने के इल्जाम में मुंबई स्थित हलाल काउंसिल ऑफ इण्डिया के चार सदस्यों को अरैस्ट किया है. विशेष रूप से, राज्य में बेचे जाने वाले उत्पादों के लिए गैरकानूनी हलाल प्रमाणपत्र जारी करने के लिए हलाल काउंसिल ऑफ इण्डिया सहित तीन फर्मों के विरुद्ध नवंबर 2023 में लखनऊ, यूपी में एक FIR दर्ज की गई थी.

FIR के कुछ दिन बाद मुद्दा लखनऊ पुलिस से जांच के लिए STF को ट्रांसफर कर दिया गया. हलाल काउंसिल ऑफ इण्डिया के चार सदस्यों की पहचान इसके अध्यक्ष मौलाना हबीब यूसुफ पटेल, उपाध्यक्ष मौलाना मोइदशीर सपड़िया, महासचिव मोहम्मद ताहिर जाकिर हुसैन चौहान और कोषाध्यक्ष मोहम्मद अनवर के रूप में की गई है. जांच टीम ने उनके कब्जे से आधार कार्ड, डेबिट कार्ड, पैन कार्ड, टेलीफोन और नकदी सहित डॉक्यूमेंट्स बरामद किए. लखनऊ स्थित उनके कार्यालय में पूछताछ के बाद उन्हें अरैस्ट कर लिया गया. पुलिस ने एक बयान में कहा है कि आरोपियों ने पूछताछ के दौरान बोला कि उन्होंने राज्य में कई कंपनियों को “हलाल प्रमाणपत्र” प्रदान किया था. कंपनी पर मांस और गैर-मांस उत्पादों के लिए गैरकानूनी हलाल प्रमाणपत्र जारी करने का इल्जाम लगाया गया है.

पुलिस ने कहा कि हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया,, नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर सर्टिफिकेशन बॉडीज या किसी अन्य सरकारी एजेंसी द्वारा अधिकृत नहीं है. पुलिस ने बोला कि, “गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों ने पूछताछ के दौरान अपने कार्यों को कबूल कर लिया है. प्रमाणपत्र जारी करने के लिए कोई प्रयोगशाला परीक्षण नहीं किया गया. भोजन तैयार करने की प्रक्रिया पर कोई नियंत्रण न होने के बावजूद रेस्तरां के लिए प्रमाणपत्र जारी किए गए. आय और व्यय के संबंध में वित्तीय रिकॉर्ड अस्पष्ट थे.

कंपनी अपने “ग्राहकों” से प्रमाणन के लिए 10,000 रुपये और प्रति उत्पाद 1,000 रुपये का वार्षिक शुल्क ले रही थी. दिलचस्प बात यह है कि यह प्रमाणन उत्पादन प्रक्रिया के किसी परीक्षण या सत्यापन के बिना जारी किया गया था.

उत्तर प्रदेश में हलाल बैन

नवंबर 2023 में, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी गवर्नमेंट ने राज्य में हलाल-प्रमाणित खाद्य उत्पादों पर तुरन्त प्रतिबंध लगा दिया, जिससे निर्यात के लिए छोड़कर सभी हलाल-प्रमाणित खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री को क्राइम घोषित कर दिया गया. प्रतिबंध के बाद, हलाल इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड (चेन्नई), जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट (दिल्ली), जमीयत उलेमा (मुंबई) और हलाल काउंसिल ऑफ इण्डिया (मुंबई) समेत कई कंपनियों के विरुद्ध FIR दर्ज की गई थी.

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120-बी, 153-ए, 298, 384, 420, 467, 468, 471 और 505 के अनुसार FIR लखनऊ के एक आदमी की कम्पलेन के आधार पर दर्ज की गई थी, जिसमें शिकायतकर्ता ने कुछ बोला था कंपनियां फर्जी हलाल सर्टिफिकेट जारी कर रही थीं. कम्पलेन में बोला गया है, “ये कंपनियां एक विशिष्ट समुदाय को लक्ष्य करके ये प्रमाणपत्र तैयार कर रही हैं और इन प्रमाणपत्रों के बिना उत्पादों की बिक्री कम करने का आपराधिक कृत्य किया जा रहा है.

शिकायतकर्ता ने कहा कि गैर-मांस उत्पादों के लिए ऐसे प्रमाणपत्र जारी करने से अन्य धार्मिक समुदायों की व्यावसायिक संभावनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ता है. विशेष रूप से, तेल, साबुन, टूथपेस्ट, शहद, आटा और अन्य उत्पादों को “हलाल प्रमाणित” किया जा रहा था.

SC ने हलाल प्रमाणन फर्मों को दी थी राहत:-

12 फरवरी को, हिंदुस्तान के सर्वोच्च कोर्ट ने आदेश दिया कि हलाल इण्डिया लिमिटेड और जमीयत उलमा सहित हलाल प्रमाणन फर्मों के विरुद्ध FIR पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती है. जमीयत उलमा ए-हिंद ट्रस्ट को 25 जनवरी को शीर्ष न्यायालय से पहले ही सुरक्षा मिल चुकी है. उन्होंने सुरक्षा के लिए सत्र कोर्ट लखनऊ में अपील दाखिल की थी, लेकिन वे इसे सुरक्षित करने में विफल रहे. उल्लेखनीय है कि पूर्व राज्यसभा सदस्य महमूद मदनी जमीयत उलमा ए-हिंद के अध्यक्ष हैं.

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने अपने आदेश में बोला था कि, ”हम वही आदेश पारित करेंगे, जो हमने दूसरी याचिका में जारी किया था. 17 नवंबर, 2023 को लखनऊ के हजरतगंज थाने द्वारा दर्ज एक आपराधिक मुद्दे के संबंध में याचिकाकर्ता और पदाधिकारियों के विरुद्ध कोई सख्त कदम नहीं उठाया जाएगा.मुसलमान संगठनों का दावा है कि उत्तर प्रदेश में हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध का असर पूरे राष्ट्र में होगा.

उन्होंने न्यायालय को कहा था कि, “अधिसूचना के व्यापक असर और हलाल-प्रमाणित उत्पादों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और वितरण पर प्रतिबंध ने पूरे हिंदुस्तान में लोगों में भय पैदा कर दिया है. अधिसूचना और FIR का राष्ट्रव्यापी असर हुआ है, जिसने विशेष रूप से इस्लामी समुदाय को प्रभावित किया है और यह संभावना पैदा की है कि उत्तर प्रदेश द्वारा प्रारम्भ की गई प्रथा को अन्य राज्यों द्वारा दोहराया जा सकता है, जिससे व्यापक भय बढ़ गया है.

 

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