इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेली दंगे में आरोपी मौलाना तौकीर रजा को दी राहत
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 में बरेली दंगे में बतौर आरोपी जारी समन और गैर जमानती वारंट के विरुद्ध मौलाना तौकीर रजा को फौरी राहत दी है. न्यायालय ने उन्हें 27 मार्च तक ट्रायल न्यायालय में सरेंडर कर जमानत अर्जी दाखिल करने तक छूट देते हुए वारंट के अमल पर रोक लगा दी है. हालांकि, न्यायालय ने यह साफ किया है कि वह गैर जमानती वारंट पर हस्तक्षेप नहीं करेगी. सिर्फ़ होली त्योहार की वजह से सरेंडर करने का अवसर दिया है. न्यायालय ने आदेश में ट्रायल न्यायालय न्यायधीश द्वारा निजी अनुभव के आधार पर टिप्पणी करने की आलोचना की है और आदेश के पेज छह के पैरा आठ को हटा दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दिया. न्यायालय ने राज्य गवर्नमेंट से दो सप्ताह में याचिका पर उत्तर मांगा है और सुनवाई के लिए चार सप्ताह बाद पेश करने का निर्देश दिया है. इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल के चीफ मौलाना तौकीर रजा पर बरेली में 2010 में दंगा भड़काने का इल्जाम है. बरेली की न्यायालय ने मौलाना तौकीर रजा को इस मुद्दे में अभियुक्त मानते हुए सीआरपीसी की धारा 319 के अनुसार समन जारी किया. सम्मन पर मौलाना के मौजूद नहीं होने पर न्यायालय ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है.
अदालत में पेश नहीं होने पर उसके विरुद्ध दो बार गैर जमानती वारंट जारी हो चुका है. याचिका में समन आदेश को चुनौती दी गई है. याची की ओर से बोला गया कि बिना किसी आवेदन के ट्रायल न्यायधीश ने उनको गवाहों के बयान के आधार पर स्वत: संज्ञान लेकर तलब किया है, जबकि उसके मुद्दे में फाइनल रिपोर्ट लग चुकी है. सरकारी वकील ने याचिका का विरोध करते हुए बोला कि तौकीर रजा 2010 में हुए बरेली दंगे का मास्टर माइंड है. उसके विरुद्ध काफी साक्ष्य है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने तौकीर रजा को 27 मार्च तक सरेंडर कर जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत करने के लिए बोला है.