इंडियन आइडल विजेता वैभव बोले…
मो। रफी साहब के गाने के सुरों को पकड़ने के लिए दो सौ बार सुना
मैं नानकारी, कानपुर का हूं लेकिन मेरी आवाज को सुनने के बाद सभी मुझे राजस्थान का समझ लेते थे। लोग कहते थे आवाज में वही सूफियानापन है, जो राजस्थान या हरियाणा के गायकी में देखने को मिलता है। मैंने गायन बड़े गायकों को सुनकर सीखा है। कई बार गीत के सुरों को साधने में घंटों लग जाते हैं। मो। रफी साहब का गाया गीत अहसान तेरा होगा मुझ पर… के सुरों को सीखने के लिए उस गीत को करीब दो सौ बार से अधिक बार गुनगुनाया, तब मन भर गा सका।
सुखविंदर ने स्वयं पहनाए जूते तो विश्वास नहीं हुआ
जब मैं काफी छोटा था, तब एक बार गायक सुखविंदर सिंह आईआईटी के कार्यक्रम में आए थे, मैं जाना चाहता था लेकिन जा नहीं पाया। उस रात उनके गीतों को मैंने छत पर खड़े हाेकर सुना। उन्हीं सुखविंदर सिंह से जब भारतीय आइडल के सेट पर मुलाकात हुई तो उन्होंने मेना गाना सुनने के बाद मुझे जूते पहनाए, तो विश्वास नहीं हुआ कि मेरे आदर्श इस तरह से सम्मानित कर सकते हैं। ऑडिशन में जाने से पहले बाबा आनंदेश्वर का आशीर्वाद लिया था। पुरस्कार में मिली रकम से मुंबई में अपना स्टूडियो खोलेंगे। परफार्मेंस देने का अंदाज शशांक दीक्षित से और क्लासिकल गाने की विधा अनंत गुप्ता से सीखी। नए गायकों को चाहिए कि वह तानपुरा का इस्तेमाल रियाज में करें। इसमें कोई एक स्केल लगाकर सा को साधने की प्रयास करें, सा सधगया तो समझो सब सध गया।
26 जनवरी के कार्यक्रम में इस कोने में बैठा था पापा
अमर उजाला कार्यालय आने पर वैभव ने कहा कि जब वह छह वर्ष के थे, तब 26 जनवरी के अवसर पर मीडिया कार्यालय में गायन प्रतियोगिता हुई थी। इसमें भाग लेने के लिए वह आए थे। साथ आए पिता और दोस्तों को उस स्थान को दिखाते हुए कहे तब उस कार्यक्रम में मैं यहां बैठा था। आज फिर आने का मौका मिला काफी अच्छा लगा।