बीएचयू में शैक्षणिक सत्र 2024-25 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 होगी लागू
बीएचयू में शैक्षणिक सत्र 2024-25 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू कर दी जाएगी. बुधवार को हुए विद्वत परिषद (एकेडमिक काउंसिल) की बैठक में नए सत्र से चार वर्षीय अध्ययन के साथ स्नातक ऑनर्स सहित अन्य पाठ्यक्रमों को स्वीकृति दे दी गई. विद्वत परिषद ने संकायों में चल रहे विभिन्न पाठ्यक्रमों की फीस की भिन्नताएं दूर करने की भी संस्तुति की.
कुलपति प्रो। सुधीर कुमार जैन की अध्यक्षता में आयोजित विद्वत परिषद की बैठक में नए सत्र से एनईपी लागू करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई. ऑनर्स और अध्ययन में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम इस प्रस्ताव का जरूरी बिंदु है. इन पाठ्यक्रमों के नाम स्नातक ऑनर्स तथा स्नातक ऑनर्स विद रिसर्च तय किए गए हैं. प्रस्ताव के अनुसार प्रवेश पाने वाले कुल विद्यार्थियों में 7.5 सीजीपीए से अधिक अंक पाने वाले दस फीसदी विद्यार्थी मेरिट के आधार पर स्नातक ऑनर्स विद रिसर्च में प्रवेश पा सकेंगे. चार वर्षीय पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद वह सीधे अध्ययन पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकेंगे. सभी स्नातक विद्यार्थियों को मल्टीडिसिप्लिनरी कोर्सेस, कौशल विकास, क्षमता विकास, वैल्यू ऐडेड कोर्स के साथ साथ इंटर्नशिप भी करनी होगी. स्नातक ऑनर्स विद रीसर्च के विद्यार्थियों को आखिरी सेमेस्टर में डिजर्टेशन भी प्रस्तुत करना होगा. विद्वत परिषद ने आनें वाले सत्र के लिए विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों की फीस के युक्तीकरण को भी स्वीकृति दे दी. यूनिवर्सिटी की ओर से फीस में एकरूपता लाने तथा जटिलताओं को खत्म करने का कोशिश किया गया है. बैठक में कुलपति ने सभी विद्यार्थियों का कौशल और चरित्र विकास कर उन्हें उत्तरदायी नागरिक बनाने पर भी बल दिया. उन्होंने बोला कि इस बारे में अभी काफी काम करना बाकी है. कुलसचिव प्रो। अरुण कुमार सिंह ने विद्वत परिषद की विशेष बैठक का संचालन किया. प्रो। मुकुल राज मेहता ने एनईपी के क्रियान्वयन के संदर्भ में प्रस्तुतिकरण दिया. प्रो। राकेश रमन ने 2024-25 में स्नातक प्रवेश सूचना विवरणिका और फीस के प्रस्तावित युक्तीकरण की रूपरेखा प्रस्तुत की.
70 फीसदी उपस्थिति पर मिलेगा हॉस्टल
विद्वत परिषद ने कम से कम 70 फीसदी उपस्थिति वाले विद्यार्थियों को छात्रावास देने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगा दी. साथ ही तय किया कि विधि संकाय में चल रहा पांच वर्षीय बीएएलएलबी पाठ्यक्रम अपने मौजूदा स्वरूप में ही चलता रहेगा क्योंकि यह विशेष श्रेणी का पाठ्यक्रम है और एनईपी के दायरे में नहीं आता. इसी प्रकार दक्षिणी परिसर में चल रहे कौशल विकास के पेशेवर पाठ्यक्रम तथा विशिष्ट नियामक इकाईयों की ओर से नियंत्रित कोर्स भी अपरिवर्तित रहेंगे. विभागों को बोला गया है कि वह अपने यहां चल रहे पाठ्यक्रमों के संबंध में जरूरी समीक्षा करें और प्रस्तावित सुधारों को कारगर बनाने के लिए महत्वपूर्ण तैयारी कर लें.