लोकसभा चुनाव में सुचेता कृपलानी ने चुना गोंडा संसदीय सीट को…
उतरौला विधानसभा की जनता को आजाद हिंदुस्तान की पहली स्त्री सीएम सुचेता कृपलानी को संसद भेजने का गौरव हासिल है. संयोग कहें कि जिले का सौभाग्य, 1963 में यूपी की सीएम बनने के बाद 1967 के लोकसभा चुनाव में सुचेता कृपलानी ने गोंडा संसदीय सीट को चुनाव लड़ने के लिए चुना. उन्हें जीत भी मिली. यही नहीं, गोंडा की सांसद रहते हुए ही उन्होंने राजनीति से संन्यास भी ले लिया
स्वतंत्रता आंदोलन में एक्टिव रहने वाली सुचेता कृपलानी ने साल 1940 में अखिल भारतीय स्त्री कांग्रेस पार्टी की स्थापना की. 1942 में हिंदुस्तान छोड़ो आंदोलन से जुड़ीं और एक वर्ष कारावास में रहीं. 1946 में वह संविधान सभा की सदस्य और 1949 में संयुक्त देश महासभा में प्रतिनिधि चुनी गईं.
आजादी के बाद जब जेबी कृपलानी ने जवाहर लाल नेहरू से अलग होकर किसान मजदूर प्रजा पार्टी बनाई तो 1952 में वह किसान मजदूर पार्टी से नयी दिल्ली की सांसद बनीं. कुछ दिन बाद वह फिर कांग्रेस पार्टी में लौटीं ओर 1957 में कांग्रेस पार्टी से दोबारा दिल्ली की संसद बनीं.
जवाहरलाल नेहरू गवर्नमेंट में वह राज्यमंत्री रहीं. पीएम जवाहरलाल नेहरू ने अचानक सुचेता कृपलानी को उत्तर प्रदेश भेजा, वह बस्ती जिले की मेंढवाल विधानसभा सीट से विधायक चुनी गईं. 1963-1967 तक वह प्रदेश की सीएम रहीं. इसी दौरान 1967 में गोंडा संसदीय सीट से चुनाव जीतकर सुचेता फिर से संसद पहुंचीं. इस बीच 1971 में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया.
गोंडा बनी थी वीवीआईपी सीट
गोंडा संसदीय सीट से 1967 में स्वतंत्र पार्टी से केडीआर पांडेय ने कांग्रेस पार्टी की सुचेता कृपलानी को कड़ी भिड़न्त दी थी. चुनाव में सुचेता को एक लाख चार हजार 904 मत हासिल हुए, वहीं केडीआर पांडेय को 93 हजार 243 मिले. तब गोंडा सीट वीवीआईपी सीटों में शुमार हुई थी.