उत्तर प्रदेश

मुलायम सिंह यादव को क्यों खास लगाव था इटावा के इस कॉलेज से

समाजवादी पार्टी के संस्थापक नेताजी मुलायम सिंह यादव का यूपी के इटावा मुख्यालय स्थित केके कॉलेज से खास लगाव रहा है. असल में केके कॉलेज को नेताजी की पहली पाठशाला बोला जाता है क्योंकि उन्होंने इस कॉलेज में स्नातक की ना सिर्फ़ पढ़ाई हुई है बल्कि वे पहले विद्यार्थी संघ के अध्यक्ष भी रहे हैं. नेताजी मुलायम सिंह यादव बेशक आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद कॉलेज के प्राचार्य और शिक्षक उनकी स्मृतियों को अभी भी साझा करते हुए नजर आते हैं. खेत खलिहान की राजनीति के जरिए राष्ट्र की शीर्ष राजनीति में शुमार होने वाले राजनेताओं में नेताजी का नाम हमेशा ही सबसे आगे रहा है.

मुलायम के नगर इटावा केके कॉलेज का अपना एक अलग ही महत्व है क्योकि इसी कॉलेज से प्रथम बैच के अभ्यार्थी रहे हैं मुलायम सिंह यादव. उनकी विद्यार्थी राजनीति भले ही उस समय के प्रतिष्ठित इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से न जुड़ी हो, लेकिन इटावा के केके कॉलेज में मुलायम सिंह यादव ने राजनीति की आरंभ की और देखते ही देखते इटावा से निकलकर प्रदेश और राष्ट्र की ओर आगे बढ़ गए.

केके कॉलेज में विद्यार्थी संघ के अध्यक्ष थे नेताजी

इटावा का केके कॉलेज मुलायम सिंह यादव के राष्ट्र की शीर्ष राजनीति पर आने पर बहुत गदगद नजर आ रहा है क्योंकि मुलायम सिंह यादव की प्रांरभिक शिक्षा इसी कॉलेज में हुई है. पहली बार मुलायम सिंह यादव छात्रसंघ के अध्यक्ष बने. इसके बाद से इस कॉलेज से मुलायम सिंह यादव का गहरा लगाव रहा है. मुलायम सिंह यादव का खासा लगाव इस कॉलेज से है, इस बात को साबित करने के लिए कॉलेज के प्रबंधतंत्र ने मुलायम सिंह की यादों से जुड़ी अनेक फोटोज़ संकलित करके रखी हुई है. मुलायम सिंह यादव ने स्तानक की शिक्षा इसी कॉलेज में 1961 में हासिल की. फिर शोध के दौरान छात्रसंध की स्थापना कराई और पहली बार छात्रसंध के अध्यक्ष बन करके सियासी जीवन में कदम रखने में सफल हुए.

कॉलेज के प्राचार्य डाक्टर महेंद्र सिंह समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव की जयंती पर उनसे जुड़ी हुई स्मृतियों को साझा करते है. उनके कॉलेज का कोई विद्यार्थी आज राष्ट्र की राजनीति में ना सिर्फ़ शीर्ष पर है, बल्कि दूसरे विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्त्रोत भी बने है. कॉलेज के मुख्य अनुशासन अधिकारी एसएस यादव का बोलना है कि मुलायम सिंह यादव अपने विद्यार्थी जीवन में बहुत ओजस्वी, लोकहित चितंक रहे हैं. मुलायम बीए प्रथम साल के कॉलेज के पहले बैच के विद्यार्थी थे. 1661 में मुलायम सिंह यादव इस कॉलेज में शोध रत रहे हैं. उनके समय में पढ़े विद्यार्थी आईएएस,आईपीएस के अतिरिक्त केंद्रीय मंत्री स्तर तक जा पहुंचे है. कॉलेज के संस्थापक हजारी लाल वर्मा से उनका बहुत लगाव हुआ करता था. मुलायम सिंह यादव को विद्यार्थी जीवन में पहलवानी का बहुत शौक था. यहां अध्ययनरत होने के दौरान वे कॉलेज की ओर से आगरा कुश्ती टीम के कप्तान बन कर गए और जीत करके वापस लौटे.

इटावा में हुआ था मुलायम सिंह यादव का जन्म

मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम सुघर सिंह और माता का नाम मूर्ति देवी था. मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 1954 में केवल 15 वर्ष की उम्र में नेता डाक्टर राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर नहर दर आन्दोलन में भाग लिया और पहली बार कारावास गए. वर्ष 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गए. दोबारा 1974, 77, 85, 89, 91, 93, 1996 और 2004 और 2007 में दस बार यूपी विधानसभा के सदस्य चुने गए.

मुलायम सिंह यादव 1989 से 1991 तक, 1993 से 1995 तक और वर्ष 2003 से 2007 तक तीन बार यूपी के सीएम रहे चुके हैं. वर्ष 1982 से 1985 तक वो यूपी विधान परिषद के सदस्य और नेता विरोधी दल रह चुके हैं. वर्ष 1985 से 1987 तक यूपी विधान सभा में नेता, विरोधी दल रह चुके हैं. दोबारा 14 मई 2007 से 26 मई 2009 तक यूपी विधानसभा में नेता, विरोधी दल चुके हैं. वर्ष 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में मुलायम लोकसभा के सदस्य चुने गए. पीएम एचडी देवेगौड़ा और इन्द्र कुमार गुजराल की सरकारों में 1996 से 1998 तक हिंदुस्तान के रक्षामंत्री का पदभार संभाला. मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में 4 और 5 नवंबर 1992 को लखनऊ में सपा की स्थापना की गई.

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