UP से दिख रही राहुल-प्रियंका की दूरी, मोदी-योगी खूब दिखा रहे अपनी ताकत
ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने यूपी को लेकर अपनी रणनीति में कोई बड़ा परिवर्तन किया है. तभी तो स्टार प्रचारक के रूप में पार्टी की ओर से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने अब तक राज्य में प्रचार में अपनी ताकत नहीं दिखाई है. प्रदेश कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष अजय राय पीएम मोदी के विरुद्ध वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में वे अपने प्रचार में व्यस्त हैं. दूसरी ओर राज्य के प्रभारी अविनाश पांडे इण्डिया गठबंधन के समन्वय पर अपना ध्यान दे रहे हैं. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लगभग प्रचार से दूर रहे हैं. दोनों ने दो चरणों के चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में केवल एक-एक चुनावी प्रचार किया है.
26 अप्रैल तक तीन हफ्तों में, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 38 रैलियों और प्रबुद्ध सम्मेलनों (बुद्धिजीवियों के सम्मेलन) को संबोधित किया था. वहीं, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 अप्रैल तक सात सार्वजनिक बैठकों को संबोधित किया और दो रोड शो का नेतृत्व किया. दूसरी ओर देखें तो एआईसीसी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सहारनपुर में एक रोड शो किया था, जो उन्होंने पार्टी उम्मीदवार इमरान मसूद के लिए आयोजित किया था. इस दौरान राहुल गांधी ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के साथ संयुक्त रूप से कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी दानिश अली के लिए अमरोहा में केवल एक रैली को संबोधित किया. उत्तर प्रदेश में पिछले कई चुनावों में कांग्रेस पार्टी के अभियानों का नेतृत्व दोनों भाई-बहन में से किसी एक ने जरूर किया है.
अब तक अभियान में उनकी अनुपस्थिति महसूस की जा रही है, जबकि पार्टी कैडर शेष चरणों के लिए अपना आत्मशक्ति बढ़ाने के लिए अमेठी और रायबरेली से उनके नामों की घोषणा का प्रतीक्षा कर रहा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 26 सीटों में से अब तक दो चरणों में 16 सीटों पर मतदान हो चुका है. बाकी 10 सीटों पर तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होगा इण्डिया ब्लॉक के हिस्से के रूप में कांग्रेस पार्टी एसपी के साथ गठबंधन में पूरे उत्तर प्रदेश में जिन 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उनमें से छह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हैं. इनमें से पांच पर पहले दो चरणों में मतदान हुआ.
कांग्रेस की सहयोगी पार्टी समाजवादी पार्टी अपना प्रचार अभियान तेज करने की प्रयास कर रही है, जो मुख्य रूप से अखिलेश यादव पर निर्भर है. अखिलेश के चाचा शिवपाल बड़े पैमाने पर अपने बेटे आदित्य यादव के लिए चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं, जो बदायूँ में पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. 12 अप्रैल को पीलीभीत से अपना चुनावी अभियान प्रारम्भ करने वाले अखिलेश पिछले 14 दिनों में सिर्फ़ आठ सार्वजनिक सभाओं को संबोधित कर पाए हैं, जिनमें बिजनौर, मेरठ, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, मोरादाबाद, गौतम बुद्ध नगर और एटा शामिल हैं.
तीसरा चरण समाजवादी पार्टी के लिए भी जरूरी होगा क्योंकि चुनाव में तीन सीटें उसका गढ़ हैं, जिनमें डिंपल यादव मैनपुरी से और अखिलेश के चचेरे भाई अक्षय और आदित्य क्रमशः फिरोजाबाद और बदांयू से चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि इण्डिया उम्मीदवार अखिलेश और राहुल की संयुक्त रैलियों से फायदा की आशा कर रहे थे, लेकिन पहले दो चरणों में सिर्फ़ एक की प्रबंध की जा सकी, वह भी कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार के लिए.
इसके विपरीत, मुख्यमंत्री योगी ने सार्वजनिक बैठकों या प्रबुद्ध सम्मेलनों के माध्यम से कई निर्वाचन क्षेत्रों को दो बार, कुछ को तीन बार भी छुआ है. उन्होंने लगभग चार हफ्ते पहले मथुरा में एक प्रबुद्ध सम्मेलन के साथ आरंभ की, और मेरठ, गाजियाबाद, शामली, सहारनपुर, बिजनोर, अमरोहा, हाथरस, बुलंदशहर, गौरम बुद्ध नगर, पीलीभीत, बदांयू, बरेली और आगरा में ऐसे सम्मेलनों को संबोधित किया. पिछले दो हफ्तों में, आदित्यनाथ ने मथुरा, बागपत, अलीगढ़, सहारनपुर, बिजनोर, नगीना, रामपुर, हापुड, मुजफ्फरनगर, कैराना, मोरादाबाद, पीलीभीत और गौतम बुद्ध नगर सहित अन्य स्थानों में सार्वजनिक बैठकों को संबोधित किया है. नगीना, बागपत और सहारनपुर जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में, उन्होंने पिछले महीने में दो से अधिक रैलियों को संबोधित किया है.