उत्तर प्रदेश

Varanasi: खास तकनीक से हो रहा अस्सी नाले के सीवर का शोधन

अस्सी नाले के सीवर का अध्ययन यूवी फोटोकैटलिसिस तकनीक से किया जा रहा है. प्रतिदिन 30 एमएलडी सीवर के शोधन के लिए एडवांस्ड ऑक्सीडेशन प्रोसेस को अपनाया जा रहा है. ट्रायल के तौर पर सीवर शोधन की प्रक्रिया प्रारम्भ होने से नमामि गंगे परियोजना के अनुसार जल्द ही अस्सी नाले के संपूर्ण सीवर को सीधे गंगा में जाने से रोका जा सकेगा.

रविवार को संत रविदास घाट के बगल में स्थित नगवां पंपिंग स्टेशन पर नमामि गंगे की टीम ने सीवर शोधन की प्रक्रिया को जांचा और परखा. नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ल के नेतृत्व में पहुंची टीम को अस्सी नाले के 30 एमएलडी सीवर की शोधन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. अभी अस्सी नाले के 50 एमएलडी सीवर को नगवां पंपिंग स्टेशन से रमना सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भेजा जा रहा है. वहीं अस्सी नाले के बचे हुए 30 एमएलडी सीवर को उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया के द्वारा शोधित किया जा रहा है.

इंजीनियर आशुतोष सिंह और ऑपरेटर प्रशांत सिंह ने कहा कि अभी यह प्रक्रिया ट्रायल के रूप में प्रारम्भ हुई है. उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया (एडवांस्ड ऑक्सीडेशन प्रोसेस) के जल इलाज के क्षेत्र में कई लाभ हैं. इस नयी तकनीक से अब खराब और गंदे पानी को भी पीने के लायक बनाया जा सकेगा.

यूवी-फोटोकैटलिसिस पर आधारित यह तकनीक नगर निगम के सीवेज और औद्योगिकी इकाइयों से निकलने वाले अत्यधिक प्रदूषित खराब पानी का भी ट्रीटमेंट कर सकती है. काशी क्षेत्र के संयोजक ने बोला कि हिंदुस्तान की शाश्वत पहचान आस्था और आजीविका मां गंगा के लिए नमामि गंगे परियोजना के अनुसार किया जा रहा कार्य संजीवनी साबित हो रहा है.

 

गंगा निर्मलीकरण के लक्ष्य को साकार करने के लिए नमामि गंगे परियोजना संकल्पित है. इस दौरान इंजीनियर आशुतोष सिंह और आपरेटर प्रशांत सिंह उपस्थित रहे.

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