33 साल पहले हुई थी राम मंदिर निर्माण की भविष्यवाणी, जानकर रह जाएगे दंग
अयोध्या : अयोध्या में पीएम मोदी द्वारा रामलला (Ram lala) की प्राण प्रतिष्ठा के बाद 23 जनवरी से यह मंदिर आम लोगों के लिए खुल गया। बता दें कि 500 वर्ष से अधिक समय तक चले राम जन्मभूमि टकराव के बाद प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के कोशिश से अब देश-दुनिया के राम भक्तों के लिए खुशी का क्षण आया। लेकिन, कम ही लोग जानते हैं कि राम जन्मभूमि के लिए आरएसएस, बीजेपी और अन्य का संघर्ष कैसा रहा होगा। इसका ब्लूप्रिंट श्रीकृष्ण की भूमि पर तैयार किया गया था।
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पीएम मोदी हाल ही में मथुरा गए थे और तब उनकी बातों से ऐसा लग गया था कि प्रभु श्रीराम को उनके मंदिर में स्थापित कर देने के बाद अब बारी मथुरा की है। इसे संवारने का काम भी उनके हाथों ही होगा। इसके पहले प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में स्थित काशी-विश्वनाथ मंदिर और उनकी नगरी को संवारने का काम कर चुके हैं और आज भी उनकी तरफ से काशी में बचे हुए कामों को आगे बढ़ाने का कोशिश सतत जारी है।
सोशल मीडिया एक्स पर मोदी आर्काइव एकाउंट पर इसके बारे में जानकारी साझा की गई है। इसमें लिखा गया है कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर का खाका श्री कृष्ण की धरती से तैयार किया गया था। इसके मुताबिक 1991 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की एक बैठक वृन्दावन में हुई थी। इस बैठक में नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे। वह तब बीजेपी के कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहे थे। वह संघ से पहले से ही जुड़े थे। ऐसे में वह आरएसएस प्रतिनिधियों की इस बैठक में शामिल होने आये थे।
इसके साथ एक फोटो भी शेयर किया गया है, इसमें उन्हें जमीन पर बैठकर दूसरों के साथ खाना खाते देखा जा सकता है। इस बैठक के दौरान आरएसएस की तरफ से अयोध्या में ईश्वर श्री राम के मंदिर के निर्माण के लिए हर तरह के बलिदान का संकल्प लिया गया था। साथ ही राम जन्मभूमि आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए लोग यहां सकल्पित हुए थे। इसी धर्म संसद बैठक के बाद ही विश्व हिंदू परिषद ने भी अयोध्या में कारसेवा फिर से प्रारम्भ करने का संकल्प लिया था।
बता दें कि इसके बाद से बीजेपी के हर घोषणापत्र में श्रीराम मंदिर प्रमुखता से शामिल रहा। वहीं अब मोदी आर्काइव से प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की इस पुरानी तस्वीर के वायरल होने के बाद ऐसा लगने लगा है कि अब मथुरा के विकास का रोडमैप भी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के मन में तैयार होगा। क्योंकि काशी और अयोध्या के विकास के बाद वह मथुरा के विकास की बात भी कह चुके हैं।