उत्तराखंड की हुड़का वाद्य यंत्र का जाने महत्व
अल्मोड़ा। उत्तराखंड के मशहूर वाद्य यंत्र हुड़का को पीएम मोदी को भेंट किया गया था, जिसके बाद अन्य राज्यों के लोगों को इसे जानने में खूब दिलचस्पी देखी गई। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर पीएम इन दिनों उत्तराखंड के दौर पर हैं और ऋषिकेश में हुई सभा के दौरान सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें उत्तराखंड का हुड़का भेंट किया था। पीएम उसे बजाते हुए भी नजर आएं और काफी उत्साहित दिखे। पीएम को जो हुड़का भेंट किया गया उसकी क्या खासियत है। हम आपको बताते हैं।
हुड़का उत्तराखंड का यह पारंपरिक वाद्य यंत्र है। मान्यता है कि इस वाद्य यंत्र के बजते ही धरती पर देवता अवतरित होते हैं। इसके अतिरिक्त कोई भी शुभ कार्य होता है तो हुड़के को उसमें भी बजाया जाता है। इतना ही नहीं खेतों में रोपाई होने के दौरान भी हुड़का बजाया जाता है। वैसे तो इस हुडके की डिमांड उत्तराखंड ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के साथ विदेश में भी हैं। उत्तराखंड में हुड़के का विशेष महत्व है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हुड़का बजाना शुभ माना जाता है। पहाड़ों में लगने वाली जागर में देवी-देवताओं का आह्वान हुड़के की सहायता से ही किया जाता है। माना जाता है कि हुड़का ईश्वर शिव के डमरू से बना है।
हुड़के से किया जाता है देवी-देवताओं का आह्वान
दुकानदार अनिल कुमार ने कहा कि वह करीब 21 वर्ष से इस हुड़का को बना रहे हैं और पीएम को हुड़का भेंट किया गया है उससे वह काफी उत्साहित हैं। उत्तराखंड के इस वाद्य यंत्र की डिमांड लोग अभी भी करते हैं। पहाड़ों में लगने वाली जागरों में इसका सबसे बड़ा महत्व है, क्योंकि इसके बिना देवी-देवता को नहीं बुलाया जा सकता हैं। कई-कई स्थान में शुभ कार्यों के समय भी इस हुड़के को बजाया जाता है
हुड़के के बिना अधूरी है धान की रोपाई
दुकानदार अनिल कुमार ने कहा कि इतना ही नहीं धान की रोपाई के समय हुड़का बजाकर लोग रोपाई करते हैं। पहाड़ के लोगों के मुताबिक हुड़किया बौल के चलते दिनभर रोपाई के बावजूद थकान महसूस नहीं होती। हुड़के की थाप पर लोक गीतों में ध्यान लगाकर महिलाएं तेजी से रोपाई के कार्य को करती हैं। उन्होंने आगे कहा ₹1500 से लेकर ₹3000 तक इस हुड़के की मूल्य है। अनिल ने कहा कि उत्तराखंड के इस वाद्य यंत्र हुड़के की डिमांड आज उत्तराखंड ही नहीं अन्य राज्यों के साथ विदेश में रह रहे लोग भी इसे लेकर जाते हैं।