पीएम मोदी भी हैं ब्रह्मकमल टोपी के फैन
देहरादून। हिमालयी राज्यों जैसे उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में पहनी जाने वाली टोपियों को पहाड़ी टोपी के नाम से जाना जाता है, लेकिन ये पहाड़ी टोपियां एक सी नहीं होती। इनके लुक और आकार में बहुत फर्क होता है। साथ ही क्षेत्र के मुताबिक टोपी का डिजाइन और रंग भी बदल जाता है। दरअसल उत्तराखंड और हिमाचल दोनों पहाड़ी क्षेत्र हैं, लेकिन दोनों स्थान भिन्न-भिन्न पहाड़ी टोपी पहनी जाती है। उत्तराखंड से लेकर हिमाचल तक क्षेत्र के मुताबिक इसमें डिजाइन और कलर बदल जाते हैं। उत्तराखंड को भी मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है कुमाऊं और गढ़वाल। कुमाऊं और गढ़वाल की टोपियां एक सी नहीं होती। हालांकि टोपियां का रंग और डिजाइन बदलने से क्रेज कम नहीं होता। आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड की ब्रह्मकमल वाली पहाड़ी टोपी की।
‘ब्रह्मकमल पहाड़ी टोपी’ तब चर्चा में आई, जब 2022 के गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में पीएम नरेन्द्र मोदी ने इसे पहना। ऐसा नहीं है कि यह टोपी पहली बार ईजाद हुई। यह पहले से पहनी जाती रही है, लेकिन इसमें वेल्यू एडीशन कर आधुनिकता का पुट समाहित किया गया। पहाड़ी टोपी पर एवं राज्यपुष्प ब्रह्मकमल का चिह्न अंकित किया गया। इससे टोपी का स्वरूप अधिक निखरकर सामने आया।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट जैसे कार्यक्रमों में शिरकत करते हुए पीएम मोदी ने भी ब्रह्मकमल वाली पहाड़ी टोपी पहनी थी और सीएम पुष्कर सिंह धामी भी ज्यादातर इस टोपी को पहने ही नजर आते हैं। देहरादून के बाजारों में आज भी पहाड़ की पुरानी संस्कृति की निशानी ये टोपियां बेची जाती हैं, जिन्हें लोग लेना पसंद करते हैं। ये काली, नारंगी और सफेद समेत कई रंगों में मिल जाती है।
पहाड़ी युवाओं में बढ़ा टोपियों का क्रेज
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के पलटन बाजार में उत्तराखंड की पहाड़ी टोपियां बेची जाती है जिनमें ब्रह्मकमल वाली टोपी यहां की विशेष होती है। दुकानदार पंकज ने कहा कि वह इन टोपियों को स्वयं तैयार करवाते हैं। पहले गांवों के बड़े बुजुर्ग काली टोपी लगाया करते थे लेकिन आज यह टोपी ट्रेंड में है, युवा भी इन्हें लगाना पसंद कर रहे हैं, इतना ही नहीं लड़कियां भी कई अवसरों टोपिया पहनना पसंद करती हैं।
चुनावों में भगवा टोपियों की डिमांड
अक्सर सीएम पुष्कर सिंह धामी पहाड़ी टोपी में नजर आते हैं, वहीं जब भी पीएम मोदी उत्तराखंड आते हैं तो वह भी पहाड़ी टोपी पहनते हैं। दुकानदार पंकज के पास काली, सफेद, नारंगी, खाकी और नीले रंगों की टोपियां मिलती हैं, इनके अतिरिक्त यहां हिमाचली और जौनसारी टोपी भी मिलती है जिनकी मूल्य 150 रुपए से प्रारम्भ है। विवाह और कई अवसरों पर इन टोपियों को ही लोग पहनना पसंद कर रहे हैं। इन दिनों चुनाव के लिए भगवा टोपियों की डिमांड बढ़ रही है।
पहाड़ी टोपियों का इतिहास
बताया जाता है कि पहाड़ी टोपी पंवार वंश के पहले राजा कनक पाल के चांदपुर गढ़ी में राजकाज संभालने के बाद हमारे परिधान का हिस्सा बनी थी। वहीं गढ़वाल और कुमाऊं के परिधान में पहाड़ी टोपिया शामिल हो चुकी हैं।