बिहार

मायागंज अस्पताल में डॉक्टरों ने साझा किए अपने-अपने अनुभव

भागलपुर मायागंज हॉस्पिटल स्थित टीबी एंड चेस्ट विभाग के रिटायर एचओडी डाक्टर डीपी सिंह ने बोला है कि टीबी के रोगियों को एक माह की स्थान पर 15 दिन में खोजना होगा. तभी 2025 तक टीबी समाप्त हो सकता है. इसके अतिरिक्त टीबी रोगियों के परिवार के हर सदस्यों की जांच और एहतियात के लिए तीन माह तक सभी को टीबी की दवा खिलानी होगी, ताकि एक रोगी के चलते चार नए रोगी न तैयार हों.

अभी लोग टीबी की रोग होने पर भी छिपाते हैं, जिससे संक्रमण का दायरा तेजी से बढ़ता है. यह छूआछूत की रोग नहीं है, बल्कि इसका कीड़ा सभी के शरीर में है. जैसे ही आपकी बीमारी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होगी, वह कीड़ा धावा करके आपको बीमार बना देगा. यह बातें उन्होंने शुक्रवार को मायागंज हॉस्पिटल के सेमिनार हॉल में विश्व टीबी उन्मूलन दिवस से दो दिन पूर्व कही. डाक्टर सिंह ने बोला कि बिहार में एक लाख जनसंख्या पर 199 टीबी के रोगी हैं. यहां की दस फीसदी जनसंख्या 1.20 करोड़ लोगों में टीबी का संक्रमण (लेटेंट टीबी) है.

इन रोगियों में से करीब पांच से दस फीसदी रोगी हर वर्ष टीबी से ग्रसित हो रहे हैं. इसलिए सभी डॉक्टरों को दो हफ्ते से खांसी, बुखार, वजन में कमी वाले रोगियों की टीबी की जांच करानी होगी. बिहार के 736 स्थानों पर माइक्रोस्कोपी टीबी जांच केंद्र डाक्टर डीपी सिंह ने बोला कि बिहार के 736 स्थानों पर माइक्रोस्कोपी टीबी जांच केंद्र, 60 सीबी नाट केंद्र, दो मोबाइल वैन, एक (पटना) इंटरमीडिएट रिफ्रेश लैबोरेट्री, तीन डीएसटी (भागलपुर, दरभंगा और पटना), 124 ट्रू नेट सेंटर हैं. बिहार के हर प्रखंड में जांच सेंटर बनाना होगा. कुपोषण से भी बच्चों को मुक्त कराना होगा. मौके पर कॉलेज के प्राचार्य डाक्टर उदय नारायण सिंह, डाक्टर राकेश कुमार, डाक्टर दीनानाथ, डाक्टर अविलेष कुमार, डाक्टर केके सिन्हा, मेडिसिन के एसोसिएट प्रो डाक्टर हेमशंकर शर्मा, डाक्टर अजय सिंह भी अपने अनुभव साझा किए.

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