बिहार

इकॉनमिक्स मास्टर्स हैं रोहिणी, MBBS-MBA की भी डिग्री है इनके पास

सोनपुर के हरिहरनाथ मंदिर में लालू-राबड़ी और बहन मीसा के साथ पूजा के बाद रोहिणी ने अपने चुनाव प्रचार की आरंभ की थी.

लालू यादव की विरासत वाली सीट रही सारण इस लोकसभा चुनाव में फिर हॉट सीट बन गई है. इसकी वजह है. एक तरफ दो बार से लगातार सांसद रहे राजीव प्रताप रूडी हैं, तो दूसरी तरफ लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य. रोहिणी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं.

पहली बार राजनीति में कदम रख रही रोहिणी के सामने लालू यादव की सियासी विरासत को बचाने की चुनौती है. सारण लालू यादव की कर्मभूमि रही है. वो यहां से 4 बार सांसद रहे हैं. हालांकि, पिछले 2 बार से लालू परिवार को सारण सीट से हार का सामना करना पड़ रहा है. रोहिणी के सामने मां की हार का बदला लेने की भी चुनौती है.

2014 में लालू यादव की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और 2019 में लालू के समधी चंद्रिका राय सारण सीट से हार चुके हैं. लालू से हार चुके भाजपा के राजीव प्रताप रूडी पिछले चुनावों में लालू यादव के करिश्मे पर भारी पड़े थे. अब 2024 लोकसभा चुनाव में लालू ने अपनी बेटी रोहिणी आचार्य को मैदान में उतारा है.

सोशल मीडिया के जरिए बिहार की राजनीति में दखल देती रही हैं रोहिणी

सिंगापुर में रहने वाली रोहिणी काफी पहले से सोशल मीडिया के जरिए बिहार की राजनीति में दखल देती रही हैं, लेकिन अब वो चुनावी राजनीति में कदम रख चुकी हैं. सोमवार को अपने पिता लालू यादव और मां राबड़ी देवी के साथ सोनपुर के मशहूर हरिहरनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की और आशीर्वाद लिया. मंगलवार से रोहिणी सारण लोकसभा क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान प्रारम्भ कर चुकी हैं.

इधर सारण के मौजूदा सांसद राजीव प्रताप रूडी भी लगातार क्षेत्र में घूमकर वोटरों को लुभाने की प्रयास में जुट गए हैं.

राजीव प्रताप रूडी के बारे में तो बहुत जानकारियां सार्वजनिक तौर पर मौजूद हैं, लेकिन रोहिणी के बारे में कुछ चुनिंदा बातें ही लोग जानते हैं.

इकॉनामिक्स में मास्टर्स हैं रोहिणी, MBBS और MBA की भी ली है डिग्री

रोहिणी लालू यादव की 7 बेटियों और 2 बेटों में दूसरे नंबर पर आती हैं. 44 वर्ष की रोहिणी का जन्म 5 जनवरी, 1980 को पटना में हुआ था. रोहिणी की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई पटना में ही हुई है. इसके बाद उन्हें रांची के बिशप कॉन्वेंट में पढ़ने भेजा गया. स्कूली पढ़ाई के बाद रोहिणी जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में MBBS करने पहुंचीं, जहां से वर्ष 2002 में उन्होंने फर्स्ट डिवीजन (60%) से MBBS की डिग्री हासिल की.

रोहिणी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से इकोनॉमिक्स में BA किया. फिर उन्होंने दिल्ली विद्यालय ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर्स भी किया है. इसके अलावा, रोहिणी आचार्य ने Institut Européen d’Administration des Affaires (INSEAD) बिजनेस विद्यालय से MBA भी किया है. रोहिणी को पढ़ना, करेंट अफेयर्स से अपडेट रहना, घूमना और खाना बनाना बहुत पसंद है.

भारत, अमेरिका के बाद अब सिंगापुर में सेटल हैं रोहिणी

2002 में विवाह के बाद रोहिणी भारत, अमेरिका और सिंगापुर में रह चुकी हैं. वो 2006 से अपने पति और 3 बच्चों के साथ सिंगापुर में रह रही हैं. रोहिणी के पति समरेश वहीं की कम्पनी में काम करते हैं. रोहिणी की सबसे बड़ी बेटी अनन्या सिंह सिंगापुर में पढ़ाई के बाद अभी ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ वॉरविक से इकॉनमिक्स से BSc कर रही हैं. उनके बेटे आदित्य सिंह और अरिहंत सिंह सिंगापुर में ही 11वीं और 9वीं क्लास में पढ़ाई कर रहे हैं.

शादी के बाद से रोहिणी आचार्य ने स्वयं को एक हाउस मेकर, मां और बेटी के तौर पर अधिक समय देने की प्रयास की. रोहिणी अभी सिंगापुर के एक इंवेस्टमेंट बैंक में मैनेजिंग डायरेक्टर हैं.

नाम रखे जाने के पीछे है भी दिलचस्प कहानी

रोहिणी आचार्य ने मीडिया से कहा कि उनका जन्म हिंदू कैलेंडर के ‘रोहिणी नक्षत्र’ में पटना के महिला बीमारी जानकार डाक्टर कमला आचारी की देखरेख में हुआ था. डाक्टर आचारी लालू यादव की काफी इज्जत करती थीं. इसलिए उन्होंने लालू से कोई भी फीस लेने से इनकार कर दिया था. जब लालू ने दबाव दिया तो डाक्टर आचारी ने उनसे पूछा कि क्या वह अपनी बेटी को उनका उपनाम दे सकते हैं.

लालू ने तुरंत हामी भरी और उन्होंने अपनी बेटी को ‘रोहिणी आचारी’ नाम दिया. रोहिणी बताती हैं कि उन्हें विद्यालय में ‘अचारी-अचारी, आम का अचार’ कहकर चिढ़ाते थे. इससे तंग आकर रोहिणी ने आचारी की स्थान आचार्य लिखना प्रारम्भ कर दिया और वो रोहिणी आचारी से रोहिणी आचार्य बन गईं.

विवादों में थी शादी, शोरूम से उठाई गई थीं गाड़ियां और फर्नीचर

24 मई, 2002 को रोहिणी आचार्य की विवाह नक्सल प्रभावित जिले अरवल के हिच्छन बीघा के रहने वाले समरेश सिंह से हुई. समरेश पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. मुंबई में आयकर विभाग के चीफ कमिश्नर रहे दिवंगत राव रणविजय सिंह के बेटे हैं. जानकारी के मुताबिक, रोहिणी की विवाह की वजह से हिच्छन बीघा गांव में आजादी के बाद पहली बार पक्की सड़क और बिजली पहुंची थी. रोहिणी की विवाह समरेश के गांव वालों के लिए किसी त्योहार से कम नहीं थी.

तिलक में पहुंचे लालू और गवर्नमेंट के मंत्रियों के ठहरने के लिए जर्जर विद्यालय को दुरुस्त करवाया गया था. स्ट्रीट लाइट्स भी लगाई गईं थी. सभी लोगों की सुरक्षा के लिए भारी पुलिस फोर्स भी तैनात की गई थी. रिपोर्ट्स बताती हैं कि गांव में चल रहे काम का जायजा लेने के लिए तत्कालीन सीएम राबड़ी देवी ने हेलीकॉप्टर से हवाई सर्वे तक किया था.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रोहिणी की विवाह में गवर्नमेंट के मंत्रियों को अतिथियों का ख्याल रखने की जिम्मेदारी दी गई थी. जिलाधिकारियों और पुलिस थानों को विवाह के कार्ड्स बांटने की जिम्मेदारी दी गई थी. रोहिणी की विवाह में सीएम आवास 1 अणे मार्ग में 25,000 से अधिक मेहमान शामिल हुए थे. पार्टी समर्थकों पर अतिथियों को ले आने-ले जाने के लिए वाहन शोरूमों से 50 नयी और बिना रजिस्ट्रेशन की गाड़ियां उठाने का भी इल्जाम लगा था, जबकि कई शोरूम मालिकों ने तो स्वयं ही स्वेच्छा से गाड़ियां दे दी थीं.

पुलिस पर भी कोई कार्रवाई न करने और लूटी गई गाड़ियों के स्वत: नहीं लौटाने का इल्जाम लगा था. इसके साथ ही फर्नीचर दुकानों से 100 सोफा सेट भी ले जाने का इल्जाम था, जिन्हें विवाह के बाद लौटा दिया गया.

लेक्चरर और पायलट रह चुके हैं रूडी

राजीव प्रताप रूडी का जन्म 30 मार्च, 1962 को पटना में हुआ था. उनके पिता विश्वनाथ सिंह और मां का नाम प्रभा सिंह है. उनका परिवार मूल रूप से सारण जिले के अमनौर का रहने वाले हैं. रूडी ने पटना के संत माइकल हाई विद्यालय से शुरुआती पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से अपनी पढ़ाई की.

उन्होंने चंडीगढ़ के सरकार कॉलेज से इकॉनामिक्स में ग्रेजुएशन किया है. रूडी ने 1985 में पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री और 1987 में मगध यूनिवर्सिटी से इकॉनामिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया है. यूनिवर्सिटी पॉलिटिक्स में भी रूडी एक्टिव थे, वो पंजाब यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष रह चुके हैं. हालांकि एक्टिव राजनीति में आने से पहले वो पटना के ए एन कॉलेज में लेक्चरर थे.

राजीव प्रताप रूडी ट्रेन्ड और स्किल्ड पायलट हैं. उनके पास कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस है. उन्होंने 2007 में फ्लोरिडा में विमान उड़ाने की ट्रेनिंग ली थी. इसके बाद से लगातार विमान उड़ाते रहे हैं. रूडी के पास विमान उड़ाने का लंबा एक्सपीरियंस है. वे अब भी इंडिगो की फ्लाइट उड़ाते हैं. इंडिगो में वे बतौर ऑनरेरी पायलट अपनी सेवाएं देते हैं.

रूडी ने फरवरी, 2015 में बेंगलुरु में हुए एयर शो में पहली बार फाइटर प्लेन उड़ाया था. उन्होंने 40 मिनट तक सुखोई विमान उड़ाया, वो को-पायलट थे. रूडी की पत्नी नीलम भी पेशे से फ्लाइट सर्विस मैनेजर थीं. हालांकि, वे अब इस पेशे में नहीं हैं. राजीव प्रताप रूडी और उनकी पत्नी नीलम अक्सर मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री पार्टियों में नजर आते हैं.

लालू यादव का रिकॉर्ड तोड़ने उतरेंगे राजीव प्रताप रूडी

सारण लोकसभा सीट लालू यादव के साथ ही राजीव प्रताप रूडी की भी कर्मभूमि रही है. दोनों ही नेता यहां से 4-4 बार सांसद चुने गए हैं. इस चुनाव में राजीव प्रताप रूडी के पास 5वीं बार जीत हासिल कर सारण सीट पर लालू यादव के रिकॉर्ड को तोड़ने का मौका है. साथ ही, लगातार तीसरी बार सांसद बनकर रूडी के पास हैट्रिक लगाने का भी चांस है.

राजीव प्रताप रूडी 1990 में पहली बार केवल 28 वर्ष की उम्र में सारण जिले की तरैया सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, तब लालू यादव यहां से सांसद थे. पहले सारण सीट छपरा लोकसभा के नाम से जानी जाती थी. 1996 में रूडी पहली बार सारण सीट से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत भी हासिल की. तब उन्होंने जनता दल के तत्कालीन सांसद लाल बाबू राय को हराया था. लालू यादव उस समय बिहार की राजनीति के पॉवर सेंटर हुआ करते थे.

1998 में हुए चुनाव में रूडी को आरजेडी के हीरालाल राय से हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, 1999 में एक बार फिर रूडी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे और अटल बिहारी वाजपेयी गवर्नमेंट में मंत्री बनाए गए.

रूडी को रोकने के लिए लालू ने संभाला था मोर्चा

लालू यादव सारण (छपरा) सीट पर पहली बार 1977 में सांसद बने थे. इसके बाद 1989 में दोबारा सांसद बनने के एक वर्ष बाद ही वो बिहार के सीएम बन गए, जिसकी वजह से उन्हें छपरा लोकसभा सीट छोड़नी पड़ी. इसके बाद ही छपरा में राजीव प्रताप रूडी का सियासी उदय हुआ. अपने ही गढ़ में अपनी पार्टी की हार देखकर लालू ने स्वयं मोर्चा संभाला और 2004 में राजीव प्रताप रूडी को हराया.

इसके बाद 2009 में भी लालू ने रूडी को दुबारा हराया. लेकिन लालू के चारा घोटाले में गुनेहगार साबित होने के बाद तस्वीर बदल गई. लालू यादव के चुनाव लड़ने पर रोक लगने के बाद 2014 में सारण (छपरा) सीट से अपनी पत्नी राबड़ी देवी को चुनाव लड़ाया, लेकिन राजीव प्रताप रूडी को रोक नहीं पाए. नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट के पहले कार्यकाल में रूडी मंत्री बनाए गए. ऐसे ही नतीजे 2019 के चुनाव में भी आए, तब लालू ने अपने समधी चंद्रिका राय को चुनावी मैदान में उतारा था.

लालू यादव से सीधे मुकाबले में रूडी को दोनों बार हार का सामना करना पड़ा, लेकिन लालू परिवार के दूसरे सदस्यों को रूडी ने दो बार हरा दिया है. अब की बार लालू की बेटी रोहिणी सामने हैं, जिन्हें जिताने के लिए लालू यादव एड़ी-चोटी का बल लगाने वाले हैं.

कोरोना के दौरान एंबुलेंस टकराव में घिरे थे रूडी

मई, 2021 में राजीव प्रताप रूडी पर सांसद निधि से खरीदे गए एंबुलेंस को खड़े रखने का इल्जाम लगा था, जबकि बिहार में कोविड-19 से त्राहिमांम मचा था. दरअसल, छपरा में रूडी के गांव अमनौर के विश्वप्रभा सामुदायिक केंद्र परिसर में 30 एंबुलेंस खड़ी मिली थीं. इन्हें ढंक कर रखा गया था. पूर्व सांसद पप्पू यादव ने मौके पर पहुंच कर रूडी को जमकर घेरा था. एंबुलेंस की भारी कमी के बीच दर्जनों एंबुलेंस खड़ी मिलने से रूडी की किरकिरी हुई थी.

पप्पू का इल्जाम था कि बिहार में लोग उपचार के लिए परेशान हैं, जबकि सांसद के दरवाजे पर एंबुलेस बेकार खड़े हैं. हालांकि, रूडी ने इस इल्जाम का खंडन करते हुए बोला था कि छपरा जिला में करीब 80 एंबुलेंस हैं. अभी इसमें से 50 चल रही हैं. कई पंचायतों में ड्राइवरों ने काम छोड़ दिया था, कुछ खराब हैं. इस वजह से बची हुई एंबुलेंस को खड़ा किया गया है.

उन्होंने बोला था कि पप्पू यादव कोविड के दौरान ड्राइवर लेकर आएं और एंबुलेंस चलवाएं. जिसके बाद पप्पू यादव ने ड्राइवर्स बुलाकर प्रेस कांफ्रेंस की और फिर से रूडी को घेरा था. रूडी की सांसद निधि से चलने वाली एंबुलेंस पर कभी शराब स्मग्लिंग तो कभी बालू ढुलाई के इल्जाम लगते रहे हैं.

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