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महंगाई घटी लेकिन लोन की बढ़ी EMI से जल्द नहीं मिलेगी राहत

होम, कार लोन समेत तमात तरह के लोन लिए लोग लंबे समय से अपनी ईएमआई कम होने का प्रतीक्षा कर रहे हैं. उनके लिए यह बुरी समाचार है. अभी जल्द उनके ईएमआई का बोझ कम नहीं होने वाला है. दरअसल, मार्च में खुदरा महंगाई घटकर दस महीने के निचले स्तर 4.85 फीसदी पर आ गई. इससे पहले फरवरी में खुदरा महंगाई 5.09 फीसदी और जनवरी में 5.1 फीसदी थी. इसके बावजूद Home-Car लोन की EMI चुका रहे लोगों को जल्द राहत मिलने वाली नहीं है. बैंकिंग एक्सपर्ट का बोलना है कि भू-राजनैतिक तनाव, कच्चे ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी समेत बढ़ते अंतरराष्ट्रीय जोखिमों के मद्देनजर आरबीआई (आरबीआई) नीतिगत दरों में कटौती में देरी कर सकता है.

साल के अंत में ही राहत की उम्मीद 

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने बोला कि हम मौजूदा वित्त साल की तीसरी तिमाही में दरों में आधा प्रतिशत की कटौती की अपनी अपील पर कायम हैं. इसके बावजूद हमें लगता है कि कच्चे ऑयल की बढ़ती कीमतों, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के दरों में कटौती के चक्र में देरी और ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति के कारण आरबीआई की दरों में कटौती में और देरी हो सकती है. ब्रोकरेज कंपनी ने बोला कि निकट भविष्य में बढ़ती महंगाई के कारण खाद्य महंगाई में तेजी, भू-राजनैतिक जोखिमों और ओपेक प्लस राष्ट्रों के आपूर्ति में कटौती करने से कच्चे ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी और गैर-ऊर्जा वस्तुओं की ऊंची कीमतों के कारण वित्त साल 2024-25 की पहली तिमाही में औसत खुदरा महंगाई के पांच फीसदी से ऊपर रहने का जोखिम है. जैसा कि आरबीआई गवर्नर ने भी बोला है, ये जोखिम मुद्रास्फीति कम करने के आखिरी पड़ाव पर चुनौती बन सकते हैं.

महंगाई में धीरे-धीरे नरमी की उम्मीद 

ब्रोकरेज ने बोला कि हम ओवरऑल मुद्रास्फीति में सिर्फ़ धीरे-धीरे नरमी की आशा करते हैं. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक रिपोर्ट में बोला है कि मुद्रास्फीति और आईआईपी डेटा उम्मीदों के अनुरूप थे, जिसका मौद्रिक राजकोषीय नीति पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा. ब्रोकरेज कंपनी ने बोला कि हमें आशा है कि अगले वर्ष खुदरा महंगाई रेट औसतन 4.5 फीसदी रहेगी. हमारे विचार में, रेट में कटौती सिर्फ़ वित्त साल 2024-25 के अंत में हो सकती है.

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