केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल से डिफॉल्ट सेटिंग्स के तौर पर नई टैक्स व्यवस्था को किया लागू
नए वित्त साल 2024-25 का 1 अप्रैल से आगाज हो गया है. हर वर्ष 1 अप्रैल की तारीख एक नए वित्तीय साल की आरंभ करती है. नए वित्त साल की आरंभ के साथ-साथ वित्तीय और आर्थिक मोर्चे पर कई तरह के परिवर्तन भी साथ आते हैं. इसी के अनुसार सोमवार से यानी 1 अप्रैल 2024 से एनपीएस, ईपीएफओ, टैक्सेशन और फास्टैग सहित कई दूसरे वित्तीय मामलों से जुड़े नियमों में परिवर्तन होने जा रहे हैं. इसकी जानकारी आपको जरूर होनी चाहिए, क्योंकि यह सीधे आपकी जेब से भी जुड़े हैं. आइए जाने
नई टैक्स व्यवस्था
केंद्र गवर्नमेंट ने 1 अप्रैल से डिफॉल्ट सेटिंग्स के तौर पर नयी टैक्स प्रबंध को लागू कर दिया है. इसका मतलब यह हुआ कि जब तक कोई टैक्स पेयर या आदमी साफ रूप से पुरानी टैक्स प्रबंध का पालन करना नहीं चुनते हैं, टैक्स का मूल्यांकन ऑटोमैटिक ढंग से नयी प्रबंध के अनुसार लागू किया जाएगा. नयी कर प्रबंध में इनकम टैक्स स्लैब वित्त साल 2024-25 (AY 2025-26) के लिए अपरिवर्तित रहेंगे. अंतरिम बजट में किसी परिवर्तन की घोषणा नहीं की गई है. नयी टैक्स प्रबंध के अनुसार सालाना 7 लाख रुपये तक की इनकम हासिल करने वाला कोई भी आदमी टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा.
एनपीएस: टू फैक्टर ऑथेन्टिकेशन
पेंशन फंड रेगुलेटर पीएफआरडीए 1 अप्रैल, 2024 से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के लिए एक अतिरिक्त सुरक्षा तरीका लागू कर रहा है. इस एडवांस सिस्टम में पासवर्ड-आधारित सीआरए सिस्टम एक्सेस के लिए टू फैक्टर ऑथेन्टिकेशन आधारित वेरिफिकेशन शामिल है. फिंगरप्रिंट की वास्तविकता को वेरिफाई करने और स्पूफिंग कोशिशों को कम करने के लिए टू फैक्टर आधार ऑथेन्टिकेशन सिस्टम को ऐड-ऑन चेक के रूप में पेश किया जाएगा. यह आधार-प्रमाणित लेनदेन को अधिक सुरक्षित और मजबूत बना देगा.
ओला मनी वॉलेट
ओला मनी ने घोषणा की कि वह छोटी पीपीआई (प्रीपेड भुगतान साधन) वॉलेट सर्विस पर स्विच करेगी. बिजनेस टुडे के मुताबिक, इसमें 1 अप्रैल से हर महीने अधिकतम वॉलेट लोड प्रतिबंध 10,000 रुपये होगा.
FASTag का नया नियम
अगर आपने 1 अप्रैल से कार के FASTag की KYC बैंक में अपडेट नहीं कराई है तो आपको कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है. बैंकों द्वारा FASTag के लिए KYC प्रक्रिया को जरूरी कर दिया गया है. अपडेटेड केवाईसी के बिना, पेमेंट नहीं हो पाएगा, जिससे टोल टैक्स शुल्क दोगुना हो जाएगा. एनएचएआई ने फास्टैग यूजर्स को टोल प्लाजा पर सुचारू लेनदेन के लिए आरबीआई नियमों का पालन करने की राय दी है.
क्रेडिट कार्ड में बदलाव
एसबीआई कार्ड ने अपनी रिवॉर्ड पॉइंट्स संग्रह पॉलिसी में संशोधन किया है. 1 अप्रैल, 2024 से, संस्थान द्वारा पेश किए जाने वाले क्रेडिट कार्ड की सीरीज में किराये के भुगतान के लिए रिवॉर्ड पॉइंट का संग्रह 1 अप्रैल 2024 से बंद हो जाएगा. जिन कार्ड पर काफी असर पड़ेगा उनमें AURUM, भारतीय स्टेट बैंक कार्ड एलीट और सिंपलीक्लिक भारतीय स्टेट बैंक कार्ड शामिल हैं.
आईसीआईसीआई बैंक लाउंज एक्सेस को लेकर कर रहा बदलाव
आईसीआईसीआई बैंक ने कॉम्प्लिमेंटरी एयरपोर्ट के लाउंज एक्सेस के लिए अपनी योग्यता आवश्यकताओं में परिवर्तन लागू करने जा रहा है. नए परिवर्तन के बाद 1 अप्रैल, 2024 से, अगली तिमाही में एक फ्री एयरपोर्ट लाउंज यात्रा के लिए एलिजिबिल होने के लिए तिमाही में 35,000 रुपये की न्यूनतम खर्च सीमा महत्वपूर्ण हो गया है. यह परिवर्तन विभिन्न आईसीआईसीआई बैंक क्रेडिट कार्डों पर लागू है, जिसमें कोरल क्रेडिट कार्ड और मेकमाईट्रिप आईसीआईसीआई बैंक प्लैटिनम क्रेडिट कार्ड शामिल हैं.
डेबिट कार्ड पर लगेगा अधिक चार्ज
भारतीय स्टेट बैंक की ऑफिशिल वेबसाइट के मुताबिक, एसबीआई 1 अप्रैल, 2024 से विशिष्ट डेबिट कार्ड के लिए वार्षिक रखरखाव शुल्क 75 रुपये बढ़ा दिया है.
म्यूचुअल फंड्स
1 अप्रैल से, जिन म्यूचुअल फंड्स निवेशकों ने अपना केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) दोबारा नहीं कराया है, उन्हें कोई भी म्यूचुअल फंड्स लेंन-देंन करने की परमिशन नहीं दी जाएगी. इनमें एसआईपी (व्यवस्थित निवेश योजना), एसडब्ल्यूपी (व्यवस्थित निकासी योजना) और गलती से रिडीम करना शामिल होंगे. रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट (आरटीए), सीएएमएस (कंप्यूटर एज मैनेजमेंट सर्विसेज) और केफिन टेक्नोलॉजीज (केफिनटेक) द्वारा म्यूचुअल फंड वितरकों (एमएफडी) को ईमेल भेजे गए थे कि एमएफ निवेशकों को 31 मार्च तक अपना केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) फिर से करना चाहिए. इसमें आधिकारिक तौर पर वैध दस्तावेजों में आधार कार्ड, पासपोर्ट, मतदाता आईडी प्रूफ सहित अन्य शामिल हैं. बैंक स्टेटमेंट और यूटिलिटी बिल जैसे सबूतों के आधार पर किया गया केवाईसी इस समय सीमा के बाद वैलिड नहीं रहेगा.
ई-इंश्योरेंस हो गया अनिवार्य
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने 1 अप्रैल, 2024 से बीमा पॉलिसियों को डिजिटल बनाना जरूरी कर दिया है. इस गाइडलाइंस के तहत, लाइफ, हेल्थ और जेनरल इंश्योरेंस सहित अनेक कैटेगरी की सभी बीमा पॉलिसियां इलेक्ट्रॉनिक रूप से जारी किए जाएंगे.
बीमा पॉलिसियों के लिए सरेंडर वैल्यू
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने बोला है कि 1 अप्रैल, 2024 से, यदि पॉलिसियों को तीन वर्ष के भीतर सरेंडर किया जाता है, तो सरेंडर मूल्य समान या उससे भी कम रहने की आशा है. यदि पॉलिसियों को चौथे और सातवें साल के बीच सरेंडर किया जाता है, तो सरेंडर मूल्य में हल्की वृद्धि हो सकती है. इंश्योरेंस में सरेंडर वैल्यू बीमाकर्ता यानी बीमा कंपनी द्वारा पॉलिसीधारक को समय से पहले पॉलिसी समाप्त करने पर वितरित की गई राशि है.