स्वास्थ्य

एमआरएनए वैक्सीन तकनीक घातक बीमारियों को रोकने के लिए भी कारगर है – रिपोर्ट

नई दिल्ली. हाल ही में Covid-19 महामारी के दौरान देखी गई एमआरएनए वैक्सीन तकनीक खतरनाक रोंगों को रोकने के लिए भी कारगर है. बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है.

विश्व टीकाकरण हफ्ते के हिस्से के रूप में डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडेटा की रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्तमान में लगभग 507 टीके के निर्माण आखिरी चरण में हैं, जिनमें से 88 को ट्यूबरक्लोसिस, मलेरिया से लेकर इन्फ्लूएंजा, कोविड-19, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) और लाइम सहित अन्य रोंगों को रोकने के लिए एमआरएनए तकनीक का इस्तेमाल कर विकसित किया जा रहा है.

अन्य वैक्सीन तकनीक के विपरीत, एमआरएनए का उत्पादन तेजी से हो सकता है हालांकि इन टीकों को अल्ट्रा-कोल्ड स्टोरेज की जरूरत होती है, लेकिन इसे संशोधित करने से यह और भी अधिक बेहतर हो जाएगा.

बीमारी को रोकने और जीवन की रक्षा के लिए टीकों की क्षमता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष अप्रैल के अंतिम हफ्ते में विश्व टीकाकरण हफ्ते मनाया जाता है.

ग्लोबलडेटा में संक्रामक बीमारी विश्लेषक एनाले टैनेन ने बोला टीकाकरण ने हमारे समाज में रोग के बोझ को काफी हद तक कम कर दिया है. हम पहले ही चेचक का खात्मा देख चुके हैं और पोलियो को भी समाप्त करने के बहुत करीब हैं.

टीकाकरण को बढ़ावा देना, टीकाकरण कार्यक्रम में सुधार करना और नए टीके विकसित करना सभी ऐसे ढंग हैं जो रुग्णता मौत रेट में कमी लाने में सहयोग देंगे.

वर्तमान में, 20 से अधिक जानलेवा रोंगों को टीकों से रोका जा सकता है. इसके अलावा, नए तंत्रों से आने वाले सालों में मौजूद रोकथाम योग्य टीकों के दायरे को व्यापक बनाने की आशा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के डेटा से पता चलता है कि टीके डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टुसिस, इन्फ्लूएंजा और खसरा जैसी रोंगों से सालाना लगभग 3.5-5 मिलियन मौतों को रोकते हैं.

टैनेन ने कहा, “हालिया Covid-19 महामारी ने दुनिया की जनसंख्या के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कारगर टीकों की आवश्यकता, टीकाकरण पहुंच और स्वीकृति में सुधार पर बल दिया है.

टैनेन ने कहा, ”टीकाकरण सबसे सस्ते और सबसे कारगर सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में से एक है, जो रोग से लड़ने में सक्षम बनाता है. टीके को लेकर हिचकिचाहट अभी भी उपस्थित है, और खास तौर से एमआरएनए को लेकर. इसलिए, इस टीकाकरण के बारे में जागरूकता फैलाना जरूरी है.

 

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