महिला संबंधी समस्याओं के लिए वरदान है ये पौधा
उत्तराखंड में जड़ी बूटियों का भंडार है। यहां कई ऐसी औषधीय जड़ी-बूटियां मिलती हैं, जो आदमी को तंदूरूस्त बनाने के साथ स्वस्थ्य भी बनाती हैं। यहां मिलने वाले औषधीय पौधों में मेडिसिनल गुण पाए जाते हैं। ऐसे ही जड़ी-बूटी में से एक है जंबू (Jambu Medicinal Benifits)। जंबू प्याज के परिवार से आने वाला एक पौधा है। यह एक ऐसा हर्ब है, जो कई रोंगों को दूर करता है। तो वहीं स्त्री संबंधी रोगों में ये रामबाण है। पीरीएडस का दर्द हो या फिर प्रसव के दौरान होने वाला दर्द, दोनों को कम करने में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Allium stracheyi है। इसे Jambu/faran/Jimbu के नाम से भी जाना जाता है। हिंदुस्तान के उच्च हिमालयी राज्यों के अतिरिक्त नेपाल, भूटान में भी यह पाया जाता है।
हिमालयी राज्यों में जंबू का पौध देखने को मिल जाता है। इसको कई इलाकों में फरण के नाम से भी जाना जाता है। इसे गरीबों का तड़का भी बोला जाता है। क्योंकि, इसका प्रयोग तड़के के रूप में खाने में किया जाता है।
महिला संबधी रोगों में कारगर
उच्च हिमालयी पादप कारी की अध्ययन केंद्र (हेप्रेक) के डॉ अभिषेक जमलोकी जानकारी देते हुए बताते हैं कि हिमालयी क्षेत्रों में कई प्रकार के सघन पादप मिलते हैं। इनका प्रयोग प्राचीन समय से ही रोगों से लड़ने और शरीर को स्वस्थय रखने के लिए किया जाता है। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी इलाकों में पाया जाने वाला जम्बू/फरण में कई मेडिसिनल गुण पाए जाते हैं। यह पौधा स्त्रियों में होने वाली विभिन्न रोंगों में उपयोगी है। डॉ जमलोकी बताते हैं कि मासिक धर्म, प्रसव पीड़ा को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही एक अन्य रोग जिसे ल्यूकोरिआ के नाम से जाना जाता है। इसमें भी जंबू कारगर है।
डायबिटीज, कब्ज में रामबाण
आगे बताते हैं कि पेट से संबंधित विभिन्न रोंगों में भी जंबू का प्रयोग किया जाता है। यह अपच, कब्ज, गैस, डायबिटीज, मधुमेह जैसे रोग में भी कारगर साबित है। जंबू में 4.26 फीसदी प्रोटीन, 0.1 फीसदी वसा, 79.02 फीसदी फाइबर समेत कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और पोटेशियम की मात्रा पाई जाती है। साथ ही जंबू की पत्तियों को सूखाकर इसका इस्तेमाल दाल, सब्जी में तड़के के रूप में किया जाता है। यह खाने के स्वाद को बढ़ा देता है।
जंबू कृषिकरण के लिए हेप्रेक कर रहा कार्य
इस पौधे की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काफी डिमांड है, जिसके कारण तेजी से जंबू का दोहन हो रहा है। यही कारण है कि अब बहुत कम स्थानों पर जंबू अथवा फरण के पौधे देखने को मिलते हैं। ऐसे में किसान यदि जंबू के पौधे को खेती के रूप में प्रयोग में लाए तो इससे उनकी आर्थिकी मजबूत होगी और पौधा भी संरक्षित हो पाएगा। डॉ जमलोकी बताते हैं कि उच्च शिखरीय पादप कार की अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो वीके पुरोहित के मार्गदर्शन में जंबू के पौध को संरक्षित करने के साथ कृषिकरण के क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है। इसमें हेप्रेक को कामयाबी भी मिली ह