मोहन यादव के जरिए बीजेपी यादव वोट बैंक पर सेंध लगाने की है कोशिश में…
CM Mohan Yadav In Uttarpradesh: लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के नेताओं ने अपने दौरे तेज कर दिए हैं। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव आज उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी के गढ़ मैनपुरी और सैफई में बड़ी जनसभा को संबोधित करने वाले हैं। मोहन यादव के जरिए भाजपा यादव वोट बैंक पर सेंध लगाने की प्रयास में है।
बता दें कि मैनपुरी लोकसभा सीट (Mainpuri Lok Sabha Seat) को समाजवादी पार्टी का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है। यहां बीते 10 चुनावों से समाजवादी पार्टी जीतते आ रही है। इसका कारण ये ही है कि यहां पर यादव मतदाताओं की बहुलता है। मैनपुरी लोकसभा सीट पर करीब 4 लाख से अधिक यादव मतदाता हैं।
मैनपुरी में डिंपल यादव समाजवादी पार्टी प्रत्याशी
गौरतलब है कि सपा ने मैनपुरी सीट से डिंपल यादव का टिकट दिया है। वह मुलायम सिंह की बहू और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी हैं। डिंपल यादव के विरुद्ध भाजपा ने कद्दावर नेता जयवीर सिंह ठाकुर को उतारा है, जिसके प्रचार के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव स्वयं आने वाले हैं।
डिंपल ने मुख्यमंत्री यादव पर साधा निशाना
वहीं मुख्यमंत्री मोहन यादव के मैनपुरी में आने की समाचार लगते ही डिंपल यादव ने सीएम मोहन यादव पर तंज कसा है, मोहन यादव के दौरे को लेकर डिंपल ने बोला कि मैनपुरी के लोग सतर्क हैं, सब समझते हैं, सब जानते हैं। उन्होंने बोला कि मोहन यादव आएं और सैर सपाटा करें, जाते समय सफारी घूमते हुए जाएं। समाजवादी पार्टी के वोटर तटस्थ हैं।
बीजेपी का प्लान क्या है?
बता दें कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के जरिए भाजपा से मैसेज देना चाहती है कि पार्टी ने साधारण यादव परिवार के आदमी को सीएम पद दिया है। पार्टी के दरवाजे यादव समाज के लिए हमेशा खुले है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री यादव के जरिए वो लोगों को ये बताना चाहेगी कि यादव समाज के नेताओं का सियासी भविष्य बीजेपी में ही सुरक्षित है।
सुल्तानपुर में है मोहन यादव की ससुराल
आपको जानकर आश्चर्य होगी कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की विवाह उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर निवासी ब्रह्मादीन यादव की बेटी सीमा यादव से 1994 में उज्जैन में हुआ था। यानी सीएम यादव का सीधा कनेक्शन यूपी से है।
मैनपुरी में जातीय समीकरण पर एक नजर
यहां करीब 4 लाख यादव वोटर्स हैं। इसके अतिरिक्त 80 हजार मुसलमान वोटर हैं। 2.50 लाख से अधिक शाक्य, 1.50 लाख से अधिक ठाकुर, 1.20 लाख ब्राह्मण, इतने ही लोधी, 70 हजार से अधिक वैश्य हैं। करीब 2 लाख दलित हैं, जिसमें 1.25 लाख जाटव और 75 हजार कठेरिया और दूसरी उपजातियां हैं।