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Faridabad में कई स्कूलों में परिवहन सुविधा नहीं कराई गई उपलब्ध

फरीदाबाद न्यूज डेस्क..स्मार्ट शहरों में भी बच्चे जान जोखिम में डालकर विद्यालय जाने को विवश हैं. जिले के कई विद्यालयों में परिवहन सुविधा मौजूद नहीं करायी गयी है ऐसे में अभिभावक अपनी जीवन के टुकड़ों को गैरकानूनी रूप से वैन चलाने वाले संचालकों के हाथों में छोड़ रहे हैं. सोमवार को मीडिया की टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि इनमें से कई वैन बिना व्यावसायिक पंजीकरण और मानकों के चल रही हैं. जांच के दौरान पता चला कि वैन में परिचालक की क्षमता से 14 से 16 अधिक बच्चे सवार थे. जब दुर्घटनाएं होती हैं तो वे ट्रैफिक पुलिस और विद्यालय वैन चालकों को गुनेहगार ठहराते हैं और स्वयं को दोषमुक्त कर लेते हैं.
जिले के कुछ निजी विद्यालय बसों के चालकों ने महेंद्रगढ़ हादसे से सीख नहीं ली है. सोमवार दोपहर विद्यालय बंद होने के बाद भी सुरक्षा नियमों का पालन नहीं किया गया. वैन संचालक इसे लेकर गंभीर नहीं दिखे. निजी विद्यालय की बसें नहीं मिलने पर गैरकानूनी रूप से वैन चल रही हैं. ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों को वैन से विद्यालय भेजने को विवश हैं विद्यालय वैन में भी बच्चों के साथ ढिलाई देखने को मिली एनआईटी 5, सेक्टर-7, नहर के आसपास के कई विद्यालयों में, निजी वैन संचालक नियमों का उल्लंघन करते हैं और निर्बल बच्चों को ले जाते हैं. वैन में आठ से 10 बच्चों के बैठने की क्षमता थी, लेकिन वहां 14 से 16 बच्चे बैठे हुए थे. वैन चालक उत्तर देते हैं कि जब अभिभावकों को कोई विरोध नहीं है तो आप प्रश्न क्यों उठा रहे हैं.

एक अलग डिक्की लगाई, उसे वैन में लादा और बच्चों को साथ ले गया.
अधिकांश वैन चालकों ने सड़क परिवहन प्राधिकरण के नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया है. यदि सीटें भरी हुई हैं, तो दो सीटों के बीच एक बेंच रखी जाती है. विद्यालय वैन की डिक्की में बेंचों पर भी बच्चे बैठे हैं. बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरा जाता है 8 सीटर वैन में प्रत्येक में 16 बच्चे बैठ सकते हैं. इसके अतिरिक्त 15 वर्ष से अधिक पुराने गाड़ी भी बिना जांच के दौड़ रहे हैं. आश्चर्य की बात है कि परिवार अपने बच्चों का दाखिला अच्छे विद्यालयों में कराते हैं और ऊंची फीस चुकाते हैं लेकिन अपने बच्चों की विद्यालय सुरक्षा से समझौता करते हैं. अभिभावकों को सतर्क होना होगा.

कोई अग्निशामक यंत्र नहीं
अधिकांश वैन सीएनजी से सुसज्जित हैं, फिर भी वैन में अग्निशामक यंत्र नहीं हैं. हादसा होने पर तुरन्त प्राथमिक इलाज की कोई सुविधा नहीं है. अधिकतर वैन और ऑटो चालक बिना वर्दी के ही गाड़ी चलाते हैं. जांच के दौरान कई बार वैन चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं मिलता है

स्कूली बच्चों के परिवहन के लिए निजी वैन का उपयोग
शहर के कुछ विद्यालय अपना परिवहन नहीं चलाते हैं. ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों को भेजने के लिए निजी वैन संचालकों पर निर्भर रहते हैं. इनमें से अधिकांश वैन का व्यावसायिक पंजीकरण नहीं है. साथ ही वैन पर न तो पीली पट्टी है और न ही विद्यालय वैन लिखा है. अभिभावकों को वैन संचालकों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करनी होगी. वैन में 14 से 16 बच्चों को बिठाया गया है यदि कोई दुर्घटना हो गया तो कौन उत्तरदायी होगा? ऐसे गाड़ी चालकों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाए. -कैलाश शर्मा, महाप्रबंधक अभिभावक एकता मंच विभागीय स्तर पर वैनों को नहीं रोका जा सकता. इसके लिए परिवहन विभाग के साथ मिलकर रणनीति तैयार करनी होगी ताकि गैरकानूनी रूप से चलने वाली वैन पर लगाम लगाई जा सके.-आशा दहिया, जिला शिक्षा अधिकारी

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