लाइफ स्टाइल

दुनियाभर में रोटी गोल ही क्यों होती है…

रोटी भिन्न भिन्न उपायों से पूरे विश्व में खाई जाती है क्या आपको मालूम है कि पूरे विश्व में खाई जाने वाली रोटी का आकार आमतौर पर गोल ही क्यों होता है जब से दुनिया में रोटी आई तब से इसका आकार गोल ही है इसके पीछे की वजहें खासी रोचक हैं तो तार्किक भी

रोटी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द ‘रोटिका’ से हुई रोटी को पूरे विश्व में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है हिंदुस्तान में इसे चपाती, सफ़ारी, शबाती, फुलका, और (मालदीव में) रोशी के नाम से जाना जाता है वहीं, बंगाली में इसे रूटी बोला जाता है अंग्रेज़ी में इसे ब्रेड, फ़ूड, और चपाती कहते हैं पूर्वी अफ़्रीका में इसे चापो और स्पैनिश में मोलेटे कहते हैं

दुनिया भर में करीब 15 तरह की रोटियां बनती हैं आर्मेनिया में बनने वाली रोटी, दुनिया की सबसे बड़ी रोटी है यह नॉर्मल आठ रोटियों के बराबर होती है यह यूनेस्को की कल्चरल हेरिटेज लिस्ट में शामिल है

क्यों गोल होती है रोटी
रोटी को गोल बनाने के पीछे मूल कारण यह है कि यह बनाने में सबसे सरल आकारों में एक है गोल लोई को जब बेलन से बेला जाता है तो इससे इसका गोल आकार में बनना सरल होता है इसमें कोई कोण नहीं बनता हालांकि बहुत से लोगों के लिए रोटी को गोल आकार में बेलना कठिन होता है

गोल रोटी तवे पर भी समान रूप से अच्छी तरह तारों ओर से पक जाती है कुछ धार्मिक मान्यताओं में गोल आकार को जीवन और मौत के चक्र से भी जोड़ा जाता है पूरी तरह से गोल रोटी बनाने के लिए, आटे को अच्छी तरह से गूंधना जरूरी है

रोटी का गोल आकार मुख्य रूप से इसे बेलने और पकाने में सरलता के कारण होता है आमतौर भरवां पराठों का आकार भी गोल होता है है हालांकि परांठे अक्सर त्रिकोणीय आकार के होते हैं वैसे रोटियां कई तरह की होती हैं हमारे राष्ट्र में ही उत्तर से लेकर दक्षिण तक कई तरह की रोटियां प्रचलित हैं

क्या मतलब चपाती का
रोटी को ‘चपाती’ भी कहते हैं ये हिंदी शब्द ‘चपट’ से आया है जिसका अर्थ है ‘थप्पड़’, इसका मतलब आटे को थपथपाकर पतला करना हो सकता हैमुगल दौर में तंदूरी रोटी बनाई गई शाही खानदानों में तंदूरी रोटी को इसके स्मोकी और अलग स्वाद के लिए काफी पसंद किया जाता था

आटे को क्यों गूंथा जाता है
आटा गूंथने से आटे में प्रोटीन अणु बनते हैं, जिससे स्वस्थ ग्लूटेन स्ट्रैंड बनते हैं ग्लूटेन वह है जो मिश्रण को गैस बनाने में सहायता करता है, जो इसे बढ़ने और बनावट बनाने में सहायता करता है आटे को अच्छी तरह से गूंथ कर रोटियां बनाई जाएं तो ये रोटियां ज़्यादा डाइजेस्टिव होती हैं बनाने के काफी देर तक मुलायम बनी रहती हैं

हाथ से आटा गूंधने में 10-12 मिनट का समय लगना चाहिए, जबकि मिक्सर में इसे ठीक से गूंधने में 8-10 मिनट का समय लगना चाहिए एक बार जब आपका आटा ठीक से गूंध जाएगा, तो इसकी बनावट चिकनी, लोचदार हो जाएगी और छूने पर यह नरम और लचीला महसूस होना चाहिए

कितना पुराना रोटी का इतिहास
रोटी का इतिहास बहुत पुराना है कुछ जानकारों के मुताबिक, रोटी बनाने की आरंभ सिंधु घाटी की सभ्यता में 5,000 वर्ष पहले हुई थी हालांकि इसे 8000 ईसापूर्व में मिस्र से जोड़ा जाता है उस समय गेहूं का पेस्ट बनाकर उसे गर्म पत्थर पर पकाकर रोटी बनाई जाती थी वहीं, कुछ जानकारों के मुताबिक, रोटी बनाने की आरंभ 14,000 वर्ष पहले हुई थी
1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में रोटियों का इस्तेमाल स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किया गया उस दौरान अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ रोटी को स्वंतत्रता का पैगाम और राष्ट्रीय एकजुटता का चिह्न बना दिया गया था इसे संदेश की तरह इस्तेमाल किया जाता था

रोटी के बारे में एक प्रचलित कहानी है कि इसे पहले यात्रियों के खाने के लिए बनाया गया था यह कटोरी के आकार की होती था ताकि इसमें सब्ज़ी को रखकर सरलता से खाया जा सके और किसी और बर्तन की आवश्यकता न पड़े

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button