यूट्यूबर कपल ने बिल्डिंग की 7वीं मंजिल से कूदकर दे दी जान
हरियाणा के बहादुरगढ़ में यूट्यूबर कपल ने बिल्डिंग की 7वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी. 25 वर्ष का गर्वित और 22 वर्ष की नंदिनी कंटेंट क्रिएटर थे जो यूट्यूब और फेसबुक के लिए शॉर्ट वीडियो बनाते थे. दोनों देहरादून से बहादुरगढ़ आए थे.
वीडियो शूट करने के लिए उनके पास 5 लोगों की टीम भी थी. देर रात शूट पूरा करने के बाद जब वो घर पहुंचे तो गर्वित और नंदिनी के बीच किसी बात को लेकर लड़ाई हुआ. दोनों ने बिल्डिंग से कूद कर खुदकुशी कर ली. घटना 13 अप्रैल 2024 की है.
इससे पहले 7 जनवरी 2024 को बिहार के बेगूसराय में रील्स बनाने से रोकने पर पत्नी ने पति की मर्डर कर दी थी. महेश्वर राय की पत्नी रानी को इंस्टाग्राम पर रील्स बनाने की लत थी. घर-परिवार को दरकिनार कर वह रील्स बनाने में व्यस्त रहती.
रील्स बनाना, सोशल मीडिया पर अपलोड करना, अधिक से अधिक लाइक्स के लिए उलजुलूल हरकत करना, कई लड़कों से दोस्ती करना पति को नागवार गुजरता. पति ने जब इसका विरोध किया तो रानी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर महेश्वर का गला घोंट दिया.
रील्स, शॉर्ट वीडियोज बनाने के चक्कर में दुर्घटनाएं होने की खबरें अक्सर आती हैं लेकिन अब लड़ाई-झगड़े के अतिरिक्त सुसाइड और हत्याएं भी बढ़ रही हैं.
शराब के नशे जैसा रील्स बनाने का एडिक्शन
रील्स बनाने का नशा वैसे ही है जैसे शराब का नशा. एक बार इसकी लत लग गई तो फिर इससे निकलना बहुत कठिन होता है. रांची का रहने वाला 18 वर्ष का अनुप 2 महीने से कॉलेज नहीं जा रहा था. न घर से निकलता और न ही ढंग से खाता-पीता.
पिछले 3-4 दिनों से उसने खाना-पीना एकदम बंद कर दिया. वह रात-रात भर जागता. पेरेंट्स उसे लेकर सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकेट्री (सीआईपी) पहुंचे.
डॉक्टरों के काउंसिलिंग पर उसने कहा कि वह भिन्न-भिन्न जगहों पर जाकर शॉर्ट वीडियो बनाता और इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब पर अपलोड करता. उसने 65-70 वीडियो बनाए लेकिन व्यूअर्स नहीं बढ़े.
लाइक्स और कमेंट्स नहीं मिलने पर वह हताश होने लगा. वह मिनट मिनट पर टेलीफोन चेक करता कि किसी ने लाइक या कमेंट किया या नहीं. वह आशा कर रहा था कि उसके वीडियो देखकर सब्सक्राइबर्स बढ़ जाएंगे.
लेकिन ऐसा नहीं होने पर उसकी नींद उड़ गई. भूख-प्यास सब समाप्त हो गई.
सीआईपी के प्रोफेसर डाक्टर वरुण एस मेहता कहते हैं कि सोशल मीडिया पर नेम-फेम, लाइक-व्यूज, कमेंट्स नहीं मिलने पर लोग स्वयं को असफल समझने लगते हैं.
यह सोशल मीडिया एडिक्शन की वजह से है. लोग वर्चुअल दुनिया में रातों-रात शोहरत पाने की लालसा रखते हैं और जब उन्हें मनचाहे नतीजे नहीं मिलते तो डिप्रेशन में चले जाते हैं.
10-15 सेकेंड की रील का मकसद लाखों लाइक्स बटोरना
सोशल मीडिया पर इन्फ्लुएंसर शब्द ट्रेंड में है. डिवाइडर पर बाइक से स्टंट करना, भीड़-भाड़ वाले बाजार में लहरियाकट ड्राइविंग, चलती कार के बोनेट पर बैठकर स्टंट करना, ब्रिज से नदी में छलांग लगाने के वीडियो बनाने का मकसद लाइक्स और अधिक से अधिक सब्सक्राइबर्स बटोरना है.
ये रील 10-15 सेकेंड के होते हैं. ये वीडियो जितने सेंसेशन क्रिएट करेंगे, उतना ही पब्लिक रिस्पांस मिलेगा. दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में एक दर्जन से अधिक इंफ्लुएंसर पर जुर्माना किया गया है या उन्हें अरैस्ट किया गया है.
दिल्ली के अंशुल चौधरी पर शास्त्रीनगर पार्क एरिया में व्यस्त सड़क पर स्टंट करने के लिए 12,500 रुपए का जुर्माना लगा. अंशुल के इंस्टाग्राम पर 5,000 फॉलोअर्स हैं.
वहीं सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर प्रदीप ढाका ने ‘गोल्डन एसयूवी’ से स्टंट किए. इससे ट्रैफिक अस्त-व्यस्त हो गया. इंस्टाग्राम पर प्रदीप के वन मिलियन फॉलोअर्स हैं. प्रदीप को 36,000 का फाइन भरना पड़ा.
मर्सिडीज के बोनेट पर बैठकर रील्स बनाना हो या होली में स्कूटी पर बैठकर दो लड़कियों का रंग लगाना, सब झटपट लाइक्स और व्यूज पाने का तरीका है.
जान हथेली पर रख कुछ भी करने को तैयार रहते युवा
जोधपुर के बनाड़ कैंट स्टेशन पर 3 लड़के एक स्कूटी पर बैठकर रील बना रहे थे. ट्रैक पर पीछे से मालगाड़ी आ रही थी और प्लेटफॉर्म पर आगे-आगे ये स्कूटी दौड़ा रहे थे. उनका संतुलन जरा भी बिगड़ता तो वे सीधे ट्रैक पर गिरते.
झारखंड के लातेहार रेलवे स्टेशन के निकट रिवर ब्रिज पर तीन लड़के सामने से आती मालगाड़ी को लेकर रील्स बना रहे थे. ट्रेन के धक्के से एक की वहीं मौत हो गई जबकि दो गंभीर रूप से घायल हो गए.
दरअसल, 20 से 25 वर्ष के युवाओं में रील्स बनाने का ट्रेंड अधिक है. आगरा के दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट की रिसर्चर आयुषी शर्मा बताती हैं कि ‘इंस्टाग्राम इंफ्लुएंसर’ कहलाने वाले इन युवाओं के एवरेज 1-2 लाख फॉलोअर्स होते हैं.
ये अपनी सारी ऊर्जा इस चीज में खर्च करते हैं कि क्या कुछ अटपटा, अनसुना, अनदेखा किया जाए. ये पूरी स्ट्रैटेजी बनाते हैं कि रील्स ऐसी शूट हो कि देखने वाले अवाक रह जाएं. उनके प्रोफाइल में ‘कंटेंट क्रिएटर’ लिखा होता है. कंटेंट का मतलब है रिस्क, डेंजर. जितना बड़ा रिस्क उतने ही व्यूज और लाइक.
एक बार मोनेटाइज हो गए तो पीछे मुड़कर नहीं देखना होगा
साइकेट्रिस्ट डाक्टर हर्षल साठे कहते हैं कि जो युवा इंस्टाग्राम रील्स बनाते हैं या शॉर्ट वीडियो बनाते हैं वो इसे करियर के रूप में लेते हैं. उन्हें लगता है कि एक बार कंटेंट का मोनोटाइजेशन हो गया तो फिर पैसों की बारिश होगी.
यह उन्हें किसी फिल्मी ग्लैमर जैसा लगता है. उनके सामने कई इंफ्लुएंसर होते हैं जो तरह-तरह के स्टंट और घातक चीजें करके कई मिलियन फॉलोअर्स बना लेते हैं. वो उन्हें अपना रोल मॉडल मानते हैं.
युवा इस प्लेटफॉर्म को न सिर्फ़ पैसा कमाने के रूप में देखते हैं बल्कि स्वयं को ‘माचो मैन’ के रूप में भी दिखाना चाहते हैं. लोग उनके वीडियो देखें तो दांतों तले उंगलियां दबा लें.
लड़के जहां एडवेंचर वाले रील्स या वीडियो बनाते हैं वहीं लड़कियां फैशन, ब्यूटी, मेकअप और इमोशनल वीडियो बनाती हैं.
सारी मशक्कत सोशल मीडिया पर पॉपुलर होने और लाइम लाइट में रहने के लिए की जाती है जिसकी कभी जानमाल से मूल्य चुकानी पड़ती है.