राष्ट्रीय

‘मेरा वोट, मेरी मर्जी’ सर्वे रिजल्ट पार्ट-3

1 से 6 अप्रैल तक चले मीडिया वोटर सर्वे ‘मेरा वोट, मेरी मर्जी’ में बिहार के 7% लोगों ने ये बोला कि उनका इस बार वोट देने का इरादा नहीं है.

यूं तो ये आंकड़ा कम दिखता है, लेकिन वोटिंग के 7 चरणों में ये आंकड़ा काफी बढ़ भी सकता है. 2019 में भारतीय लोकतंत्र के सबसे बड़े (67%) वोटर टर्नआउट के बावजूद 33% लोग ऐसे थे जिन्होंने वोट नहीं दिया था.

सर्वे में वोट न देने वालों से तीन प्रश्न पूछे गए थे-

  • आप वोट क्यों नहीं देना चाहते?
  • आपके क्षेत्र में सबसे बड़ी परेशानी क्या है?
  • क्या आपने कभी नोटा को वोट दिया है?

सर्वे के नतीजों पर हमारी सीरीज में आज इन्हीं तीन प्रश्नों का विस्तृत एनालिसिस दिया जाएगा.

नतीजों में खास बात ये है कि वोट न देने वालों में 25% को लगता है कि वोट देने से कोई परेशानी हल नहीं होती. 28% मानते हैं कि सभी प्रत्याशी बेकार हैं और 12% को ईवीएम पर भरोसा नहीं है.

वोट न देने वालों में से 53% का बोलना है कि उनके क्षेत्र में सबसे बड़ी परेशानी है कि रोजगार समाप्त हो रहे हैं. 53% कहते हैं कि गवर्नमेंट उनके क्षेत्र पर ध्यान नहीं देती.

इनमें से 71% ऐसे हैं जिन्होंने कभी नोटा को वोट नहीं दिया. 10% ऐसे भी हैं जो अब तक 3 बार से अधिक नोटा का बटन दबा चुके हैं. लेकिन इस बार नोटा को भी वोट नहीं देना चाहते.

आइए, अब जरा इन बातों को विस्तार से समझते हैं.

 

वोट न देने की सबसे बड़ी वजह- सारे प्रत्याशी बेकार हैं

वोट न देने वालों से ये पूछा गया था कि वे वोट क्यों नहीं देना चाहते. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 10 विकल्पों की लिस्ट में से कोई 3 विकल्प चुन सकते थे. 28% लोगों ने ये विकल्प जरूर चुना कि ‘सभी प्रत्याशी बेकार हैं’. वहीं, 25% लोगों का मानना है कि वोट देने से कोई परेशानी हल नहीं होती हैं.

खास बात ये है कि ‘सभी पार्टियां बेकार हैं’ ये विकल्प चुनने वाले 20% ही हैं. यानी बिहार के लोगों को पार्टियों से कम और प्रत्याशियों से परेशानी अधिक है. वहीं 12% लोगों ने ये भी बोला है कि उन्हें ईवीएम पर भरोसा नहीं है. जबकि 27% लोग वोटिंग के समय अपने शहर से बाहर रहने की वजह से वोट नहीं दे पाएंगे.

25% स्त्रियों ने कहा- वोटर कार्ड नहीं है, 24% युवाओं की भी यही शिकायत

14% लोगों ने बोला है कि वोटर कार्ड न होने की वजह से वे वोट नहीं दे पाएंगे. इन लोगों को उम्र और जेंडर के हिसाब से बांटा जाए तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं. 18-30 की उम्र के 24% लोगों का बोलना है कि उनके पास वोटर कार्ड नहीं है. जबकि 25% स्त्रियों ने भी बोला है कि वे वोटर कार्ड न होने की वजह से वोट नहीं दे पाएंगी. 55+ वर्ष के 34% लोगों को लगता है कि वोट देने से कोई परेशानी हल नहीं होती. जबकि ऐसा सोचने वाली महिलाएं 21% हैं.

वोट न देने वालों में 53% ने कहा- मेरे क्षेत्र से रोजगार समाप्त हो रहे हैं

सर्वे में वोट न देने वालों से प्रश्न पूछा गया था कि उनके क्षेत्र की सबसे बड़ी परेशानी क्या है. इसके उत्तर में 4 विकल्प दिए गए थे-

  • रोजगार समाप्त हो रहे हैं
  • सांप्रदायिकता बढ़ रही है
  • रेल या रोड कनेक्टिविटी नहीं है
  • सरकार मेरे क्षेत्र पर ध्यान नहीं देती

सर्वे में हिस्सा लेने वाले इनमें से कोई भी 3 ऑप्शन चुन सकते थे. 53% लोगों ने ये ऑप्शन जरूर चुना कि उनके क्षेत्र में रोजगार समाप्त हो रहे हैं. जबकि 53% ने ये भी बोला कि गवर्नमेंट उनके क्षेत्र पर ध्यान नहीं देती.

वोट न देने वालों में 57% युवा बोले- उनके क्षेत्र में रोजगार समाप्त हो रहे हैं

वोट न देने वालों के क्षेत्र में सबसे बड़ी परेशानी क्या है, इसके जवाबों को जब उम्र और जेंडर के लिहाज से बांटा गया तो सामने आया कि 18 से 30 की उम्र के 57% लोग क्षेत्र में समाप्त हो रहे रोजगार से परेशान हैं. 56% स्त्रियों के लिए भी सबसे बड़ी परेशानी समाप्त होते रोजगार हैं. जबकि 57% युवाओं को ये भी लगता है कि गवर्नमेंट उनके क्षेत्र पर ध्यान नहीं देती.

वोट न देने वालों में 29% ऐसे जो पहले नोटा को वोट दे चुके हैं

सर्वे में वोट न देने का इरादा जताने वालों से पूछा गया था कि उन्होंने पहले किसी विधानसभा या लोकसभा चुनाव में नोटा को वोट दिया है या नहीं. यदि दिया है तो कितनी बार- 1 बार, 2 बार या 3 बार से ज्यादा.71% लोगों ने बोला कि उन्होंने कभी नोटा को वोट नहीं दिया है. मगर 29% लोग ऐसे भी हैं जो पहले नोटा को वोट दे चुके हैं, मगर अब नोटा का बटन दबाने में भी रुचि नहीं है. इनमें भी 10% ऐसे हैं जो पहले 3 बार से अधिक नोटा का बटन दबा चुके हैं.

वोट न देने वाले युवाओं में 75% ने कभी नोटा को वोट नहीं दिया

वोट न देने वाले युवाओं में से 75% ने कभी नोटा को वोट नहीं दिया. 25% पहले नोटा को वोट दे चुके हैं और इनमें से 7% 3 बार से अधिक नोटा का बटन दबा चुके हैं. वोट न देने वाली स्त्रियों में भी 24% ऐसी हैं जो पहले नोटा को वोट दे चुकी हैं. मगर इस बार नोटा को भी वोट देने का इरादा नहीं रखती हैं.

 

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