शाह : CAA से देश के मुसलमानों को डरने की नहीं है जरूरत
नई दिल्ली: मीडिया के लीडरशिप कॉन्क्लेव ‘राइजिंग हिंदुस्तान 2024’ के मंच से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को साफ कर दिया कि सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। उन्होंने आश्वस्त करते हुए बोला कि राष्ट्र के मुसलमानों को डरने की आवश्यकता नहीं है। विपक्ष ने वोट बैंक बनाने के लिए यह भ्रम फैलाया कि सीएए से मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उनसे वोट के अधिकारी छीन लिए जाएंगे। सीएए नागरिकता लेने नहीं, बल्कि देने का कानून है।
अमित शाह ने कहा, ‘सीएए पारित होने के बाद राष्ट्र में एक बहुत बड़ी गलतफहमी फैलाई गई और इतने में कोविड आ गया। हम लोकतांत्रिक राष्ट्र में हैं। जब किसी सच्ची चीज के लिए गलतफहमी फैलाई जाती है तो सत्ता में जो पार्टी होती है, उसका दायित्व होता है कि सच्चाई लोगों तक पहुंचाए। विपक्ष द्वारा उन्हें (मुस्लिमों) भ्रमित किया गया। विपक्ष ने अपने वोट बैंक बनाने के लिए यह भ्रांति फैलाई कि सीएए से इस राष्ट्र के अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमान भाइयों-बहनों का मताधिकार-नागरिक तत्व छीन लिया जाएगा। जबकि है उल्टा। सीएए से किसी की नागरिकता नहीं जाने वाली है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘सीएए नागरिकता देने का कानून है। सिख, बौद्ध, जैन, क्रिश्चन, हिंदू… जो सारे भाई, तीन राष्ट्रों से प्रताड़ित होकर आए हैं, वो वर्षों से यहां बैठे हैं, इनके पास नागरिकता नहीं है। वे अपने नाम से संपत्ति नहीं खरीद सकते, सरकारी जॉब नहीं ले सकते। किस प्रकार से इनका जीवन व्यतीत होगा। करोड़ों लोगों की कठिनाई का कांग्रेस पार्टी के पास उत्तर नहीं था। वो अपने वोट बैंक की पॉलिटिक्स में ही मशगूल थी और पूरी भ्रांति फैलाई कि सीएए से राष्ट्र के मुसलमानों की नागरिकता चली जाएगी।’
अमित शाह ने साफ करते हुए कहा, ‘मैं फिर से एक बार साफ करना चाहता हूं कि इस राष्ट्र के मुसलमानों को डरने की आवश्यकता नहीं है। सीएए लेने का कानून ही नहीं है, नागरिकता देने का कानून है। और जहां तक सीएए का प्रश्न है, यह आजादी के समय कांग्रेस, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद, सरदार पटेल और राजेंद्र बाबू… सबका वादा था कि जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आएंगे, उन सारे शरणार्थियों को हम नागरिकता देंगे। वो वादा कांग्रेस पार्टी पार्टी ने पूरा नहीं किया। वह वादा हम पूरा कर रहे हैं। वह एक प्रकार से नेहरू-लियाकत पैक्ट का इम्प्लीमेंटेशन है। मगर राहुल जी का इन ऐतिहासिक डॉक्यूमेंट से लेना-देना ही नहीं है। वह चिट पढ़कर बोलने वाले नेता हैं। चिट में इतनी सारी बातें आती ही नहीं है।’
सीएए पर ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल के आरोपों पर अमित शाह ने कहा, ‘घुसपैठियों और शरणार्थियों में अंतर होता है। मैं केजरीवाल जी, राहुल जी और ममता जी।। सबको कहता हूं कि यदि राष्ट्र के युवाओं की जॉब की चिंता है तो आप बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं को लेकर क्यों नहीं बोलते हैं। क्यों जुबान सिल जाती है। इसलिए सिल जाती है कि आप अपने वोट बैंक को हर्ट नहीं करना चाहते हैं। शरणार्थी जो होता है, वो प्रताड़ित होकर आते हैं।’