राष्ट्रीय

सीजेएम ने मुख्तार की मौत की न्यायिक जांच के दिए आदेश

माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बांदा कारावास में रहते हुए कारावास प्रशासन और शासन पर तरह-तरह के इल्जाम लगते रहे हैं. अब जब मुख्तार अंसारी की मृत्यु हो गई तो इस मुद्दे में रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज भी प्रश्नों के घेरे में आ गया है. उपचार के लिए भर्ती कराए गए मुख्तार अंसारी को 14 घंटे बाद स्वस्वस्थ बताकर मेडिकल कॉलेज से हटाकर कारावास में शिफ्ट करना और इसके एक दिन बाद हार्ट अटैक से मृत्यु होना, मुद्दे को संदेहास्पद बना रहा है. हालांकि इस मुद्दे में सीजेएम ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.

मुख्तार अंसारी के वकील ने 19 मार्च को बाराबंकी न्यायालय में मुख्तार को खाने में जहर दिए जाने का इल्जाम लगाया था. इसके बाद 25 मार्च को रात में अचानक मुख्तार अंसारी की कारावास में तबीयत बिगड़ी. इसे 26 मार्च को तड़के चार बजे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. मेडिकल कॉलेज द्वारा जारी की गई बुलेटिन में उसे साधारण कब्ज की रोग से पीड़ित कहा गया. 14 घंटे बाद उसे स्वस्थ बताते हुए पुनः शाम को लगभग 6.15 बजे मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज कर दिया गया.

मेडिकल कॉलेज से मुख्तार को लाकर उसे कारावास के हॉस्पिटल में रखने के बजाय तन्हाई वाले बैरक में शिफ्ट किया गया. 27 मार्च को डॉक्टरों की टीम ने कारावास में पहुंचकर मुख्तार की जांच की और उसकी हालत में सुधार बताया. इसके बाद 28 मार्च को अचानक मुख्तार अंसारी की तबीयत फिर बिगड़ गयी. रोग की जानकारी मिलने पर प्रशासनिक अधिकारी कारावास पहुंचे. करीब 40 मिनट तक कारावास में प्रशासनिक ऑफिसरों की मौजूदगी रही. इसके बाद एंबुलेंस से उसे मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां देर रात हार्ट अटैक से मुख्तार की मृत्यु हो गई.

अब प्रश्न उठता है कि जब 26 मार्च को सवेरे मुख्तार अंसारी को गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज लाया गया था. तब सिर्फ़ 14 घंटे में कैसे इतना स्वस्थ हो गया कि उसे फिर से कारावास में शिफ्ट करना मुनासिब समझा गया. स्वास्थ्य विभाग के कुछ जानकार बताते हैं कि यदि रोग गंभीर थी तो उसे उपचार के लिए एक-दो दिन मेडिकल कॉलेज में ही भर्ती करके उपचार करना चाहिए था. लेकिन इसमें ढिलाई बरती गई. जिससे कारावास में पहुंचकर मुख्तार अंसारी की हालत बिगड़ी और फिर उसकी मृत्यु हो गई.

इतना ही नहीं, मुख्तार अंसारी के भाई सांसद अफजाल अंसारी जब 26 मार्च को उन्हें देखने मेडिकल कॉलेज आए थे तो उन्होंने मांग की थी कि यदि मुख्तार का पूरा उपचार यहां नहीं हो पा रहा तो उन्हें रेफर कर दिया जाए. हम अपने खर्च पर उनका उपचार करायेंगे. इस पर ध्यान नहीं दिया गया. इस तरह देखा जाए तो इसमें मेडिकल कॉलेज की ढिलाई साफ नजर आती है.

वहीं, इस मुद्दे में एमपीएमएलए न्यायालय ने कारावास अधीक्षक से मुख्तार अंसारी की तबीयत बिगड़ने की रिपोर्ट 27 मार्च को मांगी थी, जिसमें 29 मार्च तक रिपोर्ट देने की बात कही गई थी. अब सीजेएम ने मुख्तार की मृत्यु की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. इसके लिए एमपी एमएलए न्यायालय की मजिस्ट्रेट गरिमा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय टीम का गठन किया गया है. इस टीम को एक माह के अंदर जांच रिपोर्ट देने को बोला गया है.

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