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सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी निलंबित IAS पूजा सिंघल को बेल

सुप्रीम न्यायालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मुद्दे में झारखंड कैडर की निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की जमानत याचिका खारिज कर दी. न्यायालय ने इसे असाधारण मुद्दा बताते हुए झारखंड हाई कोर्ट के जमानत देने से इनकार करने के निर्णय को बरकरार रखा. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मुद्दे की असाधारण प्रकृति पर बल देते हुए सिंघल की जमानत याचिका खारिज कर दी. न्यायालय ने चल रहे मुकदमे के बारे में चिंताओं का हवाला दिया और इसे शीघ्र पूरा करने का आग्रह किया.

शीघ्र सुनवाई की आशा 

त्वरित सुनवाई की आशा जताते हुए उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बड़ी संख्या में अभियोजन पक्ष के गवाहों से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है. जमानत से इनकार करने का फैसला सिंघल के विरुद्ध आरोपों की गंभीरता और एक संपूर्ण कानूनी प्रक्रिया की जरूरत को दर्शाता है. जमानत याचिका खारिज करते हुए न्यायालय ने सिंघल को हालात बदलने या केस लंबा खिंचने पर अपनी याचिका फिर से प्रारम्भ करने की छूट दी. यह फैसला भविष्य में पुनर्विचार के लिए कानूनी अवसर प्रदान करता है.

प्रवर्तन निदेशालय का विरोध

प्रवर्तन निदेशालय का अगुवाई कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सिंघल की जमानत याचिका का विरोध किया, जिसमें उनकी हिरासत की पर्याप्त अवधि का हवाला दिया गया, जिसमें रांची के एक हॉस्पिटल में बिताया गया समय भी शामिल था.

क्या है पूरा मामला

मनी लॉन्ड्रिंग मुद्दे में उनसे जुड़ी संपत्तियों पर की गई छापेमारी के बाद सिंघल 11 मई, 2022 से हिरासत में हैं. यह मुद्दा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के कार्यान्वयन में कथित करप्शन के इर्द-गिर्द घूमता है. प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच के अनुसार कथित गैरकानूनी खनन से जुड़ी 36 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी बरामद करते हुए सिंघल पर मनी लॉन्ड्रिंग का इल्जाम लगाया है.

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