राष्ट्रीय

3 बार के CM मोदी PM तो ममता क्यों नहीं, शत्रुघ्न सिन्हा बोले…

आसनसोल से बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा को तृण मूल काँग्रेस टिकट देती है. बीजेपी नेताओं ने उनकी पुरानी फिल्म की क्लिप शेयर कर संदेशखाली के आरोपी तृण मूल काँग्रेस नेता शाहजहां शेख से तुलना करते हैं. कहते हैं- तृण मूल काँग्रेस रील और रियल लाइफ के बलात्कारियों से भरी पड़ी है.

शत्रुघ्न सिन्हा उत्तर देते हैं कि ये लोग खिसियाई बिल्ली खम्भा नोंचे मुहावरे को सार्थक कर रहे थे. शॉटगन ने संदेशखाली में आरोपियों पर देर से कार्रवाई का बचाव भी किया.

उन्होंने इण्डिया ब्लॉक में ममता बनर्जी की किरदार पर बोला कि वो बड़ी गेम चेंजर साबित होंगी. उन्होंने ममता में झश पद के लिए सभी खूबियां गिनाईं. क्या वे बिहार लौटेंगे?, नीतीश और तेजस्वी से जुड़े मीडिया के प्रश्नों का भी उत्तर दिया.

2019 में पटना साहिब लोकसभा सीट से शत्रुघ्न सिन्हा ‌BJP के रविशंकर प्रसाद से चुनाव हार गए थे. 2022 में वेस्ट बंगाल की आसनसोल सीट उपचुनाव में तृण मूल काँग्रेस के टिकट से सांसद चुने गए.

सवाल- आपको बिहारी बाबू बोला जाए या बंगाली बाबू?
जवाब- बिहारी बाबू हों या बंगाली बाबू हों, ठीक मायनों में तो मैं हिंदुस्तानी बाबू हूं. हिंदुस्तान मां की संतान हूं. बिहार से कई बार चुनाव जीतने के बाद बंगाल से चुनाव जीता, ये तो जगजाहिर है. इसलिए आपको तो खुशी होनी चाहिए ये जानकर कि बिहारी बाबू जो है, वो बंगाली बाबू भी है.

सवाल- आप दूसरी बार बंगाल के आसनसोल से तृण मूल काँग्रेस के उम्मीदवार हैं, इस चुनाव में आपको कितनी चुनौती दिख रही है?
जवाब- हर चुनाव चुनौती होता है, चाहे प्रतिद्वंदी और दूसरे दल कितने ही मजबूत या कमजोर हों. किसी चुनाव को चुनौती समझ कर ही लेना चाहिए, हलके में नहीं लेना चाहिए. पिछली बार मैं आसनसोल, बंगाल से रिकॉर्ड मतों से जीता था.

सवाल- आपके सामने ‌BJP ने भोजपुरी स्टार को टिकट दिया, लेकिन टिकट मिलने के साथ ही उनके कुछ पुराने गाने जिनमें अश्लील भाषा का इस्तेमाल किया गया था, उनकी चर्चा होने लगी. किसी कलाकार की पुरानी चीजों को लेकर मौजूदा स्थिति में प्रश्न खड़े करना कितना सही है? क्या तृण मूल काँग्रेस इसे बंगाली अस्मिता के साथ जोड़कर चुनाव में मामला बनाएगी?
जवाब- मैं तो उनको जानता नहीं हूं, सुना है अच्छे आदमी हैं, वो अच्छे लोगों में से आते हैं. एक अच्छे कलाकार हैं, गायक हैं. वो चुनाव से विथड्रॉ कर गए थे या कराया गया, ये उनका और उनकी पार्टी का अंदरूनी मुद्दा है. मुझे इस बात की जानकारी नहीं है, इसलिए मैं इस पर तथाकथित सियासी जानकार बनकर अधिक कुछ नहीं कह सकता हूं.

सवाल- आपको टिकट मिलने पर ‌BJP नेताओं ने आपकी पुरानी फिल्म की क्लिप शेयर करते हुए आपकी तुलना संदेशखाली के आरोपी तृण मूल काँग्रेस नेता शाहजहां शेख से करते हुए बोला कि तृण मूल काँग्रेस रील और रियल लाइफ के बलात्कारियों से भरी पड़ी है, इसे कैसे देखते हैं आप?
जवाब- वो लोग खिसियाई बिल्ली खम्भा नोंचे मुहावरे को सार्थक कर रहे थे. जब कुछ नहीं मिला तो 30-40 वर्ष पहले की फिल्म का सीन निकाल दिया. फिल्मों में जब हम भूमिका अदा करते हैं, समाज का दर्पण बनकर सामने आते हैं, तो कई बार हम ऐसा काम करते हैं.

आज मैं देश-विदेश में एंटी टोबैको कैम्पेन करता हूं, कैंसर से निजात दिलाने के लिए भरपूर प्रयास करता हूं, जागृति पैदा करता हूं. इसका मतलब ये तो नहीं कि किसी फिल्म में मैंने सिगरेट पी लिया तो मैंने अपनी बातों का अपमान कर दिया.

सवाल- क्या आपकी ख़्वाहिश है बिहार वापस आने की, यदि मौका मिला तो बिहार से चुनाव लड़ेंगे?
जवाब- बिहार मेरी कमजोरी है, बिहार मेरी शक्ति है. बिहार से मुझे बहुत लगाव है. मैं आज बिहार से चुनाव नहीं भी लड़ रहा हूं, पिछली बार यहां जिन कारणों से जैसे-तैसे करके हारा या हराया गया, उसके बावजूद मेरा महीने में औसतन 1-2 बार पटना आना होता ही है. लेकिन अभी मैं जहां हूं, जिस दिशा में हूं, मुझे बहुत खुशी है कि राष्ट्र की सबसे कद्दावर, सबसे अधिक जानदार और सक्सेजफुल लीडर ममता बनर्जी के साथ हूं. उनका मुझ पर इतना विश्वास है कि उन्होंने पिछली बार बिना मुझसे बात किए मेरे नाम की घोषणा कर दी थी. ये उनका बड़प्पन था.

सवाल- प्रधानमंत्री मोदी लगातार 400+ का नारा दे रहे हैं, क्या आपको लगता है कि बीजेपी इस ऐतिहासिक आंकड़े को छू पाएगी?
जवाब- मुझे लगता है कि काडर का आत्मशक्ति बहुत गिरा हुआ है, बहुत सारी बातें हुई हैं जिसका पीएम मोदी उत्तर नहीं दे पा रहे हैं और उन प्रश्नों से भाग रहे हैं. महंगाई, बेरोजगारी, रुपए-पेट्रोल की कीमतें, किसानों की दयनीय हालत और उनकी आय दोगुनी करने के वादे जैसे ज्वलंत मुद्दों को अवॉएड कर रहे हैं. इलेक्टोरल बॉन्ड का भ्रष्टाचार आईसिंग ऑन द केक हो गया.

दुनिया देख रही है कि कैसे सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करके दिवालिया हो चुकी कंपनियों से 500-1000 करोड़ चंदा उगाहा गया है.

सवाल- लेकिन ‌BJP के बाद तृण मूल काँग्रेस को ही इलेक्टोरल बॉन्ड से सबसे अधिक चंदा मिला है?
जवाब- जब आपने विंडो खोल दिया, इसको कानूनी जामा पहना दिया, तो फिर बाकी लोग क्यों नहीं आएंगे? हालांकि, उनके मुकाबले बहुत कम है. उनके पास 10 हजार करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड और उसके बाद भी क्या-क्या घपले हुए हैं, अब दुनिया को पता है. उनका सीज करो, हमारा सीज करो, ये नहीं कि आयकर से कांग्रेस पार्टी पार्टी का फंड सीज कराते हो और अपना फंड खुला रखते हो.

क्या दूसरी पार्टियों के पास ये अधिकार था कि वो उगाही कर सकें? क्या रेड करवाने की शक्ति थी इनके पास? क्या उस तरह से सेंट्रल प्रोजेक्ट में कांट्रैक्ट दिया और उसके बदले में भरपूर चंदा लिया? विपक्षी दलों ने उगाही का काम नहीं किया. चंदे का धंधा तो बीजेपी और NDA गठबंधन के हमारे दोस्तों ने किया.

सवाल- लेकिन तृण मूल काँग्रेस समेत दूसरी पार्टियां भी तो राज्य गवर्नमेंट चला रहीं जिन्हें चंदा मिला है. यानी इस घोटाले में सब शामिल हैं?
जवाब- उन्होंने तो हजारों करोड़ का चंदा लिया, दूसरे लोगों ने 1600-1700 करोड़ का लिया, जो उनके मुकाबले कुछ भी नहीं. विंडो उन्होंने खोली, तो यदि इन लोगों को पता चला तो बोला कि ठीक है आने दो चंदा. सियासी दल फंड पर चलते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन बात ये है कि उस कंपनी को चंदा देने के बदले में इन्होंने कोई धंधा दिया क्या? कुछ काम करवाया क्या? क्या ED, CBIई या आयकर के जरिए तथाकथित तौर पर डराया-धमकाया, दबाव डाला और क्या उगाही की?

सवाल- इण्डिया गठबंधन की नींव रखने वाले नीतीश कुमार स्वयं ही चले गए, तेजस्वी यादव सत्ता से बेदखल हो गए, इस पूरे घटनाक्रम को आप कैसे देखते हैं?
जवाब- तेजस्वी का भविष्य मुझे बहुत उज्ज्वल दिखाई पड़ता है. तेजस्वी के प्रति लोगों की बहुत सहानुभूति है, लोकप्रियता बढ़ी हुई है. लोग उनकी तरफ देख रहे हैं. उन्होंने अपने कमिटमेंट के आधार पर कुछ काम किया. उन्होंने जो कहा, वो किया, इससे तेजस्वी की क्रेडिबिलिटी बढ़ी है.

जहां तक क्रेडिबिलिटी का प्रश्न है, मैं अपने दूसरे दोस्त (नीतीश कुमार) के बारे में नहीं कह सकता, जो उन्होंने किया या उनसे करवाया गया या जो हरकतें हुईं. मेरे दोस्त हैं, मैं कभी उन पर टीका-टिप्पणी नहीं करता, आज भी नहीं करूंगा.

नेताओं की विश्वसनीयता वैसे भी बहुत गई हुई है और ये तो नीम पर करेला वाली क्रेडिबिलिटी हो गई. नेताओं को लेकर आम जनता में कंटेम्प्ट है ये लोग केवल कहते हैं, कुछ करते नहीं हैं.

अलटू-पलटू, यहां से वहां, वही डायलॉग यहां भी बोलना कि अब मैं इनके साथ आ गया हूं, अब कहीं नहीं जाऊंगा. वही डायलॉग कितनी बार पहले बोल चुके, अब फिर वही कह रहे कि नहीं जाऊंगा. क्या-क्या हरकतें आप कर रहे हैं, आपसे हो जा रहा है या जिन कारणों से हो रहा हो.

ये लोग बिहार की तरफ बहुत नजर लगाकर देख रहे थे, लेकिन इन कारणों की वजह से अब दूसरी दृष्टि से देख रहे हैं. क्या ये बिहार की 40 सीटों में से 10 सीट भी ले पाएंगे?

ये तस्वीर तब की है, जब बिहारी बाबू बीजेपी में थे. शत्रुघ्न सिन्हा की बिहार के सीएम नीतीश कुमार से दोस्ती रही है.

सवाल- तेजस्वी यादव कह रहे हैं कि बिहार के नतीजे चौंकाने वाले होंगे, क्या आपको लगता है कि लालू यादव के नेतृत्व में महागठबंधन इतना अच्छा प्रदर्शन कर पाएगा?
जवाब- बहुत चौंकाने वाले नतीजे होंगे. जहां तक मेरा अनुभव है, तेजस्वी की बातों में बहुत सत्य और तथ्य है.

सवाल- इण्डिया गठबंधन में खींचतान बहुत दिख रही थी, आप लोग भिन्न-भिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न कॉम्बिनेशन पर चुनाव लड़ रहे हैं, क्या इसका लाभ ‌BJP को हो सकता है? या खेला होबे का नारा देने वाली ममता बनर्जी क्या कोई खेल कर पाएंगी?
जवाब- ममता जी के खेला के बारे में समझने के लिए अच्छे-अच्छों को अभी दम चाहिए. बीजेपी को इसका बहुत घाटा होगा. भिन्न-भिन्न कहां लड़ रहे हैं ये लोग, आज इण्डिया के जितने मजबूत नेता और पार्टियां हैं, उन्हें सताया जा रहा, प्रताड़ित करने की प्रयास की जा रही है, इनको कारावास भेजा जा रहा है. जिन पर केसेज ठोके जा रहे, उनमें 95 प्रतिशत से अधिक विपक्षी नेता हैं.

अपनी वॉशिंग मशीन को ऐसा कर दिया है कि जो लोग सत्ताधारी पार्टी के पास जा रहे हैं, उनको धुलकर बेदाग सामने पेश करने की प्रयास हो रही है. दो सिटिंग सीएम अरैस्ट हुए, उन्हें जिस तरह से अरैस्ट किया गया, जनता सहमत नहीं है. जनता को ये लग रहा हे कि ये सियासी षड्यंत्र के अनुसार किया जा रहा है. इससे लोगों में विपक्ष के प्रति सहानुभूति है, इससे विपक्ष में बहुत मजबूती आ रही है.

सवाल- क्या इस मजबूती को और लाभ मिलता यदि विपक्ष कोई चेहरा पेश करता? क्या ममता बनर्जी पीएम मटेरियल हैं?
जवाब- झश बनने के लिए आपको किसी कॉम्पिटिशन में जाना पड़ता है क्या? यूपी के एग्जाम की तरह जहां पर्चा लीक हो जाता है? 60 हजार पोस्ट के लिए 48 लाख लोग अप्लाय करते हैं और कॉम्पिटिशन में आते हैं या कोई IAS-IPS कॉम्पिटिशन है क्या? एक दिन आप भी बन सकते हैं, यदि किसी दिन आपके पास संख्या बल हो गया.

प्रधानमंत्री मोदी के पास कोई बहुत बड़ी डिग्री है क्या? इनके पास एंटायर पॉलिटिकल साइंस हो सकता है, लेकिन उसके आलावा तो और कुछ नहीं है न. तीन बार के चीफ मिनिस्टर हैं, इनके पास संख्या बल था, हम लोग साथ थे और साथ मिलकर चाहा कि ये हो जाएं.

हम तो ये भी चाहते थे कि आडवाणी जी हो जाएं. ऐसा नहीं हुआ, कारण आप लोगों को पता है. जितने भी पीएम बने हैं, संख्या बल के आधार पर ही बने हैं न. 400 से अधिक सीटें लेकर स्वर्गीय राजीव गांधी आए थे, इतने लोगों ने साथ दिया था.

400 पार का नारा देकर कहीं हमें 2004 की याद तो नहीं दिला रहे. तब हम भी ‌BJP में थे, इतनी अच्छी-अच्छी बातें की थीं, फील गुड फैक्टर बोला था. हमने अति उत्साह में 7 महीने पहले चुनाव की घोषणा कर दी थी. परिणाम क्या आया, अटल बिहारी वाजपेयी इतना अच्छा कर रहे थे. फिर एक शक्ल आई सामने चिकित्सक मनमोहन सिंह की, विद्वान और बढ़िया इंसान. 2004 में बीजेपी के परखच्चे उड़ गए, किसी ने नहीं सोचा था कि हम उस समय हारेंगे, लेकिन हुआ, जनता का वर्डिक्ट कुछ और था.

सवाल- संदेशखाली में तृण मूल काँग्रेस नेताओं पर स्त्रियों से यौन उत्पीड़न के इल्जाम लगे, उच्च न्यायालय की फटकार के बाद कार्रवाई हुई. ममता बनर्जी पर बहुत दिनों तक खामोशी साधे रखने का इल्जाम लगा. बतौर बंगाल से तृण मूल काँग्रेस सांसद आपकी प्रतिक्रिया?
जवाब- मुझे लगता है कि सारे मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए हर बार नई-नई कहानी गढ़ी जाती है और सामने लेकर आया जाता है. मिसाल के तौर पर, राम मंदिर के मुद्दे में जितना सरकारीकरण हुआ, शायद उसका इम्पैक्ट और होता. तो उसमें एक वजह ये भी थी कि आपने इमीडियटली आदिवासी सीएम को अरैस्ट कर लिया, लोगों का ध्यान उधर गया. उसके बाद तुरंत बिहार में उलट-पलट, जो भी ड्रामा हुआ यहां पर, इस पर ध्यान गया. उसके बाद केजरीवाल पर ध्यान गया. केजरीवाल के बाद संदेशखाली पहुंचते हैं तो संदेशखाली.

मैं स्त्रियों का बहुत सम्मान करता हूं. मैं अपनी भाषा की मर्यादा और शब्दों का चयन बहुत ठीक से करता हूं, लेकिन साथ-साथ ये भी कह दूं कि कहीं भी स्त्रियों के साथ जुल्म-अत्याचार होता है, हम उसकी आलोचना करते हैं. यदि संदेशखाली की घटना सत्य है तो बहुत जघन्य, निंदनीय, शर्मनाक और भयावह है. मुद्दा अभी न्यायालय में है, इन्क्वायरी चल रही है.

आपको लगता है देरी हुई लेकिन एक्शन में उच्च न्यायालय और सीबीआई की तरफ से कुछ कन्फ्यूजन पैदा हुआ, उसकी वजह से देर हुई, लेकिन अंधेर नहीं हुआ. जो लोग हैं, उन पर एक्शन हुआ, लेकिन पीएम को इतनी कड़ी भाषा नहीं बोलनी चाहिए.

एक बार ममता दीदी का अपमान करने की प्रयास की थी, जब कहते थे ‘दीदी ओ दीदी’, क्या आग लगी थी बंगाल में, लोगों ने मुंहतोड़ उत्तर दिया था. अभी आप कह रहे हैं कि दीदी को लज्जा नहीं आ रही.

माननीय पीएम जी, किसी स्त्री और खासतौर स्त्री सीएम के बारे में ऐसी अपमानजनक बात की जाएगी, तो फिर कोई आपसे भी तो प्रश्न कर सकता है कि आपको लज्जा नहीं आती जो कठुआ और हाथरस में अत्याचार होता है. सरकारी अफसरों पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता, रातों-रात कन्या को जला भी दिया गया.

आज भी जो हालत हो रही है वहां पर, उस पर लज्जा नहीं आती? राष्ट्र की जनता ये देख रही है, इनका भी मुंहतोड़ उत्तर देगी. राष्ट्र की जनता ममता जी या किसी भी नेता का ऐसा अपमान या अत्याचार अब बर्दाश्त नहीं करेगी.

सवाल- इस लोकसभा चुनाव में इण्डिया गठबंधन की सीटे आएंगी?​​​​​​​
जवाब- इन्होंने पिछली बार बंगाल में ‘अबकी बार 200 पार’ बोला था, तो कठिन से जैसे-तैसे करके करीब 75 सीटें आ गई थीं. इन्होंने कर्नाटक में 200 पार बोला था, 66 सीटें आ गई थीं.

‌BJP ने दिल्ली में बोला था कि हम दो तिहाई मतों से जीतेंगे, 2-3 सीटें आ गई थीं, स्कूटर पार्टी बन गई थी. उस हिसाब से इनकी करीब 150-175 सीटें आ जाएंगी, तो इन्हें अपने आपको बहुत भाग्यशाली समझना चाहिए.

 

सोशल मीडिया पर अपने तीखे तेवरों से विरोधियों को घेरने वाली रोहिणी सारण लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं. मुकाबला बीजेपी के दिग्गज नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री और 4 बार के सांसद राजीव प्रताप रूडी से है. रोहिणी सिंगापुर से आकर सारण की सड़कों पर धूप और धूल के बीच लोगों से अपने लिए वोट मांग रही हैं.

रोहिणी ने राजनीति में आने का मन कब बनाया? क्या लालू की बेटी होने की वजह से टिकट मिला? मीडिया ने उनसे ये प्रश्न पूछे. रोहिणी ने परिवारवाद की राजनीति के प्रश्न का भी उत्तर दिया.  

 

टिकट कटने के बाद अश्विनी चौबे ने पहली बार मीडिया से खुलकर अपनी बात रखी है. अश्विनी चौबे टिकट कटने को लेकर दंग हैं और उन्होंने अपने विरुद्ध किए गए कथित षड्यंत्र को लेकर तीखे हमले कहे हैं. उन्होंने ‘राजधर्म’ की भी याद दिलाई है. मीडिया से खास वार्ता में उन्होंने कई चौंकाने वाली बातें कही हैं

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button