भारत के पास समुद्री भोजन के लिए एक मजबूत नियामक
नयी दिल्ली. हिंदुस्तान के पास अपने 548 प्रजाति के समुद्री भोजन के लिए एक मजबूत नियामक ढांचा है और यहां मछली प्रसंस्करण क्षेत्र में विश्वस्तरीय इकाइयां स्थापित की गई हैं. वाणिज्य मंत्रालय ने शनिवार को बोला कि विभिन्न सरकारी एजेंसियां नियमित रूप से इनका निरीक्षण करती हैं. यह बयान भारतीय झींगा उद्योग में खाद्य सुरक्षा और खराब श्रम स्थितियों का इल्जाम लगाने वाली कुछ रिपोर्टों की पृष्ठभूमि में आया है.
मंत्रालय ने बोला कि राष्ट्र की सभी इकाइयां एमपीईडीए (समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) और एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) के साथ दर्ज़ हैं. वे निर्यात निरीक्षण परिषद (ईआईसी) द्वारा अनुमोदित हैं. इसके अतिरिक्त, 46 स्वतंत्र प्रसंस्करण पूर्व इकाइयां प्राधिकरण द्वारा दर्ज़ हैं. बयान में बोला गया कि झींगा हैचरी और जलीय कृषि फार्म उनके संबंधित स्थानों के आधार पर तटीय जलीय कृषि प्राधिकरण (सीएए) और राज्य मत्स्य पालन विभागों के साथ दर्ज़ हैं.एमपीईडीए अमेरिका के समुद्री भोजन आयात नज़र कार्यक्रम (एसआईएमपी) सहित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नियामक प्रावधानों का पालन करने के लिए एक्वाफार्मों का नामांकन भी करता है. बयान के अनुसार राज्यों के श्रम विभाग नियमित रूप से जलीय कृषि और मछली प्रसंस्करण में शामिल संगठित और असंगठित क्षेत्रों की गतिविधियों की नज़र करते है