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भाजपा की की वॉशिंग मशीन में धुलकर एयरक्रॉफ्ट लीज घोटाले में घिरे प्रफुल्ल पटेल अब हुए साफ-सुथरे और बेदाग

भारतीय जनता पार्टी की वॉशिंग मशीन में धुलकर एयरक्रॉफ्ट लीज घोटाले में घिरे पूर्व केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल भी अब साफ-सुथरे और बेदाम हो गए हैं. अभी जुलाई 2023 में ही प्रफुल्ल पटेल, अजीत पवार गुट के साथ एनसीपी से अलग होकर बीजेपी से गठबंधन कर महाराष्ट्र गवर्नमेंट में शामिल हुए हैं और 8 महीने बाद ही मार्च 2024 में बीजेपी की CBI ने न्यायालय में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर सारा मुकदमा बंद कर दिया.

आप के वरिष्ठ नेता जस्मीन शाह ने कहा कि यह मुद्दा 2006-7 का है. उस दौरान प्रफुल्ल पटेल केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री थे. उसी समय एयर इंडिया-इंडियन एयरलाइंस का विलय हुआ और बिना प्लांनिंग के 15 एयर क्रॉफ्ट लीज पर लिए गए. इन एयर क्रॉफ्ट को संचालित करने के लिए पायलट तक हायर नहीं किए और पांच वर्ष तक रखे रह गए. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस निर्णय से सरकारी खजाने को 840 करोड़ रुपये का हानि हुआ. मनी लॉड्रिंग के अनुसार इस मुद्दे की ईडी-सीबीआई ने जांच प्रारम्भ की, लेकिन अब बीजेपी में शामिल होते ही प्रफुल्ल पटेल के सारे मुकदमा बंद कर दिए गए.

भाजपा ने दुनिया की सबसे बड़ी वॉशिंग मशीन का अविष्कार किया 

वरिष्ठ नेता जस्मीन शाह ने बोला कि पिछले 10 सालों में राष्ट्र की जनता ने देखा है कि किस तरह से बीजेपी ने दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे असरदार वॉशिंग मशीन का अविष्कार किया है. बीजेपी की यह एक सियासी वॉशिंग मशीन है, जिसमें बड़ी-बड़ी कंपनियों के मालिक और शरत चंद्र रेड्डी जैसे शराब व्यवसायी को डालने के बाद जब वो बाहर आते हैं तो झूठे बयान और बीजेपी को चुनावी चंदा देते हैं. प्रवर्तन निदेशालय और CBI की जांच के बाद शरत चंद्र रेड्डी से 55 करोड़ रुपए लिए जाते हैं. साथ ही राष्ट्र के अनेक कलंकित और करप्शन में घिरे नेता, जिनके ऊपर गंभीर इल्जाम लगे हैं, जिनकी जमीनें सीज कर दी गई हैं और आतंकवाद से जुड़े मुकदमें तक चल रहे हैं, भाजपा ईडी-सीबीआई की जांच रोककर इनको अपनी पार्टी में ले आती है और फिर वॉशिंग मशीन में धोकर इन्हें क्लीन चिट दे देती है.

प्रफुल्ल पटेल पर लगा मुकदमा खत्म 

जस्मीन शाह ने बोला कि गुरुवार को जानकारी सामने आई कि एनसीपी (नेशनल कांग्रेस पार्टी पार्टी) के वरिष्ठ नेता प्रफुल पटेल, जो यूपीए की गवर्नमेंट में केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री रह चुके है, उन्हें CBI ने क्लीन चिट दे दी है. यह बहुत बड़ी बात है. एक ऐसा आदमी जिसके ऊपर प्रवर्तन निदेशालय और CBI के कई मुकदमा चल रहे थे, उसे एक मुकदमा में पीएम मोदी की CBI ने क्लीन चिट दे दी है. मतलब अब प्रफुल्ल पटेल पर लगा मुकदमा समाप्त हो गया है.

पांच वर्ष तक एयर इण्डिया के बेड़े में खड़े रहे सभी एयर क्राफ्ट

जस्मीन शाह ने कहा कि वर्ष 2006 से 2007 के दौरान जब प्रफुल पटेल केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री थे, तब एयर इण्डिया और भारतीय एयरलाइंस का विलय हुआ था. इस विलय के समय दोनों एयरलाइंस के पास बहुत कम यात्री थे और इनकी लगभग सारी फ्लाइट्स खाली जा रही थीं. उस समय केंद्रीय नागरिक विमनन मंत्रालय ने निर्णय लिया कि एयर इण्डिया देश-विदेश की कंपनियों से 15 एयर क्राफ्ट लीज पर लेगी और उसको चलाएगी, लेकिन उन 15 एयर क्राफ्ट को बिना किसी ठोस प्लानिंग के खरीदा गया और एक ऐसा टर्म अग्रीमेंट बनाया गया, जिसमें इन्हें टर्मीनेट ही नहीं किया जा सकता था. साथ ही इसे कहां चलाया जाएगा, पायलट और क्रू मेंबर आदि कुछ भी तय नहीं हुए. ये सभी एयर क्राफ्ट 5 वर्ष तक एयर इण्डिया के बेड़े में खड़े रहे.

15 एयर क्रॉफ्ट को बिना किसी प्लानिंग के खरीदा गया

उन्होंने आगे बोला कि CBI की एफआईआर और सीएजी की रिपोर्ट में साफ खुलासा किया गया है कि इन 15 एयर क्रॉफ्ट को बिना किसी प्लानिंग के खरीदा गया. जबकि इनके पास पहले से ही पैसेंजर्स कम थे. जब मौजूदा फ्लीट में ही पैसेंजर्स नहीं जा रहे हैं, तो 15 एयर क्रॉफ्ट में पैसेंजर्स कहां से जाएंगे. इसके लिए किसी पायलट को भी हायर नहीं किया गया. इन्हें खरीदकर बस एक गैराज में खड़ा कर दिया गया. इससे सरकारी तिजोरी को करीब 840 करोड़ रुपए का हानि हुआ है. इन एयर क्रॉफ्ट को लीज पर लेने के लिए जनता के पैसों को कुछ चंद प्राइवेट कंपनियों के ऊपर लुटाया गया है.

एयर इण्डिया का बेड़ा गर्क करने में गवर्नमेंट शामिल

जस्मीन शाह ने कहा कि इस मुद्दे में यह बात भी निकलकर आई कि इन्होंने 15 एयर क्रॉफ्ट लीज पर तो लिए, लेकिन साथ ही कुछ एयर क्रॉफ्ट खरीदने की भी योजना बना ली थी. एक ऐसे समय में जब एयर क्रॉफ्ट खाली जा रहे हैं, ऐसे में इन्होंने 15 एयर क्रॉफ्ट लीज पर ले लिए. साथ ही नए एयर क्रॉफ्ट खरीदने के ऑर्डर भी दे दिए. राष्ट्र की जनता अच्छे से जानती है कि एयर इण्डिया का बेड़ा गर्क करने में गवर्नमेंट और गवर्नमेंट के ऐसे मंत्री शामिल हैं, जिन्होंने बिना किसी प्लानिंग के एयर क्रॉफ्ट लीज पर लेने में उनका सबसे बड़ा हाथ है. CBI की एफआईआर से पता चलता है कि इसमें कई बिचौलियों की भी किरदार है. प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी चार्जशीट में बोला था कि दीपक तलवार, प्रफुल पटेल के खास मित्र हैं और इन्होंने ही लेने-देन की सारे व्यवस्था किए थे.

मई 2017 में CBI ने मुकदमा दर्ज

वरिष्ठ नेता जस्मीन शाह ने कहा कि सबसे पहले मई 2017 में CBI ने यह मुकदमा दर्ज किया. उसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल को देखते हुए मुकदमा दर्ज किया. जिसके बाद जून 2017 में पहली बार प्रफुल पटेल को प्रवर्तन निदेशालय ने समन भेजा. अगस्त 2019 में CBI ने भी प्रफुल पटेल को समन भेजा. इस दौरान एनसीपी और भाजपा के बीच पर्दे के पीछे से वार्ता चल रही थी. आखिरकार जुलाई 2023 में जब अजीत पवार गुट एनसीपी से अलग होकर बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया, तो उसके बाद प्रफुल पटेल के विरुद्ध कोई भी समन जारी नहीं हुआ. वहीं, मार्च 2024 में इस मुद्दे को रफादफा कर दिया गया है. CBI ने इसकी क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी है.

ईडी और CBI का यही तमाशा चल रहा

जस्मीन शाह ने बोला कि आज पूरे राष्ट्र के सामने प्रवर्तन निदेशालय और CBI का यही तमाशा चल रहा है. वहीं जब आम आदमी पार्टी की बात आती है तो ये दो वर्ष से फर्जी मुकदमे चलाते हैं और एक के बाद एक समन भेजते हैं. जांच में इनको एक चवन्नी बरामद नहीं होती है, कोई ठोस सबूत नहीं मिलता है, फिर भी ये हमारे 4 बड़े नेताओं को कारावास में डाल देते हैं. इन्होंने अरविंद केजरीवाल को तब कारावास में डाला, जब इनकी मशीन से निकला हुआ प्रोडक्ट सरथ चंद्र रेड्डी ने अरेस्ट के बाद बीजेपी को 60 करोड़ रुपए दिए. उसके बयान के आधार पर ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंदर डाल दिया गया और बीजेपी कहती है कि प्रवर्तन निदेशालय निष्पक्ष जांच करती है.

जिन लोगों पर बीजेपी ने इल्जाम लगाए और कार्रवाई भी की, लेकिन जब वो बीजेपी के साथ आ गए तो पूरा मुकदमा रफादफा कर दिया गया. भाजपा ने ईडी-सीबीआई का राजनीतिकरण कर दिया है. यह पूरा राष्ट्र देख रहा है. राष्ट्र इससे शर्मसार है कि जिन जांच एजेंसियों का काम राष्ट्र के बड़े साजिशकर्ता, आतंकवादी और भ्रष्टाचारियों को पकड़ना है, वो सीएजी की रिपोर्ट के बाद भी उन लोगों पर कोई एक्शन नहीं लेती हैं. राष्ट्र की जनता आने वाले लोकसभा चुनाव में इसका उत्तर देगी.

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