BJP MP नवनीत कौर राणा को SC से राहत, जाति प्रमाणपत्र मामले में हाईकोर्ट का फैसला रद्द
महाराष्ट्र के अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा फर्जी जाति प्रमाण पत्र के इल्जाम में कानूनी लड़ाई में फंस गई थीं. हालाँकि, आज 4 अप्रैल, 2024 को उच्चतम न्यायालय ने एक जरूरी निर्णय सुनाया और बॉम्बे उच्च न्यायालय के निर्णय को पलट दिया. ऐसे में नवनीत राणा को बड़ी कानूनी राहत मिल गई है। निर्णय ने न सिर्फ़ राणा की चुनाव लड़ने की पात्रता बहाल कर दी, बल्कि इस बार अगले लोकसभा चुनाव में अमरावती सीट से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में उनकी उम्मीदवारी का रास्ता भी साफ कर दिया.
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने पहले राणा के एससी प्रमाणपत्र को अमान्य कर दिया था
मामले की जड़ इस इल्जाम के इर्द-गिर्द घूमती है कि राणा ने आरक्षित अमरावती सीट से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए जाली दस्तावेजों के माध्यम से अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया था. बॉम्बे उच्च न्यायालय ने पहले राणा के एससी प्रमाणपत्र को अमान्य कर दिया था और एक सांसद के रूप में उनकी योग्यता पर शक जताते हुए 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.
स्क्रूटनी कमेटी ने पूरी जांच और मुनासिब जांच के बाद जाति प्रमाण पत्र जारी किया
हालाँकि, उच्चतम न्यायालय के निर्णय ने राणा की कानूनी अग्निपरीक्षा को एक नया मोड़ दे दिया. न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि जांच समिति ने मुद्दे की गहन जांच की और मुनासिब जांच के बाद जाति प्रमाण पत्र जारी किया. अतः हाई कोर्ट का हस्तक्षेप अनावश्यक समझा गया. निर्णय ने राणा की 2019 लोकसभा चुनाव जीत की वैधता को बरकरार रखा और भविष्य में चुनाव लड़ने के लिए उनकी पात्रता सुनिश्चित की.
राणा भाजपा से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं
सुप्रीम न्यायालय के निर्णय ने न सिर्फ़ राणा को कानूनी समर्थन दिया बल्कि उनके सियासी करियर में भी नयी जान फूंक दी. जैसा कि राणा बीजेपी के बैनर तले अगला लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, निर्णय ने आशा की किरण के रूप में काम किया है.
कानूनी जीत केवल न्यायालय में जीत से भी अधिक जरूरी है
विभिन्न चुनौतियों और विवादों के बावजूद, राणा अमरावती के लोगों की ईमानदारी और सरेंडर के साथ सेवा करने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ रहे हैं. एक कानूनी जीत केवल एक अदालती जीत से कहीं अधिक है, यह प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने और इन्साफ की लगातार खोज का प्रतीक है.
सुप्रीम न्यायालय के निर्णय ने अनिश्चितता के बादल को हटा दिया
जैसा कि राणा अपनी सियासी यात्रा के अगले अध्याय की आरंभ कर रहे हैं, वह नए जोश और दृढ़ संकल्प के साथ ऐसा कर रहे हैं, चुनौतियों और अवसरों को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं. उच्चतम न्यायालय के निर्णय ने न सिर्फ़ अनिश्चितता के बादल हटा दिए हैं, बल्कि नवनीत राणा की सियासी यात्रा का मार्ग भी प्रशस्त कर दिया है, जिससे सार्वजनिक सेवा और नेतृत्व की उनकी तलाश में एक नयी सुबह हुई है.
नवनीत राणा पर क्या था मामला?
नवनीत राणा पर अमरावती की आरक्षित सीट से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए एससी कास्ट सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करने का इल्जाम था. 8 जून, 2021 को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बोला कि मोची जाति का जाति प्रमाण पत्र नवनीत ने जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके बनाया था. बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सांसद पर 2 लाख का जुर्माना लगाया। इसके बाद नवनीत राणा ने उच्च न्यायालय के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।