राष्ट्रीय

बीआरएस की नेता के. कविता की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में हुई तीखी बहस

भारत देश समिति (बीआरएस) की नेता के कविता की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय में शुक्रवार को तीखी बहस हुई. कविता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने यहां तक कह दिया कि ‘इस न्यायालय का इतिहास स्वर्णिम काल में नहीं लिखा जाएगा.‘ हालांकि उच्चतम न्यायालय ने सिब्बल की सभी दलीलों को खारिज कर दिया और बोला कि उसके लिए सभी लोग एक समान हैं और किसी खास आदमी के लिए कानून को नदरअंदाज नहीं किया जा सकता.

उच्चतम कोर्ट ने के कविता को जमानत देने से इनकार कर दिया. कविता को दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के मुद्दे में प्रवर्तन निदेशालय ने अरैस्ट किया है. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कविता से निचली न्यायालय में जाने को कहा. पीठ ने बोला कि यह एक प्रक्रिया है जिसका यह न्यायालय पालन कर रही है और वह प्रोटोकॉल को नजरअंदाज नहीं कर सकती.

मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, यहीं निर्णय कीजिए- सिब्बल

कपिल सिब्बल ने न्यायालय से तुरन्त हस्तक्षेप की मांग करते हुए अपनी दलीलें रखीं. उन्होंने बोला कि कई विपक्षी नेताओं को अरैस्ट किया जा रहा है. सुनवाई की आरंभ में सिब्बल ने पीठ से कहा, “आपसे सिर्फ़ एक गुजारिश, प्लीज मुझे उच्च न्यायालय वापस जाने के लिए न कहें. यहीं सुनवाई करें, मेरे विरुद्ध निर्णय दें… मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन देखिए हमारे राष्ट्र में क्या हो रहा है. हर बयान सरकारी गवाह का है. सबूत का एक भी टुकड़ा नहीं है. मैं बहुत परेशान हूं.

इस पर पीठ ने कहा, “एक वकील होने के नाते आपको कभी परेशान नहीं होना चाहिए. फैसला लेना इतना सरल नहीं होता है. इतना भावुक मत होइए. मुख्य रिट याचिका लगाई जा सकती है. जहां तक जमानत का प्रश्न है तो ट्रायल न्यायालय से गुजरना होगा.न्यायालय ने बोला कि उसे कानून का पालन करना होगा. जब संजीव खन्ना की प्रतिनिधित्व वाली बेंच ने बोला कि बीआरएस नेता को ट्रायल न्यायालय का दरवाजा खटखटाना होगा, तो सिब्बल ने इसका बचाव किया. सिब्बल ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का हवाला दिया. उन्होंने बेंच से कहा, “माई लॉर्ड्स, हेमंत सोरेन के मुद्दे में क्या हुआ? ट्रायल न्यायालय में क्या हो रहा है? यह नहीं हो सकता.

राजनीतिक मंच न बनाएं… योर लॉर्डशिप बुरा नहीं मानेंगे- SC में बहस

इस पर न्यायालय ने कहा, “कृपया, इसे सियासी मंच न बनाएं… आप हमसे जो करने के लिए कह रहे हैं वह संभव नहीं है. आप हमसे अनुच्छेद 32 के अनुसार किसी याचिका पर सीधे विचार करने के लिए केवल इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वह आदमी उच्चतम न्यायालय आ सकता है. ऐसा नहीं हो सकता. नियम सभी के लिए एक समान होंगे.

सुनवाई पूरी होने के बाद निराश होकर सिब्बल ने कहा, “क्या मैं कुछ कह सकता हूं? मुझे आशा है कि योर लॉर्डशिप बुरा नहीं मानेंगे. इस न्यायालय का इतिहास लिखा जाएगा, लेकिन यह स्वर्णिम काल में नहीं लिखा जाएगा.” इस पर पीठ ने उत्तर दिया, “कोई बात नहीं. हम देखेंगे. हमें एक समान व्यवहार करना होगा.

बता दें कि पिछले हफ्ते, तेलंगाना के पूर्व सीएम के चंद्रशेखर राव की बेटी एवं हिंदुस्तान देश समिति (बीआरएस) की नेता के कविता को हैदराबाद स्थित उनके आवास से एजेंसी ने अरैस्ट किया गया था जो अभी इसी मुद्दे में 23 मार्च तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में हैं. यह मुद्दा 2021-22 के लिए दिल्ली आबकारी नीति तैयार करने और उसे लागू करने में कथित करप्शन एवं धन शोधन से संबद्ध है. हालांकि, बाद में यह नीति रद्द कर दी गई.

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