यूपी की वीआईपी सीट पर भी नौ प्रतिशत घटा मतदान
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में यूपी की सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और नगीना समेत पांचों सीटों पर गिरे मतदान ने सभी सियासी दलों की उलझनें बढ़ा दी हैं.
केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के कारण मुजफ्फरनगर की वीआईपी सीट पर मतदान में आई नौ फीसद मतों की गिरावट बीजेपी के उत्साह को कम करने वाली और चिंता अधिक बढ़ाने वाली मानी जा रही है. 18 लाख 41 हजार 497 मतदाताओं वाली इस सीट पर 2019 के चुनाव में 68.20 फीसद वोट पड़े थे और संजीव बालियान ने रालोद सुप्रीमो अजीत सिंह को पराजित कर दिया था. अबकी रालोद का समर्थन बीजेपी के साथ था और जयंत चौधरी ने बालियान के पक्ष में कई सभाएं कीं. फिर भी मतदान 59.29 फीसद ही हो पाया.
गठबंधन के समाजवादी पार्टी उम्मीदवार पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक ने जाटों के गांवों में संजीव बालियान को बराबर की भिड़न्त दी. बीएसपी के प्रजापति कुम्हार बिरादरी के प्रत्याशी दारा सिंह के पक्ष में दलितों के साथ-साथ अति पिछड़ा वर्ग के लोगों ने भारी मतदान किया. मैदान में कोई भी मुसलमान उम्मीदवार नहीं होने से मुसलमान मतों का एकतरफा रूझान समाजवादी पार्टी के पक्ष में दिखा. इस बार खाप पंचायतें और किसान यूनियन चुनाव में तटस्थ रहे.
कैराना लोकसभा सीट पर अबकी 61.17 फीसद मतदान हुआ. पिछली दफा 67.44 फीसद मतदान हुआ था. इस सीट पर कुल प्रत्याशी14 हैं जिसमें मुख्य मुकाबला मौजूदा बीजेपी सांसद प्रदीप चौधरी और गठबंधन की समाजवादी पार्टी उम्मीदवार इकरा हसन के बीच रहा.
कैराना सीट पर दो-दो प्रमुख दलों ने जमकर चुनाव प्रचार किया लेकिन फिर भी 6.27 फीसद मत फीसदी गिरने से स्थिति उलझ गई. दोनों पक्ष अपनी-अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं. बीएसपी के ठाकुर श्रीपाल राणा राजपूत बहुल इलाकों में अधिक एक्टिव रहे. हालांकि राजपूत समुदाय ने इकरा हसन को समर्थन दिया था लेकिन बीएसपी उम्मीदवार भी अपनी बिरादरी में हस्सिेदारी करते दिखे. कुछ स्थानों पर बीजेपी ने भी राजपूतों का समर्थन मिलने का दावा किया.
बिजनोर लोकसभा सीट पर भी मतदान फीसदी छह फीसद गिरा. अबकी 58.21 फीसद वोट पड़े. पिछले चुनाव में 66.15 फीसद वोट पड़े थे. इस सीट पर 17 लाख 38 हजार 307 मतदाता हैं और 11 प्रत्याशी मैदान में हैं. पहले चरण में बिजनौर अकेली सीट है जहां से रालोद उम्मीदवार चुनाव लड़े हैं. मीरापुर के विधायक और रालोद के युवा मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन चौहान का मुकाबला समाजवादी पार्टी के दीपक सैनी और बीएसपी के चौधरी वीरेंद्र सिंह से हुआ. रालोद को बीजेपी का समर्थन मिलने से चंदन चौहान ने बहुत बढ़िया प्रदर्शन किया जबकि मुसलमान और दलित वोट समाजवादी पार्टी उम्मीदवार दीपक सैनी और बीएसपी उम्मीदवार चौधरी वीरेंद्र सिंह में बंट गए.
मौजूदा सांसद मलूक नागर टिकट ना मिलने से मैदान से बाहर रहे. हालांकि वह लोकदल में शामिल हो गए थे लेकिन पूरे चुनाव के दौरान बिजनौर क्षेत्र में दिखाई नहीं दिए. चंदन चौहान के पक्ष में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदत्यिनाथ, हरियाणा के सीएम नायाब सैनी और रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने सभाएं की थीं. चंदन चौहान के चुनाव में उनकी पत्नी याशिका चौहान स्टार प्रचारक की किरदार में रहीं. तीनों प्रमुख उम्मीदवारों चंदन चौहान, दीपक सैनी और चौधरी वीरेंद्र सिंह का यह पहला लोकसभा चुनाव था. चंदन चौहान एक अनुभवी नेता की तरह सधा हुआ चुनाव लड़े.
नगीना सुरक्षित सीट पर चार फीसद कम वोट पड़े. अबकी 59.54 फीसद वोट पड़े जबकि 2019 में 63.64 फीसद वोट पड़े. इस सीट पर 16 लाख 44 हजार 909 मतदाता हैं और कुल प्रत्याशी मैदान में छह हैं. तीन बार के बीजेपी विधायक ओम कुमार, सेवानिवृत्त एडीजे मनोज कुमार और बीएसपी के सुरेंद्र कुमार और आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद प्रमुख उम्मीदवार रहे. चंद्रशेखर आजाद वीआईपी होने के कारण यहां आकर्षण का केंद्र बने रहे. उन्होंने दलित और मुसलमान दोनों वर्गों को जमकर लुभाया.