उत्तर प्रदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर की जमीन सरकारी दस्तावेजों में गलत एंट्रियों को किया रद्द

प्रयागराज मथुरा के बांके बिहारी मंदिर की जमीन को राजस्व अभिलेखों में कब्रिस्तान दर्ज किए जाने का मुद्दा में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का बड़ा निर्णय सामने आया है दरअसल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंदिर की जमीन की सरकारी दस्तावेजों में गलत ढंग से हुई सभी एंट्रियों को रद्द कर दिया है दरअसल उच्च न्यायालय ने कभी कब्रिस्तान तो कभी दूसरे नाम पर गलत ढंग से हुई एंट्रियो को शून्य घोषित करते हुए उन्हें रद्द किए जाने का आदेश जारी किया है

वहीं न्यायालय ने रेवेन्यू रिकॉर्ड में एक महीने के अंदर जमीन मंदिर के नाम दर्ज किए जाने का आदेश दिया है दरअसल उच्च न्यायालय ने मथुरा जिले की छाता तहसील की एसडीएम को दिया मंदिर की जमीन को 30 दिनों में बिहारी जी सेवा ट्रस्ट के नाम दर्ज किए जाने का आदेश दिया है बता दें बिहारी जी सेवा ट्रस्ट ही मंदिर का संचालन करता है

दरअसल मथुरा के बांके बिहारी मंदिर की जमीन को राजस्व अभिलेखों में कब्रिस्तान दर्ज किए जाने का मुद्दे में जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की सिंगल बेंच में सुनवाई की गयी इस संबंध में श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट की ओर से याचिका दाखिल की गई है ट्रस्ट की ओर से आज न्यायालय में संशोधित अर्जी दाखिल की गई थी न्यायालय ने इसी अर्जी पर सुनवाई करते हुए उसे मंजूर कर लिया और आदेश जारी किया

ट्रस्ट की याचिका में इल्जाम लगाया गया था कि बांके बिहारी मंदिर की जमीन को राजनीतिक दबाव में कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज कर दिया गया था वर्ष 2004 में जब यूपी में मुलायम सिंह यादव की गवर्नमेंट थी तो उनकी पार्टी के यूथ ब्रिगेड के नेता भोला खान पठान ने मुख्यमंत्री को संबोधित एक अर्जी दी थी इस पर तत्कालीन मुख्य सचिव ने आदेश दिया था गवर्नमेंट के आदेश के बाद ही मंदिर की जमीन कब्रिस्तान के नाम दर्ज हो गई थी

बता दें, मंदिर ट्रस्ट ने इसके विरुद्ध कई बार कम्पलेन की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई बाद में यह जमीन पुरानी जनसंख्या बता दी गई यह मुद्दा वक्फ बोर्ड और दूसरे विभागों तक भी गया 8 सदस्यीय कमेटी की जांच रिपोर्ट में भी यह साफ हो गया कि जमीन मनमाने ढंग से कब्रिस्तान के नाम दर्ज की गई इसके बावजूद जमीन मंदिर ट्रस्ट के नाम वापस नहीं दर्ज की गई ट्रस्ट ने इस पर पिछले वर्ष इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी इसी याचिका पर उच्च न्यायालय में सुनवाई हो रही थी

पिछले महीने हुई सुनवाई में न्यायालय ने छाता तहसील की एसडीएम और अन्य अफसरों को भी न्यायालय में तलब कर लिया था दरअसल यह मथुरा की छाता तहसील के शाहपुर गांव के प्लाट नंबर 1081 से जुड़ा हुआ मामला है प्राचीन काल से ही गाटा संख्या 1081 बांके बिहारी महाराज के नाम से दर्ज था

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