उत्तर प्रदेश

आजमगढ़ में बीजेपी और सपा अपनी-अपनी गोटियां सेट करनी की शुरू

आजमगढ़ लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ सीट जीतने के लिए सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी सपा ने अपनी-अपनी गोटियां सेट करनी प्रारम्भ कर दी हैं बीजेपी के सामने जीत दोहराने और समाजवादी पार्टी के सामने खोया जनाधार हासिल करने की चुनौती है भगवा पार्टी ने यहां से भोजपुरी कलाकर दिनेश लाल निरहुआ को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है वहीं, ‘इंडिया’ गठबंधन और बीएसपी ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं

राजनीतिक जानकर कहते हैं कि इस बार आजमगढ़ सीट पर मुकाबला कड़ा रहने वाला है समाजवादी पार्टी ने बीजेपी की घेरेबंदी के लिए बीएसपी के पिछले उम्मीदवार गुड्डू जमाली को अपने पाले में लाकर लड़ाई सरल कर ली है माय के समीकरण के जरिए समाजवादी पार्टी यहां बाजी मारना चाहती है समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव इस सीट को जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे उनका पूरा बल यहां अन्य जातियों के साथ यादव और मुस्लिमों को पूरी तरह साधने पर है

भाजपा ने भी यहां पर मजबूत किलेबंदी कर रखी है चुनाव से पहले पीएम मोदी का आजमगढ़ का दौरा इस नजरिए से खासा अहमियत रखता है पीएम 8 मार्च को मंदुरी एयरपोर्ट और महाराजा सुहेलदेव राज्य यूनिवर्सिटी सहित कई बड़ी परियोजनाओं का लोकार्पण कर सकते हैं

सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अभी ‘इंडिया’ गठबंधन उम्मीदवार तय कर रहा है लेकिन इस बार हम लोकसभा में समीकरण के मुद्दे में बीजेपी से काफी मजबूत हो चुके हैं शाह आलम गुड्डू जमाली 2022 में आजमगढ़ लोकसभा का उपचुनाव बीएसपी के टिकट पर लड़े थे उन्हें 2.66 लाख वोट मिले थे यह चुनाव समाजवादी पार्टी प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव बीजेपी के दिनेश यादव निरहुआ से हल्की मतों से हार गए थे तभी से समाजवादी पार्टी नेतृत्व की नजर गुड्डू जमाली पर थी उन्हें हम अपने दल में शामिल करा चुके हैं, जिससे आधी लड़ाई ही बची है

उन्होंने कहा कि जमाली मुबारकपुर सीट से 2012 और 2017 में बीएसपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीत थे पसमांदा मुसलमान समाज से आने वाले पूर्व विधायक को विधान परिषद भेजकर अखिलेश पसमांदा मुसलमान समाज को भी साध सकते हैं इसके साथ ही मुसलमान को एमएलसी बनाकर पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की अपनी मुहिम को आगे बढ़ा सकते हैंगुड्डू जमाली के समाजवादी पार्टी में आ जाने से वहां पार्टी की राह सरल हो जाएगी यहीं नहीं पूर्व मंत्री बलराम यादव को भी विधान परिषद भेजने की तैयारी है पिछले वर्ष के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी आजमगढ़ में सारी सीटें जीत गई थीं लेकिन उसके बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी ने समाजवादी पार्टी को उसी के गढ़ में शिकस्त दे दी

वरिष्ठ सियासी विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि आजमगढ़ यादव परिवार का गढ़ माना जाता रहा है क्योंकि यहां पर मुसलमान और यादवों की संख्या काफी है इसलिए यहां मुसलमान या फिर यादव ही सांसद चुना गया है साल 1996 तथा 1999 में सपा, 2004 में बीएसपी और 2009 में बीजेपी के टिकट पर रमाकांत यादव यहां से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं साल 2014 के चुनाव में वह समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव से चुनाव हार गए थे यदि इस सीट के इतिहास को देखें तो बीएसपी के टिकट पर 1998 और 2008 में अकबर अहमद डंपी सांसद बने साल 1989 से 2019 तक इस सीट पर कभी समाजवादी पार्टी तो कभी बीएसपी का कब्जा रहा और बीच में एक बार 1991 में जनता दल और 2009 तथा 2022 के उपचुनाव में बीजेपी जीती इस बार उसके सामने जीत दोहराने की चुनौती है जातीय समीकरण के आधार पर देखें तो समाजवादी पार्टी को बढ़त जरूर है, लेकिन बीजेपी अपने विकास और मोदी की गारंटी के दम पर चुनाव जीतने की पूरी प्रयास करेगी

भाजपा के सांसद दिनेश लाल निरहुआ कहते हैं कि आजमगढ़ का उतना विकास कभी नहीं हुआ जितना मोदी-योगी गवर्नमेंट में हुआ है यहां संगीत महाविद्यालय, एयरपोर्ट, मेडिकल कालेज और कई सड़कें बनी हैं इसके साथ ही आजमगढ़ में रिंग रोड बनने जा रहा है, नयी रेलवे लाइन बन रही है आजमगढ़ में मास्टर प्लान पास हो गया है

उन्होंने दावा किया कि वह अपने पूरे कार्यकाल में आजमगढ़ की जनता के लिए हर समय उपस्थित रहे हैं मोदी की योजनाओं का फायदा सभी को मिला है समाजवादी पार्टी चाहे जो समीकरण बना लें लेकिन वह जीत नहीं पाएगी इस बार बीजेपी यहां से जीतेगी, विकास जीतेगा

सपा के आजमगढ़ जिले के अध्यक्ष हवलदार यादव का बोलना है कि पार्टी ने यहां पर बूथ लेवल से लेकर विधानसभा तक अपनी पूरी तैयारी कर रखी है बीजेपी असत्य के आधार पर राजनीति करती है जनता सब देख रही है आने वाले समय में सब पता चल जायेगा

 

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