गायों में दूध की कमी दूर करने को आगे आए बाल वैज्ञानिक, रिसर्च कर बताया देशी उपचार
गायों में दूध की कमी को दूर करने के लिए बाल वैज्ञानिक आगे आए हैं। टैगोर पब्लिक विद्यालय की कक्षा नौ की छात्राओं उदिशा पांडेय एवं श्रेया शर्मा ने अपने लघु अध्ययन में गायों में होने वाली दूध की कमी पर काम किया है। पिछले छह महीनों में लगभग पचास गायों पर अध्ययन में दोनों बाल वैज्ञानिकों ने प्रसव के बाद गायों में अग्लैक्टिया नामक रोग के कारण दूध में कमी का देशी इलाज ढूंढ निकाला है।
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उदिशा और श्रेया के मार्गदर्शक विज्ञान शिक्षक संजय श्रीवास्तव ने कहा की अग्लैक्टिया के इलाज के लिए गुड़, सेंधा नमक, सरसों की खली एवं गेंहूं के भूसे का मिश्रण एक निश्चित अनुपात में पीड़ित गायों को तीन महीने तक लगातार देने से उनमें दूध उत्पादन की क्षमता में लगभग पचास फीसदी की वृद्धि मिली है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इस अध्ययन के लिए उदिशा और श्रेया का चयन राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस पार्टी की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए हुआ है।
दोनों बाल वैज्ञानिक अपने गाइड शिक्षक संजय श्रीवास्तव के नेतृत्व में एक से तीन दिसंबर तक मिर्जापुर में होने वाले राज्य स्तरीय आयोजन में अपना शोधपत्र प्रस्तुत करेंगी। इस वर्ष पूर्व राज्य स्तर पर जिले से बाल वैज्ञानिकों के जिन चार समूहों का चयन राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए हुआ है जिनमें उदिशा और श्रेया का नाम भी शामिल है।
बच्चों में वैज्ञानिक चेतना जागृत करने को आयोजन
भारत गवर्नमेंट के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से प्रत्येक साल राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस पार्टी का आयोजन सभी प्रदेशों के प्रत्येक जिले में किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य स्कूली विद्यार्थियों में वैज्ञानिक चेतना जागृत कर विज्ञान संबंध में उनकी अभिरुचि बढ़ाना है। सबसे पहले विद्यालय स्तर पर विद्यार्थी अपने मार्गदर्शक शिक्षक के नेतृत्व में अपने आसपास की समस्याओं को चुनते हैं। उसके बाद किसी एक क्षेत्रीय परेशानी के संभावित कारणों को ढूंढते हैं और निवारण के लिए अपने स्तर पर कुछ विचार रखते हैं। विद्यालय स्तर पर चयनित बाल वैज्ञानिकों को नोडल, जिला एवं पूर्व राज्य स्तर जैसे-जैसे चयन होता जाता है आगे के आयोजन में अपना लघु अध्ययन प्रस्तुत करना होता है।