इस वजह से रेफर सेंटर बना पिथौरागढ़ का जिला अस्पताल
सीमांत जिले पिथौरागढ़ की बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं किसी से छुपी नहीं है, जहां रोगियों का उपचार कम हायर सेंटर रेफर अधिक जाता है, क्योंकि पिथौरागढ़ का जिला हॉस्पिटल लंबे समय से चिकित्सक और अन्य मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है।
5.50 लाख की जनसंख्या वाले पिथौरागढ़ की स्वास्थ्य सेवाएं जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, जिला हॉस्पिटल और स्त्री हॉस्पिटल पर टिकी हैं। यहां पिथौरागढ़ के अतिरिक्त नेपाल और चंपावत से भी लोग उपचार के लिए पहुंचते हैं, लेकिन गंभीर रोंगों के उपचार के लिए जानकारों की कमी के चलते ज्यादातर रोगी अपना उपचार कराने बड़े शहरों की ओर विवश होकर रुख करते हैं।
चिकित्सकों के 40 पोस्ट रिक्त
हालत यह है कि कई मामलों में रेफर किए गए रोगी आधे रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। 5.50 लाख की जनसंख्या वाले पिथौरागढ़ जिले में जानकार डॉक्टरों की कमी है। जिला हॉस्पिटल सहित जिले के 10 अस्पतालों में डॉक्टरों के 173 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 40 से अधिक पद रिक्त चल रहे हैं।
इन जगहों पर नहीं है जानकार डॉक्टर
जिला हॉस्पिटल की बात करें तो यहां डॉक्टरों के 41 पोस्ट स्वीकृत है। इन पदों में 14 पद रिक्त चल रहे हैं। जिले में गंगोलीहाट, बेड़ीनाग, डीडीहाट, मुनस्यारी में सीएचसी जबकि धारचूला में संयुक्त हॉस्पिटल में भी जानकार डॉक्टर नहीं हैं। बाल बीमारी विशेषज्ञ, महिला बीमारी जानकार नहीं होने से रोगियों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिले के अस्पतालों में नर्स के 125 पद स्वीकृत हैं। इसके उल्टा सिर्फ़ 65 स्टाफ नर्स कार्यरत हैं। जबकि 60 पद रिक्त चल रहे हैं।
जनता को भुगतना पड़ रहा खामियाजा
पिथौरागढ़ की जनता लंबे समय से रिक्त पदों को भरने की मांग करते हुए आई है, लेकिन अभी तक जिले के अस्पतालों में रिक्त पदों को नही भरा गया है। जिले के सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश पंत ने इसे गवर्नमेंट की नाकामी कहा और बोला कि जिले के सभी अस्पतालों में अभी तक पद नहीं भरे गए, जिसका खामियाजा यहां की जनता को भुगतना पड़ रहा है।