PPF Scheme: पीपीएफ में पैसा लगाते हैं तो इस बात का पता होना है जरूरी

PPF Scheme: पीपीएफ में पैसा लगाते हैं तो इस बात का पता होना है जरूरी

Investment Scheme: राष्ट्र में इंवेस्टमेंट की कई सारी स्कीम चल रही है इन स्कीम में गवर्नमेंट की ओर से भी कई सारी स्कीम चलाई जा रही है वहीं वर्तमान में कई लोग पीपीएफ यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड स्कीम में भी पैसा इंवेस्ट करते हैं हालांकि इस स्कीम में लोगों को कई तरह के लाभ मिलते हैं लेकिन कुछ चीजों के बारे में लोगों को जानकारी होना काफी महत्वपूर्ण है यदि इनके बारे में जानकारी नहीं है तो लोगों को कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है

टैक्स छूट

पब्लिक प्रोविडेंट स्कीम टैक्स बचाने के लिए एक लोकप्रिय इंवेस्टमेंट माध्यम है पीपीएफ एक लॉन्ग टर्म सेविंग सह निवेश उत्पाद है इसके लिए आपको प्रारम्भ करने के लिए डाकघर या सार्वजनिक और प्राइवेट सेक्टर के बैंकों की नामित शाखाओं में एक पीपीएफ खाता खोलना होगा पीपीएफ खाते में सहयोग पर गारंटीशुदा ब्याज रेट मिलती है आप इन जमाओं पर धारा 80सी के अनुसार एक वित्तीय साल में 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं

पीपीएफ योजना के नुकसान
वहीं अभी इस स्कीम में गवर्नमेंट की ओर से 7.1 प्रतिशत का ब्याज उपलब्ध करवाया जा रहा है हालांकि इस स्कीम को लेकर कुछ अहम बातों के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए पीपीएफ के अनेक फायदों के बावजूद यह पूरी तरह आलोचना से मुक्त नहीं है पब्लिक प्रॉविडेंट फंड की भी कुछ कमियां हैं जिन्हें हम नकार नहीं सकते जो कि इस प्रकार से है…

ब्याज रेट अस्थिर
ब्याज रेट परिपक्वता राशि को प्रभावित कर सकती है गौर करें तो पीपीएफ योजना की ब्याज रेट स्थिर नहीं है यह समय के साथ बदलती रहती है

लंबा कार्यकाल
15 वर्ष लंबी अवधि होती है यदि इतना लंबे तक आप कोई स्कीम नहीं चलाना चाहते तो पीपीएफ आपके काम की नहीं है

न्यूनतम राशि पर ही ब्याज
पीपीएफ ब्याज रेट की गणना महीने के 5वें और अंतिम दिन के बीच सबसे कम शेष राशि पर की जाती है उदाहरण के लिए, यदि आपके पीपीएफ खाते में 20,000 रुपये हैं और आप महीने की 5 तारीख के बाद 2000 रुपये की अतिरिक्त राशि जमा करते हैं, तो आपके ब्याज की गणना 20,000 रुपये पर की जाएगी, 22,000 रुपये पर नहीं की जाएगी

तरलता की कमी
यह म्यूचुअल फंड के समान नहीं है और इसलिए इसमें तरलता की कमी है आपका पैसा सालों से अटका रहता है और शेयरों या म्यूचुअल फंड की इकाइयों को बेचने जितना आसान नहीं है