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सीधे नहीं, एंगल पर हुई थी प्लूटो से टक्कर, नौ साल की रिसर्च के बाद वैज्ञानिकों ने खोजा राज

Pluto Heart-Shaped Feature: प्लूटो के ‘दिल’ का राज खुल गया है 2015 से ही वैज्ञानिक प्लूटो के ‘दिल’ की गुत्थी सुलझाने में लगे थे नासा स्पेसक्राफ्ट ने प्लूटो का चक्कर लगाते हुए कुछ फोटोज़ ली थीं उसमें प्लूटो की सतह पर दिल जैसे आकार वाली चीज नजर आई वैज्ञानिकों ने उसका नाम Tombaugh Regio रखा इसके आकार, जियोलॉजिकल कंपोजीशन और एलिवेशन में उनकी बड़ी दिलचस्पी रही अब वैज्ञानिकों ने न्यूमेरिकल स्टिमुलेशंस की सहायता से दिल के पश्चिमी लोब Sputnik Planitia की उत्पत्ति का पता लगाया है उनके मुताबिक, एक प्रलयंकारी घटना ने इस ‘दिल’ को बनाया वैज्ञानिकों के अनुसार, Tombaugh Regio का हल्का रंग नाइट्रोजन बर्फ की मौजूदगी की वजह से है रिसर्चर्स के अनुसार, लगभग 435 मील (700 किलोमीटर) व्यास वाला एक ग्रह पिंड प्रारम्भ में ही प्लूटो से टकराया होगा वैज्ञानिकों की प्लूटो पर हालिया रिसर्च के नतीजे नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में छपे हैं Sputnik Planitia प्लूटो के 1200×2000 किलोमीटर एरिया में फैला है

रिसर्च के मुताबिक, किसी प्लेनेटरी बॉडी की प्लूटो से सीधी भिड़न्त नहीं हुई थी वह थोड़ा तिरके कोण पर बौने ग्रह से टकराया था डॉ बैलेंटाइन ने एक बयान में कहा, ‘प्लूटो की कोर इतनी अधिक ठंडी है कि भिड़न्त के बावजूद बहुत सख्त बना रहा और गर्मी के बावजूद पिघला नहीं वैज्ञानिकों के मुताबिक, जो चट्टानी पिंड इससे टकराया था, उसका कोर अब भी प्लूटो पर दबा पड़ा है स्टडी में शामिल रहे प्रोफेसर एरिक असफॉग ने कहा, ‘Planitia के नीचे कहीं पर एक और विशालकाय पिंड का कोर छिपा है, जिसे प्लूटो कभी निगल नहीं पाया

 

क्यों प्लूटो के ‘दिल’ में वैज्ञानिकों को है दिलचस्पी

प्लूटो का ‘दिल’ न केवल अपने आकार की वजह से आकर्षित करता है, बल्कि यह बाकी सतह से कहीं अधिक चमकीला भी है इस ‘दिल’ का पश्चिमी भाग Sputnik Planitia प्लूटो के बाकी हिस्से से करीब 4 किलोमीटर गहराई में है स्टडी के लीड-ऑथर चिकित्सक हैरी बैलेंटाइन ने कहा, ‘प्लूटो की सतह का अधिकतर भाग मीथेन बर्फ और इसके डेरिवेटिव्स से बना है लेकिन Planitia मुख्य रूप से नाइट्रोजन बर्फ से भरा हुआ है, जो शायद कम ऊंचाई के चलते इम्पैक्ट के तुरंत बाद जमा हुई होगी‘ वैज्ञानिकों के अनुसार ‘दिल’ का पूर्वी हिस्सा भी ऐसी ही नाइट्रोजन बर्फ में डूबा है लेकिन उसकी परत पतली है वैज्ञानिकों को अभी उसके बनने की वजह नहीं पता उन्होंने यह आसार जाहिर की है कि शायद ‘दिल’ के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों के बनने की वजह एक ही रही होगी

 

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