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Sarita Mor Birthday : जानें इनका जीवन परिचय

स्पोर्टस न्यूज डेस्क !!! सरिता मोर (अंग्रेज़ी: Sarita Mor, जन्म- 16 अप्रॅल, 1995) भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान हैं. उन्होंने 2017 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में 58 किलो भार वर्ग में रजत पदक और 59 किलो भार वर्ग में (2020) एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है. वर्ष 2021 में उन्होंने रोम, इटली में आयोजित माटेओ पेलिकोन रैंकिंग सीरीज में 57 किग्रा स्पर्धा में रजत पदक जीता और हाल ही में विश्व रैंकिंग श्रृंखला 2022, अल्माटी (कजाकिस्तान) में गोल्ड मेडल जीतकर अपनी श्रेणी 59 किलोग्राम भारवर्ग में विश्व नंबर एक रैंकिंग तक पहुँचने के कारण चर्चा में हैं.

प्रारम्भिक जीवन

सरिता मोर का जन्म 16 अप्रैल, 1995 को गाँव बरोदा, जिला सोनीपत, हरियाणा में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम राम चंद्र मोर है. 3 भाई-बहनों में सरिता सबसे बड़ी हैं. किशोरावस्था में, कबड्डी सरिता का पसंदीदा खेल था, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि सरिता ने इसलिए कुश्ती की ओर रुख किया कि उनका कबड्डी कोच बहुत कठोर था और बहुत मारता भी था.

सरिता मोर ने 12 वर्ष की उम्र में चौधरी भरत सिंह मेमोरियल स्पोर्ट्स स्कूल, निडानी, हरियाणा में कुश्ती का अभ्यास प्रारम्भ किया था. उनके पिता ने भी कुश्ती में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और आज वह सफल कुश्ती खिलाड़ी के तोर पर अपनी पहचान बना चुकी हैं. सरिता को फिल्मों और क्रिकेट का एकदम शौक नहीं है. वह कोई टीवी सीरियल भी नहीं देखती और उनके कमरे में टीवी भी नहीं है, यहां तक ​​कि अब भी नहीं. सरिता मोर को कबड्डी और बास्केटबॉल पसंद है. वह भारतीय स्टार पहलवान सुशील कुमार की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं, जिन्होंने बीजिंग 2008 और लंदन 2012 में राष्ट्र के लिए दो ओलंपिक पदक जीते थे. सरिता 2015 से भारतीय रेलवे में कार्यरत हैं.

चोट के बाद वापसी

सरिता मोर का मानना ​​है कि कुश्ती उनके लिए सब कुछ है. वह आदर्श वाक्य ‘कुश्ती खाओ और कुश्ती खाओ’ से जीती हैं. 2011 की नेशनल चैंपियनशिप के दौरान सरिता के कंधे में गंभीर चोट लगी थी, जिससे कई लोगों को डर था कि युवा पहलवान का करियर समाप्त हो जाएगा. उनकी सर्जरी हुई और लगभग दो वर्ष तक कुश्ती से दूर रहना पड़ा. ऐसे समय में जब उन्हें सहायता की सबसे अधिक जरूरत थी. सरिता को खाली बैठने और प्रतीक्षा करने के लिए छोड़ दिया गया. लेकिन दो वर्ष बाद 2013 में कड़ी मेहनत और लगन से सरिता ने वापसी की और भारतीय टीम में स्थान बनाई.[1]

विवाह

सरिता मोर का शादी 1 मार्च 2017 को साथी अंतर्राष्ट्रीय पहलवान राहुल मान से हुआ. जिनको कभी कुश्ती में एक होनहार खिलाड़ी के रूप में जाना जाता था. राहुल मान दिल्ली से सटे गांव खेड़ा खुर्द के रहने वाले हैं. वह राष्ट्रमंडल खेलों में दो बार के रजत पदक विजेता हैं और उन्होंने लंदन 2012 के कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त को नैशनल ट्रायल में हराया था.

राहुल और सरिता की विवाह इस शर्त पर हुई थी की सरिता कुश्ती जारी रखेंगी. आजकल वह अपनी पत्नी को ट्रैनिंग करने में सहायता करते हैं. वह सरिता के पति होने के साथ-साथ कोच भी हैं. राहुल ने अपनी पत्नी सरिता के करियर के लिए अपना करियर छोड़ दिया और किसी भी कार्यक्रम में भाग लेना बंद कर दिया. वह अपनी पत्नी के प्रदर्शन से खुश हैं. सरिता जब भी कोई अंतर्राष्ट्रीय पदक जीतती हैं तो राहुल गर्व के साथ मुस्कराते हैं.

बदला भारवर्ग

दिलचस्प बात यह है कि सरिता मोर ने 62 किग्रा के उल्टा 57 किग्रा वर्ग में जाने का निर्णय किया. जहां वह पहले खेला करती थीं. जबकि यह संभावना व्यक्त किया गया था कि बदलाव का कारण यह था कि साक्षी मलिक भी उसी भार वर्ग में प्रतिस्पर्धा करती हैं. हालांकि भारवर्ग में परिवर्तन का फैसला व्यापक अध्ययन पर आधारित था. राहुल के अनुसार, 62 किग्रा वर्ग में अंतर्राष्ट्रीय पहलवान लम्बे होते हैं और इससे उन्हें सरिता पर भारी फायदा मिलता है. पहलवानों के लिए वजन श्रेणियों को स्विच करना सामान्य बात है क्योंकि वे आमतौर पर उस भारवर्ग तक पहुंचते हैं जिसमें उन्हें सफल होने की अधिक आशा होती है.[1]

अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धियां

जहां सरिता मोर ने 2011 से विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय युवा प्रतियोगिताओं में कामयाबी पाई है, वहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनका पहला बड़ा वरिष्ठ पदक 2017 में नयी दिल्ली में आयोजित एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में आया था. उन्होंने स्त्रियों की 58 किग्रा स्पर्धा में रजत पदक जीता था. लेकिन 2019 में अपने प्रदर्शन में सुधार किया, जो संयोग से 2017 संस्करण के बाद सरिता का पहला एशियाई कार्यक्रम था. उन्होंने इस बार 59 किग्रा वर्ग में भाग लेते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया. उसने फाइनल में मंगोलिया की बत्त्सेत्सेग अटलांसेत्सेग को हराया था. सरिता ने प्रो रेसलिंग लीग में भी प्रभावशाली प्रदर्शन किया और हाल ही में विश्व रैंकिंग श्रृंखला 2022, अल्माटी (कजाकिस्तान) में गोल्ड मेडल जीतकर अपनी श्रेणी में विश्व नंबर एक रैंकिंग तक पहुँचने में सफल रही हैं.

पदक

  • गोल्ड मेडल, विश्व रैंकिंग श्रृंखला 2022, अल्माटी (कजाकिस्तान)
  • गोल्ड मेडल, सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2010, नैनीताल
  • गोल्ड मेडल, सब-जूनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप 2011, कन्याकुमारी
  • ब्रान्ज़ मेडल, एशियाई कैडेट चैम्पियनशिप 2011, थाईलैंड
  • गोल्ड मेडल, जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2013, चंडीगढ़
  • गोल्ड मेडल, जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2014
  • गोल्ड मेडल, जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2015, झारखंड
  • सिल्वर मेडल, जूनियर एशियाई चैंपियनशिप 2015, म्यांमार[1]
  • सिल्वर मेडल, राष्ट्रपति कप 2015, कजाकिस्तान
  • गोल्ड मेडल, सीनियर नेशनल चैंपियनशिप 2014, गोंडा, उत्तर प्रदेश
  • गोल्ड मेडल, सीनियर नेशनल चैंपियनशिप 2015, दिल्ली
  • गोल्ड मेडल, सीनियर नेशनल चैंपियनशिप 2016, गोंडा, उत्तर प्रदेश
  • ब्रान्ज़ मेडल, सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2017, इंदौर
  • गोल्ड मेडल, सीनियर नेशनल चैंपियनशिप 2018, गोंडा, उत्तर प्रदेश
  • सिल्वर मेडल, सीनियर एशियन चैंपियनशिप 2017, दिल्ली
  • सिल्वर मेडल, राष्ट्रमंडल खेल 2016, सिंगापुर
  • गोल्ड मेडल, राष्ट्रीय खेल 2015, केरल

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